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छठ में पानी फल का है खास महत्व, कम मुनाफे की वजह से किसानों को सरकारी मदद की आस

किसानों ने बताया कि सरकार की तरफ से इसके लिए कोई सब्सिडी भी नहीं दी जाती है. छठ के मौके पर इसकी कीमत ठीक मिलती है, लेकिन इसके बाद इसकी कीमत बाजार में कम होने लगती है.

छठ के लिए किसान कर रहे हैं पानी फल की खेती
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Published : Oct 20, 2019, 6:21 PM IST

रोहतासः जिले में महापर्व छठ की तैयारियां जोर-शोर से चल रही है. किसान भी अब पानी फल यानी सिंघाड़े की खेती करने में लगे हुए हैं. इसमें मेहनत ज्यादा और मुनाफा कम होने से किसानों के चेहरे पर मायूसी झलक रही है.

6 महीने के बाद तैयार होता है पानी फल
सिंघाड़े की खेती में 6 महीने की कड़ी मशक्कत के बाद पानी फल तैयार होता है. इसमें किसानों को काफी मेहनत करनी पड़ती है. दिन-रात पानी के अंदर रहकर इसे तैयार किया जाता है. सासाराम के रहने वाले किसान वीरेंद्र कुमार ने बताया कि वो इसकी खेती दूसरे की जमीन पर कर रहे हैं. इसमें मुनाफा मेहनत के हिसाब से नहीं मिल पाता है.

rohtas
पानी फल

नहीं मिलती है सब्सिडी
किसानों ने बताया कि सरकार की तरफ से इसके लिए कोई सब्सिडी भी नहीं दी जाती है. छठ के मौके पर इसकी कीमत ठीक मिलती है, लेकिन इसके बाद इसकी कीमत बाजार में कम होने लगती है, जिससे किसानों को मुश्किल से आमदनी होती है.

छठ के लिए किसान कर रहे हैं पानी फल की खेती

सरकार से मदद की आस
बहरहाल जिस तरह से किसानों के चेहरे पर मायूसी है, उससे साफ जाहिर है कि पानी फल की खेती में उन्हें मुनाफा नहीं हो रहा है, उन्हें अब सरकार से इस ओर ध्यान देने की उम्मीद है.

रोहतासः जिले में महापर्व छठ की तैयारियां जोर-शोर से चल रही है. किसान भी अब पानी फल यानी सिंघाड़े की खेती करने में लगे हुए हैं. इसमें मेहनत ज्यादा और मुनाफा कम होने से किसानों के चेहरे पर मायूसी झलक रही है.

6 महीने के बाद तैयार होता है पानी फल
सिंघाड़े की खेती में 6 महीने की कड़ी मशक्कत के बाद पानी फल तैयार होता है. इसमें किसानों को काफी मेहनत करनी पड़ती है. दिन-रात पानी के अंदर रहकर इसे तैयार किया जाता है. सासाराम के रहने वाले किसान वीरेंद्र कुमार ने बताया कि वो इसकी खेती दूसरे की जमीन पर कर रहे हैं. इसमें मुनाफा मेहनत के हिसाब से नहीं मिल पाता है.

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पानी फल

नहीं मिलती है सब्सिडी
किसानों ने बताया कि सरकार की तरफ से इसके लिए कोई सब्सिडी भी नहीं दी जाती है. छठ के मौके पर इसकी कीमत ठीक मिलती है, लेकिन इसके बाद इसकी कीमत बाजार में कम होने लगती है, जिससे किसानों को मुश्किल से आमदनी होती है.

छठ के लिए किसान कर रहे हैं पानी फल की खेती

सरकार से मदद की आस
बहरहाल जिस तरह से किसानों के चेहरे पर मायूसी है, उससे साफ जाहिर है कि पानी फल की खेती में उन्हें मुनाफा नहीं हो रहा है, उन्हें अब सरकार से इस ओर ध्यान देने की उम्मीद है.

Intro:रोहतास. जिले में छठ की तैयारी को लेकर किसान अब पानी फल यानी सिंगाड़े की खेती करने में लगे हुए है। लेकिन किसानों के चेहरे पर मायूसी झलक रही है।


Body:छठ की तैयारी को लेकर रोहतास के किसान छठ व्रती के लिए पानी फल या नहीं सिंघाड़े की खेती करने में लगे हुए हैं। 6 महीने की कड़ी मशक्कत के बाद पानी फल तैयार किया जाता है। खेती करने में किसानों को काफी मेहनत करनी पड़ती है। दिन-रात पानी के अंदर रहकर पानी फल यानी सिंघाड़ा को तैयार किया जाता है ताकि छठ में इसे छठव्रती के लिए इसे बाजार में उतारा जा सके। सासाराम के रहने वाले किसान वीरेंद्र कुमार इसकी खेती दूसरे की जमीन पर कर रहे हैं। वहीं किसान वीरेंद्र कुमार ने बताया कि खेती में मुनाफा मेहनत के हिसाब से नहीं मिल पाता है। वही किसान का यह भी कहना था कि सरकार की तरफ से न कोई सब्सिडी नहीं दिया जाता है ताकि वह अपनी खेती को और मजबूती से कर सकें। उन्हें छठ के मौके पर इसकी कीमत अधिक मिल जाती है लेकिन छठ के बाद सिंगाड़े की कीमत बाजार में कम हो जाती है यानी किसान बमुश्किल आमदनी कर पाता है। वही किसान ने यह भी बताया कि खेती करने में उन्हें दिन-रात कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। पानी के अंदर रहना पड़ता है जिससे उसके शरीर को भी नुकसान पहुंचता है। वहीं किसान ने बताया कि खेती करने में दुगनी आमदनी भी इस खेती को करने में नहीं हो पा रही है। ऐसे में कामकाज नहीं होने की वजह से इसे मजबूरी में इस खेती को करना पड़ रहा है। वहीं किसान ने बताया कि 6 महीने की मशक्कत के बाद फल तैयार होता है। जिसके बाद छठ जैसे महान पर्व में इसे बाजार में बेचा जाता है। उस वक्त इसकी मांग अधिक होती है और मुनाफा भी अधिक हो पाता है।


Conclusion:बहरहाल जिस तरह से किसान के चेहरे पर मायूसी है उससे साफ जाहिर है कि पानी फल जैसे खेती करने पर किसानों को मुनाफा नहीं हो रहा है। लिहाजा सरकार को इस पर तवज्जो देनी चाहिए ताकि किसान इसकी खेती में मुनाफा कर सके।

बाइट। किसान वीरेंद्र कुमार
पीटीसी
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