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Saharsa News सहरसा की बेटी लक्ष्मी झा ने किया कमाल, किलिमंजारो की चोटी पर फहराया तिरंगा

बिहार की बेटी लक्ष्मी झा ने विश्व की चौथी और अफ्रीका की सबसे ऊंची पर्वत श्रृंखला पर भारतीय ध्वज फहराया है. लक्ष्मी झा बिहार के सहरसा जिले के बनगांव की रहने वाली है. 7 मार्च को पर्वत श्रृंखला पर चढ़ाई के लिए उन्होंने शुरुआत की थी. लक्षमी की इस कामयाबी पर उनके गांव बनगांव में खुशियों की लहर है.

लक्ष्मी ने किलिमंजारो की चोटी पर लहराया तिरंगा
लक्ष्मी ने किलिमंजारो की चोटी पर लहराया तिरंगा
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Published : Mar 10, 2023, 10:48 AM IST

सहरसाः बिहार के कोसी क्षेत्र सहरसा जिले की बेटी ने एक बार फिर नया रिकॉर्ड बनाया है. अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति की बदौलत बिहार की बेटी लक्ष्मी झा ने मात्र 36 घंटे में 19341 फीट ऊंचाई तय कर दक्षिण अफ्रीका में दुनिया के चौथे सबसे ऊंचे पर्वत किलिमंजारो पर भारत का झंडा लहराया है. इससे पहले लक्ष्मी ने नवंबर 2022 में सिर्फ 9 दिन के अंतराल में नेपाल के काला पत्थर पिक और माउंट एवरेस्ट बेस कैंप तक पहुंचकर तिरंगा फहराया था.

ये भी पढ़ेंः बिहार की बेटी लक्ष्मी झा ने रचा इतिहास, माउंट एवरेस्ट बेस कैंप पर लहराया तिरंगा

लक्ष्मी ने किलिमंजारो की चोटी पर लहराया तिरंगाः आपको बता दें कि अफ्रिका का किलिमंजारो पर्वत तीन ज्वालामुखीय शंकु है. जो अफ्रीका का सबसे उंचा पर्वत है. यह समुद्र तल से 5,895 मीटर 19,341 फीट ऊंचा है. लक्ष्मी ने अब तक के सबसे कम समय में किलिमंजारो की चोटी का सफर तय करने में कामयाब रहीं, जो देश स्तर पर एक रिकॉर्ड है. पर्वतारोही लक्ष्मी ने कई बार अपने इन्हीं कारनामों की बदौलत बिहार और कोसी क्षेत्र का नाम रोशन किया है. सहरसा के बनगांव के रहने वाले स्व. बिनोद झा और सरिता देवी की बेटी लक्ष्मी अपने सभी भाई बहनों में सबसे छोटी है.

गांव में हुई शुरूआती शिक्षाः लक्षमी की शुरूआती शिक्षा मौजेलाल शर्मा राम मध्यविद्यालय, माध्यमिक शिक्षा फूलदाय कन्या उच्च विद्यालय बनगांव सहरसा में हुई. इसके बाद उसने उसने उच्च शिक्षा रमेश झा कॉलेज से हासिल की. पढ़ाई खत्म करने के बाद उन्हें 2019 में सचिवालय की नौकरी मिली. उसके बाद उन्होंने एवरेस्ट फतह करने का अपना सपना पूरा करने के लिए उत्तराखंड के नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग में एडमिशन लिया. यहां उनकी मुलाकात हरियाणा में पदस्थ डीएसपी अनिता कुंडुन से हुई. उसके बाद अनिता कुंडुन के मार्गदर्शन से वो आगे बढ़ती रहीं.

