सहरसा: आनंद मोहन की रिहाई की खुशी में सहरसा के पंचगछिया में बिना आनंद मोहन के ही भव्य रोड शो निकाला गया. इस रैली की अगुवाई आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद कर रहे थे. रैली में कई गाड़ियां और स्थानीय लोगों का हुजूम उमड़ा हुआ था. गाड़ियों पर पोस्टर लगा हुआ था 'आभार बिहार सरकार'. चेतन आनंद का स्थानीय लोगों ने जोरदार स्वागत किया. उन्होंने मंच से लोगों को संबोधित करते हुए अपने पिता की रिहाई की बात साझा की और कहा कि मांगलिक कार्यों में सब कुछ शुभ ही शुभ हो रहा है. इसलिए हमलोग नेगेटिव बातों पर कोई चर्चा नहीं करेंगे. उन्होंने ये जरूर कहा कि अन्य मुद्दों पर 3 मई के बाद चर्चा करेंगे कि पिता आनंद मोहन क्या फैसला लेते हैं.
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''फिलहाल हमें इस पावन अवसर पर हमें सभी का आशीर्वाद चाहिए. हम तीन मई के बाद इस विषय पर चर्चा करेंगे. पिता जी की रिहाई हो चुकी है. ये खुशी का पल है. घर में मांगलिक कार्य है इसलिए हम सभी नेगेटिव बातों पर चर्चा नहीं करेंगे.''- चेतन आनंद, आरजेडी, एमएलए
बिना रोड शो के गांव पहुंचे फिर पटना रवाना: गौरतलब है कि बाहुबली आनंद मोहन की आज सुबह ही सहरसा जेल से रिहाई हुई. जेल से रिहा होते ही उन्होंने अपने समर्थकों को संदेश दिया. इसी क्रम में चेतन आनंद ने सहरसा के पंचगछिया में मां भगवती के मंदिर प्रांगण में पहुंचकर लोगों का आशीर्वाद लिया. आनंद मोहन चुपचाप बिना रोड शो किए ही अपने गांव पहुंचे जहां से सीधे पटना की ओर रवाना हो गए. उनके जाने के बाद जानकारी देते हुए चेतन आनंद ने लोगों को बताया कि उनके पिता आनंद मोहन यहां नहीं पहुंचे वो पटना की ओर रवाना हो गए हैं.
आनंद मोहन की रिहाई से समर्थक खुश: आनंद मोहन को गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया हत्याकांड में दोषी पाया गया था. उन्हें 20 साल की आजीवन कारावास की सजा दी गई थी. उनकी सजा से परिहार किया गया. 14 साल की सजा काटने के बाद सरकार ने उनकी रिहाई सुनिश्चित कर दी. उनकी रिहाई को लेकर बीजेपी समेत दूसरी पार्टियों ने सवाल भी उठाए. जी कृष्णैया के परिवार ने भी आपत्ति जताई है. वो इस फैसले के खिलाफ कोर्ट का रुख करने की भी बात कर रही हैं.
''राज्य सरकार की ओर से मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने भी आनंद मोहन के परिहार को कानून सम्मत करार दिया. उन्होंने कहा कि आनंद मोहन की रिहाई कानून के मुताबिक हुई है. उन्होंने 15 साल से ज्यादा की सजा काटी है. रिहाई के लिए परिहार परिषद की 6 साल में 22 बैठकें आयोजित की गईं थी इनमें 698 कैदियों को छोड़े जाने की सहमति बनी थी. सरकार ने नियमों में संशोधन करके कुछ भी गलत नहीं किया है''- आमिर सुबहानी, मुख्य सचिव, बिहार