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5 दिनों से पंजाब पलायन करना चहते हैं मजदूर, ट्रेन में लटकने के लिए भी नहीं मिलती जगह - farmers

मजदूरों ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार चुनाव में सिर्फ वादा करती है. लेकिन, चुनाव जीतते ही सबकुछ भूल जाती है. बेरोजगारी का आलम ऐसा है कि लोगों को दो वक्त की रोटी नहीं जुटा पा रहे हैं.

मजदूर
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Published : Jun 14, 2019, 1:09 PM IST

सहरसा: जिले में बेरोजगारी को लेकर मजदूर फिर से पलायन करने को मजबूर हैं. रोजगार की तालाश में लोग पंजाब में पलायन कर रहे हैं. सहरसा स्टेशन पर करीब तीन हजार पलायनकर्ता भेड़-बकरियों की तरह ट्रेन आने का इतजार कर रहे हैं. आलम यह है कि पिछले पांच दिनों से मजदूर स्टेशन पर ट्रेन की तालाश में हैं. ट्रेन में भीड़ होने की वजह से मजदूर पलायन नहीं कर पा रहे हैं.

saharsa
ट्रेन में बैठे मजदूर
पंजाब कर रहे पलायन
पलायन कर रहे लोगों का कहना है कि पिछले पांच दिनों से स्टेशन पर दिन काटना पड़ रहा है. ट्रेन में जगह नहीं होने के कारण रोजगार की तालाश में बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. उन्होंने सकरार पर आरोप लगाते हुए कहा कि बिहार सरकार ने रोड मैप में कहा था की यहां रोजगार का सृजन करेंगे और बिहार से हो रहे पलायन को कम करेंगे. लेकिन, आज भी स्थिति जस के तस बनी हुई है. एक मजदूर ने कहा कि बिहार में रोजगार नहीं होने के कारण वह पंजाब में काम करने के लिए जा रहा है. वहां जाकर किसानी करेंगे. इस मंहगाई में घर नहीं चल पा रहा है.

मजदूरों का सरकार पर आरोप
सहरसा से अमृतसर तक जाने वाली जनसेवा एक्सप्रेस ट्रेन के लिए इंतजार कर रहे लोगों ने बताया कि घर में छोटे-छोटे बच्चे हैं. अगर काम नहीं करेंगे तो बच्चों का भविष्य कैसे बनाएंगे. उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार चुनाव में सिर्फ वादा करती है. लेकिन, चुनाव जीतते ही सबकुछ भूल जाती है. बेरोजगारी का आलम ऐसा है कि लोगों को दो वक्त की रोटी नहीं जुटा पा रहे हैं.

बड़ी संख्या में पंजाब पलायन कर रहे लोग

पहले भी कर चुके हैं पलायन
आपको बता दें कि विगत दिनों पहले भी बड़ी तादाद में यहां से मजदूरों ने पलायन किया था. शहर में बढ़ रही बेरोजगारी से मजदूर भूखा सोने को मजबूर हैं. सरकार की इस लचर व्यवस्था से गरीबों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है.

सहरसा: जिले में बेरोजगारी को लेकर मजदूर फिर से पलायन करने को मजबूर हैं. रोजगार की तालाश में लोग पंजाब में पलायन कर रहे हैं. सहरसा स्टेशन पर करीब तीन हजार पलायनकर्ता भेड़-बकरियों की तरह ट्रेन आने का इतजार कर रहे हैं. आलम यह है कि पिछले पांच दिनों से मजदूर स्टेशन पर ट्रेन की तालाश में हैं. ट्रेन में भीड़ होने की वजह से मजदूर पलायन नहीं कर पा रहे हैं.

saharsa
ट्रेन में बैठे मजदूर
पंजाब कर रहे पलायन
पलायन कर रहे लोगों का कहना है कि पिछले पांच दिनों से स्टेशन पर दिन काटना पड़ रहा है. ट्रेन में जगह नहीं होने के कारण रोजगार की तालाश में बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. उन्होंने सकरार पर आरोप लगाते हुए कहा कि बिहार सरकार ने रोड मैप में कहा था की यहां रोजगार का सृजन करेंगे और बिहार से हो रहे पलायन को कम करेंगे. लेकिन, आज भी स्थिति जस के तस बनी हुई है. एक मजदूर ने कहा कि बिहार में रोजगार नहीं होने के कारण वह पंजाब में काम करने के लिए जा रहा है. वहां जाकर किसानी करेंगे. इस मंहगाई में घर नहीं चल पा रहा है.