2022 में माउंट एवरेस्ट बेस पर पहुंचीः पिछले साल 2022 में ही लक्षमी ने नेपाल में काला पत्थर चोटी और माउंट एवरेस्ट बेस कैंप की चढ़ाई पूरी कर वहां भारत का तिरंगा लहराया. हालांकि वो एवरेस्ट की चोटी पर नहीं पहुंच सकीं, क्योंकि वहां पहुंचने के लिए 40 से 45 लाख रुपये खर्च कर कड़े अभ्यास की जरूरत होती है. लेकिन लक्षमी के हौसलें अभी बुलंद हैं. वो कहती है कि उन्हें आर्थिक मदद मिली तो वह एक दिन एवरेस्ट की चोटी पर भी पहुंचकर तिरंगा जरूर फहराएंगी.

सहरसाः बिहार के कोसी क्षेत्र सहरसा जिले की बेटी ने एक बार फिर नया रिकॉर्ड बनाया है. अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति की बदौलत बिहार की बेटी लक्ष्मी झा ने मात्र 36 घंटे में 19341 फीट ऊंचाई तय कर दक्षिण अफ्रीका में दुनिया के चौथे सबसे ऊंचे पर्वत किलिमंजारो पर भारत का झंडा लहराया है. इससे पहले लक्ष्मी ने नवंबर 2022 में सिर्फ 9 दिन के अंतराल में नेपाल के काला पत्थर पिक और माउंट एवरेस्ट बेस कैंप तक पहुंचकर तिरंगा फहराया था.

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लक्ष्मी ने किलिमंजारो की चोटी पर लहराया तिरंगाः आपको बता दें कि अफ्रिका का किलिमंजारो पर्वत तीन ज्वालामुखीय शंकु है. जो अफ्रीका का सबसे उंचा पर्वत है. यह समुद्र तल से 5,895 मीटर 19,341 फीट ऊंचा है. लक्ष्मी ने अब तक के सबसे कम समय में किलिमंजारो की चोटी का सफर तय करने में कामयाब रहीं, जो देश स्तर पर एक रिकॉर्ड है. पर्वतारोही लक्ष्मी ने कई बार अपने इन्हीं कारनामों की बदौलत बिहार और कोसी क्षेत्र का नाम रोशन किया है. सहरसा के बनगांव के रहने वाले स्व. बिनोद झा और सरिता देवी की बेटी लक्ष्मी अपने सभी भाई बहनों में सबसे छोटी है.

गांव में हुई शुरूआती शिक्षाः लक्षमी की शुरूआती शिक्षा मौजेलाल शर्मा राम मध्यविद्यालय, माध्यमिक शिक्षा फूलदाय कन्या उच्च विद्यालय बनगांव सहरसा में हुई. इसके बाद उसने उसने उच्च शिक्षा रमेश झा कॉलेज से हासिल की. पढ़ाई खत्म करने के बाद उन्हें 2019 में सचिवालय की नौकरी मिली. उसके बाद उन्होंने एवरेस्ट फतह करने का अपना सपना पूरा करने के लिए उत्तराखंड के नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग में एडमिशन लिया. यहां उनकी मुलाकात हरियाणा में पदस्थ डीएसपी अनिता कुंडुन से हुई. उसके बाद अनिता कुंडुन के मार्गदर्शन से वो आगे बढ़ती रहीं.

2022 में माउंट एवरेस्ट बेस पर पहुंचीः पिछले साल 2022 में ही लक्षमी ने नेपाल में काला पत्थर चोटी और माउंट एवरेस्ट बेस कैंप की चढ़ाई पूरी कर वहां भारत का तिरंगा लहराया. हालांकि वो एवरेस्ट की चोटी पर नहीं पहुंच सकीं, क्योंकि वहां पहुंचने के लिए 40 से 45 लाख रुपये खर्च कर कड़े अभ्यास की जरूरत होती है. लेकिन लक्षमी के हौसलें अभी बुलंद हैं. वो कहती है कि उन्हें आर्थिक मदद मिली तो वह एक दिन एवरेस्ट की चोटी पर भी पहुंचकर तिरंगा जरूर फहराएंगी.

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