सहरसाः बिहार में शराबबंदी के बाद भी न शराब की बिक्री बंद हुई और न ही पीने वालों में कमी आई. लाख कोशिशों के बादजूद पुलिस ने शराब तस्करी पर पूर्णतः रोक नहीं लगा पाई. बिहार के सहरसा के एक गांव के लोगों ने खुद एक कमेटी बनाकर गांव को नशा मुक्त बनाने का संकल्प (anti drug campaign) लिया है. इसको लेकर कमेटी के सदस्यों ने पुलिस पदाधिकारियों से मुलाकात की.
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नशा विरोधी अभियान की शुरुआतः दरअसल, सरहसा बस्ती के रहने वाले लोगों ने नशा विरोधी अभियान की शुरुआत की है. उन्होंने बताया कि सहरसा बस्ती में नशेड़ियों ने उत्पात मचा रखा है. इसमें ऐसे लोग शामिल हैं, जो कॉलेज का छात्र या फिर कामकाजी युवा और बेरोजगार हैं. ये लोग नशा करने के साथ-साथ नशा कारोबार का बड़ा नेटवर्क फैला रखा है. समाज व मुहल्ले की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए लोगों ने इसका विरोध करने का फैसला लिया. इसके लिए कमेटी बनाई गई है.
"हमारा इलाका नशा की चपेट में है. मेडिकल, इंजीनियरिंग या फिर विभिन्न लॉज में रहने वाले सभी नशे के आदी हो चुके हैं. हर गली मोहल्ले में नशे का कारोबार बढ़ गया है. इसी को रोकने के लिए हमलोगों ने बैठक कर एक कमेटी गठित की है. पुलिस के सहयोग से वैसे स्थानों को चिह्नित कर छापेमारी करवाएंगे, जहां नशा का कारोबार होता है. जागरूकता रैली निकाल कर लोगों को नशा की बुराइयों से अवगत कराएंगे." -जावेद, अधिवक्ता
घातक बीमारियों से ग्रषित हो रहे लोगः समाजसेवी जफर इमाम की माने तो नशे के कारण लोग विभिन्न घातक बीमारियों से ग्रषित होकर असमय काल के गाल में समा रहे हैं. इसके कारण ही समाज में तनाव व वैमनस्यता के अलावे पति-पत्नी या फिर अन्य के बीच झगड़े हो रहे हैं. इसी बुराई को खत्म करने के लिए कमेटी का गठन कर अभियान शुरू किया गया है. इसके लिए पुलिस पदाधिकारियों से मदद मांगी गई है. इसको लेकर थानाध्यक्ष ने भी सहयोग करने की बात कही.
"इनलोगों द्वारा चलाए गए जागरूकता अभियान में पूर्ण सहयोग के अलावे नशा कारोबारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. नशा उन्मूलन के लिए जो कदम उठाना पड़ेगा वह किया जाएगा. समाज व शहर को नशा मुक्त बनाया जाएगा." -सुधाकर कुमार, थानाध्यक्ष, सदर