रोहतास: सासाराम सिविल कोर्ट के अधिवक्ता नागेंद्र पांडे ने बताया कि जिला एवं सत्र न्यायाधीश अरुण कुमार श्रीवास्तव ने इस मामले को एडीजे-1 मनोज कुमार की अदालत में भेज दिया है, जहां से उनकी जमानत को रद्द कर दिया गया. गौरतलब है कि सासाराम सांप्रदायिक हिंसा मामले में सासाराम के पांच बार विधायक रह चुके जवाहर प्रसाद फिलहाल मंडल कारा में बंद हैं.
पूर्व विधायक जवाहर प्रसाद की दूसरी बार याचिका खारिज: मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के यहां से उनकी जमानत याचिका पहले ही खारिज चुकी थी. जिसके बाद उनके अधिवक्ता ने जिला एवं सत्र न्यायाधीश के कोर्ट में जमानत की अर्जी लगाई थी, लेकिन वहां से भी उनकी जमानत को खारिज ही रखा गया. अब उन्हें जमानत के लिए उच्च न्यायालय का सहारा लेना पड़ेगा. 30 अप्रैल से ही पूर्व विधायक जेल में बंद हैं. उनकी गिरफ्तारी को लेकर प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मी काफी बढ़ गई थी. सत्ता और विपक्ष एक दूसरे पर लगातार आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे थे. ऐसे में अब भाजपा के पूर्व विधायक जवाहर प्रसाद की मुश्किलें और बढ़ती जा रही है.
"पुलिस ने उन्हें अरेस्ट करके जेल भेज दिया था. उनकी याचिका को खारिज कर देने के बाद डिस्ट्रिक्ट जज के यहां बेल पिटीशन फाइल हुआ. बहस हुई और बेल को फिर खारिज कर दिया गया. रामनवमी के दौरान दंगे करने का आरोप है."- नगेंद्र पांडे, अधिवक्ता, सिविल कोर्ट, सासाराम
रामनवमी के दौरान भड़की थी हिंसा: बता दें कि सासाराम में रामनवमी के जुलूस के दौरान दो पक्षों के बीच जमकर पत्थरबाजी हुई थी और हिंस भड़क उठी थी. उपद्रवियों ने इस दौरान कई वाहनों में तोड़फोड़ की थी और घरों को आग के हवाले कर दिया था. इलाके में धारा 144 लागू किया गया, चार से पांच दिन तक इंटरनेट सेवा बंद करनी पड़ी थी. इस घटना को लेकर राजनीति भी जमकर हुई थी.