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रोहतास में बिना बैटरी और चाबी के 150 सालों से चल रही है अद्भुत घड़ी, यकीन न हो तो देखे लें VIDEO - सूर्य की रौशनी से चलने वाली घड़ी

रोहतास में एक ऐसी घड़ी है जो पिछले 150 साल से लोगों को समय बताते आ रही है. सूर्य की रौशनी से चलने वाली घड़ी को 1871 ई. में बनाया गया था. वीडियो में देखें कैसे काम करती है ये घड़ी..

सूर्य की रौशनी से चलने वाली घड़ी
सूर्य की रौशनी से चलने वाली घड़ी
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Published : Jan 16, 2022, 1:25 PM IST

रोहतास: इस डिजिटल युग में समय बताने वाली कई तरह की घड़ियां आपने देखी होंगी, लेकिन जिस घड़ी के बारे में आज आपको बताने जा रहे हैं, वह अपने आप में अद्भुत है. बिहार के रोहतास में एक ऐसी घड़ी है जो बिना बैटरी और बगैर चाबी दिए 150 सालों से लगातार क्रियाशील (Amazing Clock Running For 150 Years) है. यकीन ना हो तो वीडियो में आप खुद देख लीजिए.

ये भी पढ़ें-आधुनिक युग में भी विष्णुपद मंदिर में स्थापित है धूप घड़ी, तीर्थयात्री होते हैं आकर्षित

जिला मुख्यालय सासाराम से 18 किलोमीटर दूर डेहरी ऑन सोन स्थित एनीकट और बीएमपी के बीच यह ऐतिहासिक धूप घड़ी (Sunshine Clock In Rohtas) बना हुआ है. जो सूर्य की रोशनी से संचालित होती है. धूप घड़ी कैंपस में एक चबूतरा बना है. जिस पर धातु की तिकोनी प्लेट लगी है. वह स्थिर है. रोमन और इंग्लिश में अंक अंकित हैं. जहां धातु के तिकोने प्लेट पर सूर्य का प्रकाश पड़ने पर समय देखा जाता है.

देखें वीडियो

स्थानीय लोग बताते हैं कि धुप घड़ी की स्थापना सन 1871 ई. में ब्रिटिश हुकूमत के द्वारा की गई थी. यहां यांत्रिक कार्यशाला में कार्य करने वाले मजदूर इसी घड़ी से समय देखकर आते और जाते थे. उस समय किसी भी तरह की घड़ी आम लोगों की पहुंच से बहुत दूर थी. इलाके के लोग कहते हैं कि जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की लापरवाही के कारण इस प्राचीन धूप घड़ी की दीवारें टूट चुकी है.

धूप घड़ी कैंपस में आस पास झाड़ियों का जमघट लग चुका है. इस इलाके से हर रोज वीवीआईपियों का आना जाना होता है, लेकिन इसके बावजूद किसी की निगाहें इस और नहीं पड़ती है. स्थानीय युवा राहुल चौधरी कहते हैं कि धूप घड़ी परिसर में बैठकर कुछ पल व्यतीत करने के अलावा फोटो और सेल्फी लेते हैं. सरकार को इस धरोहर को सुरक्षित कर इसे पर्यटन के रूप में विकसित करना चाहिए.

ये भी पढ़ें-भदोही में आज भी 'धूप घड़ी' में देखा जाता है समय

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रोहतास: इस डिजिटल युग में समय बताने वाली कई तरह की घड़ियां आपने देखी होंगी, लेकिन जिस घड़ी के बारे में आज आपको बताने जा रहे हैं, वह अपने आप में अद्भुत है. बिहार के रोहतास में एक ऐसी घड़ी है जो बिना बैटरी और बगैर चाबी दिए 150 सालों से लगातार क्रियाशील (Amazing Clock Running For 150 Years) है. यकीन ना हो तो वीडियो में आप खुद देख लीजिए.

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जिला मुख्यालय सासाराम से 18 किलोमीटर दूर डेहरी ऑन सोन स्थित एनीकट और बीएमपी के बीच यह ऐतिहासिक धूप घड़ी (Sunshine Clock In Rohtas) बना हुआ है. जो सूर्य की रोशनी से संचालित होती है. धूप घड़ी कैंपस में एक चबूतरा बना है. जिस पर धातु की तिकोनी प्लेट लगी है. वह स्थिर है. रोमन और इंग्लिश में अंक अंकित हैं. जहां धातु के तिकोने प्लेट पर सूर्य का प्रकाश पड़ने पर समय देखा जाता है.

देखें वीडियो

स्थानीय लोग बताते हैं कि धुप घड़ी की स्थापना सन 1871 ई. में ब्रिटिश हुकूमत के द्वारा की गई थी. यहां यांत्रिक कार्यशाला में कार्य करने वाले मजदूर इसी घड़ी से समय देखकर आते और जाते थे. उस समय किसी भी तरह की घड़ी आम लोगों की पहुंच से बहुत दूर थी. इलाके के लोग कहते हैं कि जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की लापरवाही के कारण इस प्राचीन धूप घड़ी की दीवारें टूट चुकी है.

धूप घड़ी कैंपस में आस पास झाड़ियों का जमघट लग चुका है. इस इलाके से हर रोज वीवीआईपियों का आना जाना होता है, लेकिन इसके बावजूद किसी की निगाहें इस और नहीं पड़ती है. स्थानीय युवा राहुल चौधरी कहते हैं कि धूप घड़ी परिसर में बैठकर कुछ पल व्यतीत करने के अलावा फोटो और सेल्फी लेते हैं. सरकार को इस धरोहर को सुरक्षित कर इसे पर्यटन के रूप में विकसित करना चाहिए.

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