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बिहार के इस गांव को कहा जाता है 'धरती का नर्क', जानिए क्या है इसकी पूरी कहानी

बिहार के रोहतास में एक ऐसा गांव है जहां ज्यादातर लोगों की हड्डियां टेढ़ी हैं. इसका कारण फ्लोराइड युक्त पानी को बताया जाता है. आलम यह है कि इंसान तो क्या, जानवर भी यहां गर्भ में अपंग हो जाते हैं. स्थानीय लोग इस गांव को धरती का नर्क कहने लगे हैं. पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

barua village of rohtas is hell on earth
barua village of rohtas is hell on earth
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Published : Apr 7, 2022, 6:15 AM IST

रोहतास: बिहार के शिवसागर प्रखंड के बरुआ गांव (Barua village of Sivasagar block) का नाम सुनते ही लोग कांप उठते हैं. यहां के पानी ने कई जिंदगियों को बर्बाद कर दिया है. बच्चे गर्भ में ही विकलांग हो जाते हैं. वहीं खिलाड़ी आज व्हीलचेयर के सहारे अपनी जिंदगी की गाड़ी को आगे बढ़ा रहे हैं. यही कारण है कि इस गांव को धरती का नर्क की संज्ञा (barua village of rohtas is hell on earth) दी गई है. सबसे बड़ी बात है कि पिछले पांच दशक से लोग यहां नारकीय जिंदगी जी रहे हैं. कारण यह है कि यहां के पानी में फ्लोराइड मिला हुआ है. जिस कारण लोगों की हड्डियां टेढ़ी हो जाती हैं.

पढ़ें- शोध में खुलासा : बिहार में मां के दूध में आर्सेनिक, ब्रेस्ट मिल्क नवजात को पहुंचा रहा नुकसान

फुटबॉलर के दोनों पैर हुए खराब: गांव के ज्यादातर लोगों की हड्डियां टेढ़ीमेढ़ी (people sick in barua village after drinking fluoride water) है. बचपन में कई लोग ठीक-ठाक थे, लेकिन समय के साथ परिस्थिति ऐसी हुई कि कई लोग विकलांग हो गए. कुछ की स्थिति ऐसी हो गई कि चलना फिरना भी मुश्किल हो गया. गांव के रामराज प्रसाद पहले फुटबॉलर हुआ करते थे. बाद में खड़े होने के काबिल नहीं रहे. कई लोग समय से पहले बूढ़े हो जा रहे हैं, तो कई बच्चों के उम्र ज्यादा होने के बावजूद शारीरिक विकास नहीं हो पा रहा है.

"आज बैठकर जीवन बीता रहे हैं. डॉक्टर बोले कि पानी का दिक्कत था. पानी के कारण चलने फिरने में दिक्कत हो गया. पहले फुटबॉल खेलते थे. अब अपना दैनिक क्रिया- क्रम करने के लायक भी नहीं है."- रामराज प्रसाद, दिव्यांग

गर्भ में विकलांग हो रहे बच्चे: कुसुम देवी ने बताया कि उनकी बच्ची की उम्र पांच साल है लेकिन उसका शारीरिक और मानसिक विकास नहीं हो रहा है. पांच साल की रेशम गर्भ में ही विकलांगता का शिकार हो गयी थी. यहां तक कि इसका ग्रोथ भी रुक गया है. गांव में दिव्यांग बच्चों की संख्या बहुत ज्यादा है. ज्यादातर बच्चे जन्म से पहले ही अपंग हो गए था. अगर ठीक-ठाक जन्म लिए तो कुछ साल के बाद दिव्यांगता के शिकार हो जाते हैं. इलाज कराने के बाद भी कोई उपाय नहीं है. डॉक्टर कहते हैं कि जब तक पानी में सुधार नहीं होगा, इन लोगों का कुछ नहीं हो सकता.

"पांच साल की हो गई है. लेकिन आजतक नहीं बैठी है. जन्म से ही बीमार है.दो बार तो वेंटिलेटर पर थी. पांच हजार, दस हजार इलाज में लग जाता है. कुछ खाती नहीं है दूध पर ही जीवित है."- कुसुम देवी, दिव्यांग रेशम की मां

पढ़ें- बांका: नल जल योजना के बावजूद भी फ्लोराइड युक्त पानी पीने को मजबूर हैं लोग!

पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक: बता दें कि इस गांव में वाटर ट्रीटमेंट के लिए वृहद पैमाने पर वाटर फ्यूरीफिकेशन प्लांट लगाई गई थी. लेकिन रखरखाव के अभाव में इसका उपयोग नहीं हो सका. स्थिति यह है कि जल शोधक यंत्र कबाड़ा बन कर पड़ा है और लोग दूषित पानी पीने को मजबूर हैं. गांव में कई चापाकल और नल जल योजना के तहत नल लगे हैं. लेकिन पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक है. लोगों ने कई बार सुधार के लिए आला अधिकारियों से गुहार लगाया. लेकिन कहीं से सुधार की गुंजाइश नहीं हुई. ऐसी स्थिति में जो लोग सक्षम हैं, वह गांव छोड़ चुके हैं. कई लोग शहर में अपने बच्चों को रख कर उन्हें बचा रहे हैं. लेकिन ज्यादातर गरीब तबके के लोग गांव में रहकर गांव के दूषित पानी को पीकर कई पीढ़ियों से बीमार होते जा रहे हैं.

