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7 मिनट में होगी ट्रेन की सफाई, मधेपुरा में बन रहा है ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट

सहरसा शहर में पहला ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट बनकर तैयार हो गया है. इसमें महज पांच मिनट में ट्रेन की सभी 24 बोगियों के बाहरी हिस्से की धुलाई और सफाई हो जाएगी. सबसे बड़ी बात यह कि सफाई कार्य में लगने वाले 80 प्रतिशत पानी का दोबारा उपयोग हो पाएगा. 80 प्रतिशत पानी रिसाइकिल होकर दोबारा उपयोग में लाया जा सकेगा.

सहरसा
रेल डिवीजन का पहला कोच वाशिंग प्लांट
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Published : Feb 17, 2021, 5:11 PM IST

सहरसा: सहरसा-समस्तीपुर रेल डिवीजन का पहला कोच वाशिंग प्लांट सहरसा में बनकर तैयार हो रहा है. आगामी 20 फरवरी तक कोच वाशिंग प्लांट बनकर पूरी तरह तैयार हो जाएगा.

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7 मिनट में होगी 24 बोगियों की सफाई
कोच वाशिंग प्लांट लग जाने से ट्रेनों के सभी कोच की सफाई मात्र 6 से 7 मिनट के दौरान ही संपन्न हो जाएगी. साथ ही सबसे बड़ा फायदा ट्रेनों की धुलाई में लगने वाले पानी की बचत से होगी. साथ ही धुलाई में खर्च होने वाले समय में होगी. मैनुअली की गई ट्रेन की बाहरी धुलाई में ट्रेन के एक कोच की धुलाई में लगभग 2000 लीटर पानी बर्बाद होते हैं.

सहरसा को मिलेगा पहला कोच वाशिंग प्लांट

जबकि कोच वाशिंग प्लांट से एक कोच की धुलाई में मात्र 300 लीटर पानी ही खर्च होंगे. जिनमें से 80% पानी को पुनः रिसाइक्लिंग के बाद दूसरे कोच की धुलाई में इस्तेमाल किया जा सकता है. इस प्रकार मात्र एक कोच की धुलाई में 60 लीटर पानी ही खर्च होंगे. जिससे रेलवे को बिजली के बिल कम आएंगे. साथ ही पर्यावरण को भी फायदे होंगे.

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'सहरसा स्थित कोच वाशिंग प्लांट की लागत 1 करोड़ 60 लाख रुपए है. जिनमें ट्रैक पर 40 फीट लंबा और 6 फीट चौड़ी जगह का ही इस्तेमाल होता है. वहीं, टैंक लगाने के लिए ट्रैक के बगल में मात्र 5 फीट चौड़ा और 25 फीट लंबे जगह की आवश्यकता पड़ती है. ऐसे में इतने कम जगह और कम लागत पर ट्रेनों के बाहरी सभी कोचों की धुलाई की जाएगी. कोच वाशिंग प्लांट के अंदर 5 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन गुजरेगी. स्टेप बाय स्टेप में पूरी ट्रेन के बाहरी हिस्से की पूरी तरह धुलाई हो जाएगी'. - संजीव कुमार, प्रोजेक्ट इंचार्ज

सहरसा
सहरसा को मिलेगा पहला कोच वाशिंग प्लांट


पानी की खपत भी होगी कम
ट्रेन के एक कोच की लंबाई 23 मीटर होती है. अगर ट्रेन के 24 कोचों की बात करें तो कुल 552 मीटर लंबी ट्रेन होगी. उक्त ट्रेन अगर 5 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से कोच वाशिंग प्लांट के भीतर से गुजरेगी तो मात्र 6 से 7 मिनट में ट्रेन के बाहरी हिस्से की पूरी धुलाई हो जाएगी. निश्चित रूप से यह कोच वाशिंग प्लान्ट रेलवे के लिये काफी लाभदायक होगा. ना सिर्फ कम समय में ट्रेनों की सफाई होगी बल्कि सफाई में लगने वाली पानी की खपत भी कम होगी.

सहरसा: सहरसा-समस्तीपुर रेल डिवीजन का पहला कोच वाशिंग प्लांट सहरसा में बनकर तैयार हो रहा है. आगामी 20 फरवरी तक कोच वाशिंग प्लांट बनकर पूरी तरह तैयार हो जाएगा.

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7 मिनट में होगी 24 बोगियों की सफाई
कोच वाशिंग प्लांट लग जाने से ट्रेनों के सभी कोच की सफाई मात्र 6 से 7 मिनट के दौरान ही संपन्न हो जाएगी. साथ ही सबसे बड़ा फायदा ट्रेनों की धुलाई में लगने वाले पानी की बचत से होगी. साथ ही धुलाई में खर्च होने वाले समय में होगी. मैनुअली की गई ट्रेन की बाहरी धुलाई में ट्रेन के एक कोच की धुलाई में लगभग 2000 लीटर पानी बर्बाद होते हैं.

सहरसा को मिलेगा पहला कोच वाशिंग प्लांट

जबकि कोच वाशिंग प्लांट से एक कोच की धुलाई में मात्र 300 लीटर पानी ही खर्च होंगे. जिनमें से 80% पानी को पुनः रिसाइक्लिंग के बाद दूसरे कोच की धुलाई में इस्तेमाल किया जा सकता है. इस प्रकार मात्र एक कोच की धुलाई में 60 लीटर पानी ही खर्च होंगे. जिससे रेलवे को बिजली के बिल कम आएंगे. साथ ही पर्यावरण को भी फायदे होंगे.

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'सहरसा स्थित कोच वाशिंग प्लांट की लागत 1 करोड़ 60 लाख रुपए है. जिनमें ट्रैक पर 40 फीट लंबा और 6 फीट चौड़ी जगह का ही इस्तेमाल होता है. वहीं, टैंक लगाने के लिए ट्रैक के बगल में मात्र 5 फीट चौड़ा और 25 फीट लंबे जगह की आवश्यकता पड़ती है. ऐसे में इतने कम जगह और कम लागत पर ट्रेनों के बाहरी सभी कोचों की धुलाई की जाएगी. कोच वाशिंग प्लांट के अंदर 5 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन गुजरेगी. स्टेप बाय स्टेप में पूरी ट्रेन के बाहरी हिस्से की पूरी तरह धुलाई हो जाएगी'. - संजीव कुमार, प्रोजेक्ट इंचार्ज

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सहरसा को मिलेगा पहला कोच वाशिंग प्लांट


पानी की खपत भी होगी कम
ट्रेन के एक कोच की लंबाई 23 मीटर होती है. अगर ट्रेन के 24 कोचों की बात करें तो कुल 552 मीटर लंबी ट्रेन होगी. उक्त ट्रेन अगर 5 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से कोच वाशिंग प्लांट के भीतर से गुजरेगी तो मात्र 6 से 7 मिनट में ट्रेन के बाहरी हिस्से की पूरी धुलाई हो जाएगी. निश्चित रूप से यह कोच वाशिंग प्लान्ट रेलवे के लिये काफी लाभदायक होगा. ना सिर्फ कम समय में ट्रेनों की सफाई होगी बल्कि सफाई में लगने वाली पानी की खपत भी कम होगी.

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