सहरसा: जिले के पूरब बाजार राजकीय कन्या उच्च विद्यालय आज भी मूलभूत सुविधाओं का मोहताज है. इस जर्जर इमारत वाले विद्यालय में 734 छात्राओं का नामांकन है. लेकिन विद्यालय में शौचालय नहीं है, पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है. इतना ही नहीं 734 छात्राओं के बैठने के लिए महज दो कमरे हैं और इन कमरों में पंखे भी नहीं हैं, पंखा तो छोड़िये विद्यालय में बिजली तक नहीं है.
734 छात्राएं, 2 कमरे
राज्य सरकार अपने बजट का बड़ा हिस्सा शिक्षा पर खर्च करती है. राज्य में खासकर महिला शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है. पर विडंबना इस बात की है कि बिहार के सहरसा में महिला शिक्षा की हकीकत कुछ और ही है. यहां राजकीय कन्या उच्च विद्यालय की छात्राएं स्कूल में बैठने की समुचित व्यवस्था नहीं होने की वजह से उपस्थिति दर्ज करा कर घर लौट जाती हैं.
टॉयलेट और चापाकल भी नहीं
स्कूल में टॉयलेट और चापाकल नहीं होने के कारण छात्राओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. छात्राएं इस परेशानी की वजह से कई बार स्कूल आने से भी हिचकती है. छात्राओं ने बताया कि स्कूल में चारदीवारी नहीं होने की वजह से स्कूल के बाहर से मनचले फब्तियां कसते हैं.
क्या कहते हैं प्रिंसिपल
राजकीय कन्या उच्च विद्यालय के प्रिंसिपल सुभाशीष झा बताते हैं कि स्कूल की समस्या को लेकर कई बार विभाग को खत लिख चुका हूं लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है. स्कूल में चारदीवारी नहीं होने से विद्यालय मनचलों का अड्डा बन गया है. इस वजह से अभिभावक अपनी बच्चियों को स्कूल नहीं भेजना चाहते हैं. विद्यालय में नवीं और दसवीं की पढ़ाई होती है और दोनों कक्षाओं में 4-4 सेक्शन हैं लेकिन छात्राओं के बैठने के लिए दो ही कमरे हैं. बैठने की जगह नहीं होने के कारण छात्राएं हाजिरी लगाकर घर चली जाती हैं.
क्या कहते हैं अभिभावक
अभिभावक भारती शर्मा बताती हैं कि उन्हें अपनी बच्ची को स्कूल भेजने में डर लगता है. वहीं, वो यह भी कहती हैं कि स्कूल के पास हमेशा लफंगों का जमावड़ा लगा रहता है. अगर कभी कुछ अनहोनी हो जाती है तो क्या सरकार इसकी जिम्मेदारी लेगी?