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शहीद DSP के भतीजे ने किया चाचा का सपना पूरा, न्यायिक सेवा की परीक्षा में पाई सफलता - rohtas success story of judicial service exam candidate

डेहरी के शहीद डीएसपी सत्यपाल सिंह के भतीजे हर्षवर्धन ने न्यायिक सेवा की परीक्षा में सफलता हासिल कर अपने चाचा को सच्ची श्रद्धांजली दी. हर्षवर्धन ने बताया कि मात्र 1 साल की तैयारी से उन्हें सफलता मिली है.

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शहीद DSP के भतीजे ने किया चाचा का सपना पूरा
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Published : Dec 1, 2019, 9:56 AM IST

रोहतासः न्यायिक सेवा परीक्षा में सफलता हासिल करना एक सपने की तरह होता है. जिसे डेहरी के हर्षवर्धन ने सच कर दिखाया है. शहीद डीएसपी सत्यपाल सिंह के भतीजे हर्षवर्धन ने अपने चाचा को इससे सच्ची श्रद्धांजली दी.

परिवार में खुशी की लहर
8 दिसंबर 1998 को सहरसा जिले के बनमा ईटहरी में अपराधियों से मुठभेड़ करते समय तत्कालीन डीएसपी सत्यपाल सिंह शहीद हो गए थे. उस समय हर्षवर्धन की उम्र काफी छोटी थी. लेकिन जैसे ही हर्षवर्धन का चयन न्यायिक सेवा के लिए हुआ पूरे परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई.

शहीद DSP के भतीजे ने किया चाचा का सपना पूरा

चाचा को एक सच्ची श्रद्धांजलि
हर्षवर्धन की शिक्षा डेहरी के मॉडल स्कूल में हुई. जिसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से लॉ की डिग्री हासिल की. हर्षवर्धन ने बताया कि उनकी सफलता उनके चाचा को एक सच्ची श्रद्धांजलि है. उन्होंने कहा कि मात्र 1 साल की तैयारी से उन्हें सफलता मिली है.

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न्यायिक सेवा की परीक्षा में सफलता हासिल करने वाले हर्षवर्धन

'सेल्फ स्टडी हो सबसे जरूरी'
हर्षवर्धन ने बताया कि वह हमेशा सामान्य छात्र रहे और सेल्फ स्टडी से उन्होंने यह मुकाम पाया है. हर्षवर्धन ने अपने इस सफलता का श्रेय अपने परिवार और सहपाठियों को दिया. हर्षवर्धन के पिता ने कहा कि बुजुर्गों की दुआ और भगवान का आशीर्वाद से उनके बेटे को सफलता मिली है

रोहतासः न्यायिक सेवा परीक्षा में सफलता हासिल करना एक सपने की तरह होता है. जिसे डेहरी के हर्षवर्धन ने सच कर दिखाया है. शहीद डीएसपी सत्यपाल सिंह के भतीजे हर्षवर्धन ने अपने चाचा को इससे सच्ची श्रद्धांजली दी.

परिवार में खुशी की लहर
8 दिसंबर 1998 को सहरसा जिले के बनमा ईटहरी में अपराधियों से मुठभेड़ करते समय तत्कालीन डीएसपी सत्यपाल सिंह शहीद हो गए थे. उस समय हर्षवर्धन की उम्र काफी छोटी थी. लेकिन जैसे ही हर्षवर्धन का चयन न्यायिक सेवा के लिए हुआ पूरे परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई.

शहीद DSP के भतीजे ने किया चाचा का सपना पूरा

चाचा को एक सच्ची श्रद्धांजलि
हर्षवर्धन की शिक्षा डेहरी के मॉडल स्कूल में हुई. जिसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से लॉ की डिग्री हासिल की. हर्षवर्धन ने बताया कि उनकी सफलता उनके चाचा को एक सच्ची श्रद्धांजलि है. उन्होंने कहा कि मात्र 1 साल की तैयारी से उन्हें सफलता मिली है.

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न्यायिक सेवा की परीक्षा में सफलता हासिल करने वाले हर्षवर्धन

'सेल्फ स्टडी हो सबसे जरूरी'
हर्षवर्धन ने बताया कि वह हमेशा सामान्य छात्र रहे और सेल्फ स्टडी से उन्होंने यह मुकाम पाया है. हर्षवर्धन ने अपने इस सफलता का श्रेय अपने परिवार और सहपाठियों को दिया. हर्षवर्धन के पिता ने कहा कि बुजुर्गों की दुआ और भगवान का आशीर्वाद से उनके बेटे को सफलता मिली है

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रोहतास -आज से 30 साल पहले अपराधियों से मुठभेड़ में शहीद हुए डीएसपी सत्यपाल सिंह के भतीजे हर्षवर्धन न्यायिक सेवा की परीक्षा में सफलता हासिल कर जज बन गए हैं न्यायिक सेवा की परीक्षा में सफलता हासिल करना अपने आप में एक सपना होता है और यह सपना जिले के डेहरी के रहने वाले हर्षवर्धन ने सच कर दिखाया है








Body:दरअसल 8 दिसंबर 1998 को सहरसा जिले के बनमा ईटहरी में अपराधियों से मुठभेड़ करते समय तत्कालीन डीएसपी सत्यपाल सिंह शहीद हो गए थे उस समय हर्षवर्धन की उम्र काफी छोटी थी लेकिन जैसे ही हर्षवर्धन का चयन न्यायिक सेवा के लिए हुआ पूरे परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई
हर्षवर्धन कहते हैं कि उनकी सफलता चाचा को एक सच्ची श्रद्धांजलि है न्यायिक सेवा की परीक्षा में सफलता हासिल करना अपने आप में एक सपना होता है डेहरी के समाजसेवी संजय सिंह बाला के छोटे बेटे हर्षवर्धन ने न्यायिक सेवा परीक्षा उतीर्ण की है तथा आने वाले समय में न्यायिक पदाधिकारी बनेंगे हर्षवर्धन की शिक्षा डेहरीके मॉडल स्कूल में हुई तथा उन्होंने बाद में दिल्ली विश्वविद्यालय से लॉ की डिग्री हासिल की
हर्षवर्धन कहते हैं कि मात्र 1 वर्ष की तैयारी के बाद उन्हें सफलता मिली है वहीं सामान्य छात्र रहे और उनके इस सफलता में उनके परिवार के अलावा उनके सहपाठियों का भी योगदान है और हर्षवर्धन के पिता का कहना है कि बुजुर्गों की दुआ तथा भगवान का आशीर्वाद से उनके पुत्रों के सफलता मिली है
दूसरी और हर्षवर्धन का कहना है कि सेल्फ स्टडी से उन्होंने यह मुकाम पाया है इस सफलता में सिर्फ स्टडी का काफी महत्व है कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने कोई खास ट्यूशन नहीं लिया पुराने नोट तथा कक्षा में पढ़ाए गए कॉपियों को ने खंगाले मां से 1 साल के मेहनत के बाद उन्हें सफलता मिल पाई है यह उनका पहला ही प्रयास था
वही उनके पिता भी बेटे की कामयाबी पर काफी खुश हैं उनका कहना है कि बच्चों पर कभी भी पेरेंट्स का प्रेशर नहीं होना चाहिए वह जिस फील्ड में जाना चाहते हैं वह अपने शौक से जाएं तभी वह जीवन के छेद जीवन में कामयाब हो पाएंगे
बाइट- हर्षवर्धन -सफल छात्र
बाइट -संजय सिंह बाला पिता


Conclusion:
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