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BJP नेत्री का कुशवाहा पर तंज, 'ना घर के रहे, न घाट के'

बीजेपी नेत्री निवेदिता सिंह ने उपेंद्र कुशवाहा पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि धर्म और जात के नाम पर वोट मांगने वालों को जनता इस बार सबक सिखाने का काम की है.

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Published : May 25, 2019, 11:51 PM IST

निवेदिता सिंह

रोहतास: एनडीए को आपार बहुमत मिलने से बीजेपी के सभी नेता काफी उत्साहित हैं. बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष निवेदिता सिंह ने रालोसपा उपाध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा पर तंज कसी हैं. उन्होंने कहा है कि कुशवाहा खुद दो सीटों से चुनाव लड़े एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं कर सके. इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है?

निवेदिता सिंह ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा ना घर के रहें और न घाट के रहे. 2014 के लोकसभा चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी ने तीन सीटों पर बिहार में चुनाव लड़ा था. उस वक्त वे एनडीए में शामिल थे. उन्हें तीनों सीटों पर जीत मिली थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनका सम्मान करते हुए उन्हें मंत्री तक का ताज पहनाया था.

बीजेपी नेत्री निवेदिता सिंह का बयान

उपेंद्र कुशवाहा दोनों सीटों से हार गए
इस चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा एनडीए को त्यागकर महागठबंधन में शामिल हो गए. इससे नतीजा यह हुआ कि एक भी सीट जीत नहीं सके. खुद भी दो सीटों से चुनाव लड़े थे, लेकिन एक भी सीट पर कामयाब नहीं हो सके. इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है? नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता इस बात की गवाही दे रही है कि जो धर्म और जात के नाम पर वोट मांगने का काम कर रहे थे, जनता ने उसको सबक सिखाने का काम की है.

रोहतास: एनडीए को आपार बहुमत मिलने से बीजेपी के सभी नेता काफी उत्साहित हैं. बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष निवेदिता सिंह ने रालोसपा उपाध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा पर तंज कसी हैं. उन्होंने कहा है कि कुशवाहा खुद दो सीटों से चुनाव लड़े एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं कर सके. इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है?

निवेदिता सिंह ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा ना घर के रहें और न घाट के रहे. 2014 के लोकसभा चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी ने तीन सीटों पर बिहार में चुनाव लड़ा था. उस वक्त वे एनडीए में शामिल थे. उन्हें तीनों सीटों पर जीत मिली थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनका सम्मान करते हुए उन्हें मंत्री तक का ताज पहनाया था.

बीजेपी नेत्री निवेदिता सिंह का बयान

उपेंद्र कुशवाहा दोनों सीटों से हार गए
इस चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा एनडीए को त्यागकर महागठबंधन में शामिल हो गए. इससे नतीजा यह हुआ कि एक भी सीट जीत नहीं सके. खुद भी दो सीटों से चुनाव लड़े थे, लेकिन एक भी सीट पर कामयाब नहीं हो सके. इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है? नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता इस बात की गवाही दे रही है कि जो धर्म और जात के नाम पर वोट मांगने का काम कर रहे थे, जनता ने उसको सबक सिखाने का काम की है.

Intro:रोहतास। काराकाट लोकसभा क्षेत्र से पूर्व मंत्री व रालोसपा सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा की करारी हार मिलने के बाद बीजेपी ने उनपर जमकर चुटिया लेना शुरू कर दिया है।


Body:गौरतलब है कि बिहार में जिस तरह से महागठबंधन का सपुड़ा साफ हो गया। वाकई लगता है कि बिहार में महागठबंधन पर कोई विनाशकारी प्रलय टूट पड़ा है।महागठबंधन के घटक दलों ने पूरे बिहार में अपना वजूद खो दिया। इतना ही नहीं पूरे बिहार में महागठबंधन अपने घटक दलों के साथ 40 सीटों पर चुनाव लड़ रही थी। लेकिन मोदी की सुनामी में महागठबंधन के नेता को चारों चित की खानी पड़ी। वहीं महज एक सीट पर ही महागठबंधन से कांग्रेस के उम्मीदवार ने जीत दर्ज कर बिहार में महागठबंधन की लाज बचा ली। सबसे अहम बात यह है कि काराकाट से चुनाव लड़ रहे उपेंद्र कुशवाहा भी महाबली सिंह के आगे घुटने टेकने को मजबूर हो गए। उपेंद्र कुशवाहा बिहार के ऐसे नेता थे जो दो जगहों से चुनाव लड़ रहे थे। लेकिन अफसोस किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया और दोनों जगह से उन्हें मुंह की खानी पड़ी। कुशवाहा के हार पर तंज कसते हुए बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष निवेदिता सिंह ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा ना घर के रहे और न घाट के रहे। 2014 के लोकसभा चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा 3 सीटों पर बिहार में चुनाव लड़े थे। उस वक्त वे एनडीए में शामिल थे। लिहाज़ा उन्हें तीनों सीट पर विजय प्राप्त हुआ था। इतना ही नहीं चुनाव जीतने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनका सम्मान करते हुए उन्हें मंत्री तक का ताज पहनाया था। लेकिन आखिर वक्त वक्त में उन्होंने नरेंद्र मोदी को ही कोसना शुरू कर दिया और एनडीए को त्यागकर महागठबंधन में शामिल हो गए। लिहाजा अब नतीजा यह हुआ कि उन्हें एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई। वहीं खुद वे 2 सीटों पर चुनाव लड़ रहे थे लेकिन एक भी सीट पर कामयाब नहीं हो सके। बहरहाल उपेन्द्र कुशवाह के हार पर चुटकी लेते हुए बीजेपी की प्रदेश उपाध्यक्ष निवेदिता सिंह तंज कसते हुए कहा कि जो 2 सीटों से चुनाव लड़ रहा हो 1 सीट भी ना निकाल सके इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता इस बात की गवाही दे रही है कि जो जात के नाम पर वोट मांगने का काम करता है जनता उसको सबक सिखाने का काम शुरू करने लगी है।


Conclusion:बहरहाल प्रदेश उपाध्यक्ष निवेदिता सिंह के इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में भूचाल आना लाजमी है। क्योंकि उपेंद्र कुशवाहा खुद अपने काराकाट सीट बचाने में असफल रहे है। उन्हें जदयू के प्रत्याशी महाबली सिंह से मुंह की खानी पड़ी।


बाइट। बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष निवेदिता सिंह
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