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उग्रतारा स्थान में नवरात्र की अष्टमी को उमड़ती है श्रद्धालुओं की भीड़, तंत्रोक्त विधि से होती है पूजा - Navratri Pooja 2022

सहरसा के महिषी प्रखंड में शक्ति पीठ (Shakti Peeth In Mahishi Block) के नाम से मशहूर उग्रतारा स्थान नवरात्र के अष्ठमी के दिन श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. इस शक्ति पीठ में अवस्थित भगवती तीनों स्वरूप उग्रतारा, नील सरस्वती और एकजटा के रूप में विद्यमान हैं.

श्रद्धालुओं की भीड़
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Published : Sep 28, 2022, 10:00 AM IST

Updated : Sep 28, 2022, 1:12 PM IST

सहरसा: बिहार के सहरसा जिले से 16 किलो मीटर दूर स्थित महिषी प्रखंड में शक्ति पीठ (Shakti Peeth In Mahishi Block) के नाम से उग्रतारा स्थान प्रसिद्ध है. जहां हर दिन दो बार उग्रतारा मां का श्रृंगार पूजा और आरती होती है. खासकर इस मंदिर में नवरात्रा में अष्ठमी के दिन श्रद्धालुओं (Devotees Gathers In Ugratara Asthan On Navratri) की भीड़ लगती है. इस मंदिर में बिहार के अलावे नेपाल से भी और बंगाल से भी साधक और श्राद्धालु आते हैं.

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तंत्र साधना करने वाले भी यहां पहुंचते हैंः इस मंदिर का निर्माण सन 1735 ई. में रानी पद्मावती ने कराया था. यह स्थल पर्यटन विभाग के मानचित्र पर है. यहां वैदिक विधि से मां उग्रतारा की पूजा होती है, लेकिन खासकर नवरात्र में तंत्रोक्त विधि से पूजा होती है. दरअसल महिषी में अवस्थित भगवती तीनों स्वरूप उग्रतारा, नील सरस्वती एवं एकजटा के रूप में विद्यमान हैं. ऐसी मान्यता है कि बिना उग्रतारा के आदेश के तंत्र सिद्धि पूरी नहीं होती है. यही कारण है कि तंत्र साधना करने वाले लोग यहां जरूर आते हैं.

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नवरात्र में उमड़ती है भीड़ः खासकर नवरात्रा में अष्टमी के दिन यहां साधकों की भीड़ उमड़ पड़ती है. मान्यता ये भी है कि ऋषि वशिष्ठ ने उग्र तप की बदौलत भगवती को प्रसन्न किया था. उनके प्रथम साधक की इस कठिन साधना के कारण ही भगवती वशिष्ठ अराधिता उग्रतारा के नाम से जानी जाती है. मान्यता ये भी है कि ऋषि वशिष्ठ ने उग्र तप की बदौलत भगवती को प्रसन्न किया था उनके प्रथम साधक की इस कठिन साधना के कारण ही भगवती वशिष्ठ अराधिता उग्रतारा के नाम से जानी जाती है.

सहरसा: बिहार के सहरसा जिले से 16 किलो मीटर दूर स्थित महिषी प्रखंड में शक्ति पीठ (Shakti Peeth In Mahishi Block) के नाम से उग्रतारा स्थान प्रसिद्ध है. जहां हर दिन दो बार उग्रतारा मां का श्रृंगार पूजा और आरती होती है. खासकर इस मंदिर में नवरात्रा में अष्ठमी के दिन श्रद्धालुओं (Devotees Gathers In Ugratara Asthan On Navratri) की भीड़ लगती है. इस मंदिर में बिहार के अलावे नेपाल से भी और बंगाल से भी साधक और श्राद्धालु आते हैं.

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तंत्र साधना करने वाले भी यहां पहुंचते हैंः इस मंदिर का निर्माण सन 1735 ई. में रानी पद्मावती ने कराया था. यह स्थल पर्यटन विभाग के मानचित्र पर है. यहां वैदिक विधि से मां उग्रतारा की पूजा होती है, लेकिन खासकर नवरात्र में तंत्रोक्त विधि से पूजा होती है. दरअसल महिषी में अवस्थित भगवती तीनों स्वरूप उग्रतारा, नील सरस्वती एवं एकजटा के रूप में विद्यमान हैं. ऐसी मान्यता है कि बिना उग्रतारा के आदेश के तंत्र सिद्धि पूरी नहीं होती है. यही कारण है कि तंत्र साधना करने वाले लोग यहां जरूर आते हैं.

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नवरात्र में उमड़ती है भीड़ः खासकर नवरात्रा में अष्टमी के दिन यहां साधकों की भीड़ उमड़ पड़ती है. मान्यता ये भी है कि ऋषि वशिष्ठ ने उग्र तप की बदौलत भगवती को प्रसन्न किया था. उनके प्रथम साधक की इस कठिन साधना के कारण ही भगवती वशिष्ठ अराधिता उग्रतारा के नाम से जानी जाती है. मान्यता ये भी है कि ऋषि वशिष्ठ ने उग्र तप की बदौलत भगवती को प्रसन्न किया था उनके प्रथम साधक की इस कठिन साधना के कारण ही भगवती वशिष्ठ अराधिता उग्रतारा के नाम से जानी जाती है.

Last Updated : Sep 28, 2022, 1:12 PM IST
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