मजदूरों का सरकार पर आरोप
सहरसा से अमृतसर तक जाने वाली जनसेवा एक्सप्रेस ट्रेन के लिए इंतजार कर रहे लोगों ने बताया कि घर में छोटे-छोटे बच्चे हैं. अगर काम नहीं करेंगे तो बच्चों का भविष्य कैसे बनाएंगे. उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार चुनाव में सिर्फ वादा करती है. लेकिन, चुनाव जीतते ही सबकुछ भूल जाती है. बेरोजगारी का आलम ऐसा है कि लोगों को दो वक्त की रोटी नहीं जुटा पा रहे हैं.

बड़ी संख्या में पंजाब पलायन कर रहे लोग

पहले भी कर चुके हैं पलायन
आपको बता दें कि विगत दिनों पहले भी बड़ी तादाद में यहां से मजदूरों ने पलायन किया था. शहर में बढ़ रही बेरोजगारी से मजदूर भूखा सोने को मजबूर हैं. सरकार की इस लचर व्यवस्था से गरीबों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है.

Intro:सहरसा..पलायन की रफ्तार इस तरह तेज है कि सहरसा स्टेशन पर जिधर देखें उधर मजदूर यात्री की ही भीड़ नजर आ रही है।पिछले एक सप्ताह से लगातार यहाँ से मजदूरों का पलायन व्यापक पैमाने पर हो रहा है,उसके बाबजूद भी भीड़ कम नही हो रही है।सहरसा जंक्शन पर अभी भी करीब तीन हजार से ज्यादा मजदूर ट्रैन में जगह पाने की आस में बैठे हुए है।इनमें से कई ऐसे मजदूर भी है जो पिछले पाँच दिनों से किसी ट्रैन में जगह नही पा रहे है और अपनी यात्रा अगले दिन पर टाले जा रहे है।


Body:कोशी से मजदूरों का पलायन कोई नई बात नही है।ये पिछले कई दशक से मजदूरी के लिए अन्यत्र जाते रहे है।कोशी सहित आसपास के इलाके में कोई स्थायी रोजगार नही रहने के कारण पैसे कमाने के लिए सीजनल खेती में बाहर जाना ई की मजबूरी है।सहरसा से अमृतसर तक जाने वाली जनसेवा एक्सप्रेस इन्हें सीधा इनके मंजिल तक पहुंचा देता है,लेकिन मजदूरों की बढ़ती संख्या के सामने रोज खुलने वाली बाइस बोगियों की यह ट्रेन भी नाकाफी साबित हो रही है।हजारो मजदूर के जाने के बाद भी हजारो यही पड़े राह जाते है।मजदूर से बात करने पर उन्होंने बताया कि टिकट कटाते है और जगह नही मिलने पर उसे वापस कर देते है,उसमे भी पैसा कट जाता है।रास्ते मे खाने के लिए घर से लाया हुआ नास्ता भी खत्म हो जाता है,अब तो इतने पैसे भी नही है कि टिकट भी कटा सके।लेकिन बच्चे के लिए जाना भी मजबूरी है।




Conclusion:सवाल यह है कि जब सरकार इनलोगो को यहाँ रोजगार उपलब्ध नही करा सकती और पलायन को कोई दोष नही मानती,तो खेती के सीजन में इनके लिए पर्याप्त संख्या में स्पेशल ट्रेन की व्यवस्था क्यों नही करती है।इनके लिए सुरक्षित और आरामदेह यात्रा की व्यवस्था क्यों नही करती।आखिर ये मजदूर भी तो टिकट के रूप में सरकार को काफी राजस्व देती है।
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