सहरसा: बिहार के सहरसा से किसानों का धान उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड बिकने के लिए जा (paddy supply from Bihar in UP and Uttrakhand) रहा है. जी हां, इन दिनों यह चर्चा जोरों पर है. दरअसल, सहरसा में धान अधिप्राप्ति की रफ्तार धीमी है. किसानों का धान पैक्स ले नहीं रहा है. इस कारण किसान औने-पौने दाम पर इसे बाहर के छोटे व्यापारियों को बेच दे रहे हैं. किसानों ने बताया कि यह व्यापारी इन धानों को अधिक मुनाफे के लिए बिहार से गोपालगंज के रास्ते उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में सप्लाई करने वाले व्यापारियों को बेच दे रहे हैं. इस तरह बिहार का धान यूपी और उत्तराखंड में सप्लाई हो रहा है.
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किसानों से धान नहीं खरीद रहा पैक्सः जानकारी हो कि खरीफ विपणन मौसम वर्ष 2022-23 में सहरसा जिले को लगभग 08 लाख एमटी धान खरीदारी का लक्ष्य दिया गया. विभाग की शिथिलता कहें अथवा जानबूझ कर लेटलतीफी, लेकिन अब तक लगभग में 56 लॉट ही किसानों के धान की खरीदारी हो सकी है. जिला सहकारिता पदाधिकारी द्वारा पैक्सों को सीसी समय से नहीं दिया गया. इस कारण किसानों की धान समय से नहीं बिकी और किसान गेहूं की खेती करने के लिए अपने धानों को ओने पौने दामों में बाहर के व्यपारियों के हाथों बेच दिया.
औने-पौने दाम पर बाहर के व्यापारियों को बेच रहे धानः किसान जयराम सिंह बताते हैं कि उनलोगों ने बाहर के व्यापारियों को जो धान बेचा, वह बिहार से गोपालगंज के रास्ते उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में बिक रहा है. किसानों के बीच यही चर्चा है कि मजबूरी में औने-पौने भाव में बेचा गया उनका धान दूसरे राज्यों में ज्यादा कीमत पर बिक रही है. वहीं जब इस बारे में डीसीओ से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि एफआरके के कारण सीएमआर में चावल जमा नही हो रहा है जिस कारण धान खरीदारी की रफ्तार कम हो गयी है. पैक्स को समय से सीसी दिया गया था. एफआरके ही मुख्य वजह है जिस कारण धान की खरीदारी की रफ्तार कम हो गई है
''पैक्स को समय से सीसी दिया गया था. 40 प्रतिशत सीसी उपलब्ध कराया दिया गया था. खरीदारी भी हो रही है. 40 प्रतिशत सीसी एग्जाॅस्ट भी हो गया है. जहां तक बढ़ने की बात है तो हमारे यहां मिलरों के पास एफआरके नहीं है. इस बार 100 प्रतिशत एफआरके चावल ही लेना है. इस कारण परेशानी हो रही है. सीएमआर गिर नहीं रहा है. हमारा साइकिल पूरा नहीं हो रहा है. हमारा पैसा एग्जाॅस्ट हो गया है. नवंबर से ही सीसी उपलब्ध करा दिया गया है. धान खरीदारी की रफ्तार कम होने की मुख्य वजह एफआरके की कमी है. इस वजह से रोटेशन नहीं हो रहा. रोटेशन होगा, उसका सीएमआर जमा होगा. तब हमलोगों के पास पैसा आएगा'' - शिव शंकर कुमार, डीसीओ