"पानी पीने से लोग बीमार हो रहे हैं. हम क्या कर सकते हैं. कई लोग गांव से बाहर चले गए हैं. पानी के चलते गांव छोड़ना पड़ रहा है. लोग विकलांग हो जाते हैं, दांत टूटने लगता है. अधिकारी आते हैं देख कर चले जाते हैं लेकिन आज तक कुछ उपाय नहीं किया गया."- बलराम चौबे, ग्रामीण

लोग कर रहे पलायन: विकलांगता यहां अभिशाप बन कर रह गयी है. इस गांव में लोगों को लाठी के सहारे तो व्हीलचेयर पर घूमते आसानी से देखा जा सकता है. सबसे बड़ी बात है कि दूषित पानी से इंसान तो क्या मवेशी भी विकलांगता के शिकार हैं.ऐसे में लोगों के पास इस गांव से दूरी बनाने के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं है. पशुपालक बताते हैं कि कई मवेशियों का तो गर्भपात भी हो जाता है. बहरहाल सरकार पेयजल संकट को दूर करने के लिए लगातार काम कर रही है. लेकिन न जाने क्यों? रोहतास के इस गांव पर सरकार की रहमो करम नहीं हो रही है. अब इस गांव को लोग धरती का नर्क कह रहे हैं.

"पानी साफ करने वाला मशीन नाकाम साबित हुआ है. इससे एक लोटा पानी नहीं मिला है. पानी की समस्या के कारण हम गंदा पी रहे हैं. पानी के कारण लोग बीमार हो रहे हैं. सरकार सिर्फ दिखावा कर रही है."- धरीक्षण प्रसाद, स्थानीय

क्या होता है फ्लोरोसिस: पानी में फ्लोराइड की भारी मात्रा होने के कारण यह रोग होता है.यह दो तरह का होता है. पहला डेंटल फ्लोरोसिस और स्केलेटल फ्लोरोसिस. इसके दांतों में अत्यधिक पीलापन ,हाथ और पैर का आगे या पीछे की ओर मुड़ जाना,पांव का बाहर या अंदर की ओर धनुषाकार हो जाना, घुटनों के आसपास सूजन,झुकने या बैठने में परेशानी,कंधे, हाथ और पैर के जोड़ों में दर्द, जवानी में ही बुढ़ापे का लक्षण नजर आना, पेट भारी रहना जैसे लक्षण होते हैं.

पढ़ें- डिजिटल इंडिया में 'नो नेटवर्क'! इस गांव में फोन से बात करने के लिए पेड़ों और पहाड़ों पर चढ़ते हैं लोग

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रोहतास: बिहार के शिवसागर प्रखंड के बरुआ गांव (Barua village of Sivasagar block) का नाम सुनते ही लोग कांप उठते हैं. यहां के पानी ने कई जिंदगियों को बर्बाद कर दिया है. बच्चे गर्भ में ही विकलांग हो जाते हैं. वहीं खिलाड़ी आज व्हीलचेयर के सहारे अपनी जिंदगी की गाड़ी को आगे बढ़ा रहे हैं. यही कारण है कि इस गांव को धरती का नर्क की संज्ञा (barua village of rohtas is hell on earth) दी गई है. सबसे बड़ी बात है कि पिछले पांच दशक से लोग यहां नारकीय जिंदगी जी रहे हैं. कारण यह है कि यहां के पानी में फ्लोराइड मिला हुआ है. जिस कारण लोगों की हड्डियां टेढ़ी हो जाती हैं.

पढ़ें- शोध में खुलासा : बिहार में मां के दूध में आर्सेनिक, ब्रेस्ट मिल्क नवजात को पहुंचा रहा नुकसान

फुटबॉलर के दोनों पैर हुए खराब: गांव के ज्यादातर लोगों की हड्डियां टेढ़ीमेढ़ी (people sick in barua village after drinking fluoride water) है. बचपन में कई लोग ठीक-ठाक थे, लेकिन समय के साथ परिस्थिति ऐसी हुई कि कई लोग विकलांग हो गए. कुछ की स्थिति ऐसी हो गई कि चलना फिरना भी मुश्किल हो गया. गांव के रामराज प्रसाद पहले फुटबॉलर हुआ करते थे. बाद में खड़े होने के काबिल नहीं रहे. कई लोग समय से पहले बूढ़े हो जा रहे हैं, तो कई बच्चों के उम्र ज्यादा होने के बावजूद शारीरिक विकास नहीं हो पा रहा है.

"आज बैठकर जीवन बीता रहे हैं. डॉक्टर बोले कि पानी का दिक्कत था. पानी के कारण चलने फिरने में दिक्कत हो गया. पहले फुटबॉल खेलते थे. अब अपना दैनिक क्रिया- क्रम करने के लायक भी नहीं है."- रामराज प्रसाद, दिव्यांग

गर्भ में विकलांग हो रहे बच्चे: कुसुम देवी ने बताया कि उनकी बच्ची की उम्र पांच साल है लेकिन उसका शारीरिक और मानसिक विकास नहीं हो रहा है. पांच साल की रेशम गर्भ में ही विकलांगता का शिकार हो गयी थी. यहां तक कि इसका ग्रोथ भी रुक गया है. गांव में दिव्यांग बच्चों की संख्या बहुत ज्यादा है. ज्यादातर बच्चे जन्म से पहले ही अपंग हो गए था. अगर ठीक-ठाक जन्म लिए तो कुछ साल के बाद दिव्यांगता के शिकार हो जाते हैं. इलाज कराने के बाद भी कोई उपाय नहीं है. डॉक्टर कहते हैं कि जब तक पानी में सुधार नहीं होगा, इन लोगों का कुछ नहीं हो सकता.

"पांच साल की हो गई है. लेकिन आजतक नहीं बैठी है. जन्म से ही बीमार है.दो बार तो वेंटिलेटर पर थी. पांच हजार, दस हजार इलाज में लग जाता है. कुछ खाती नहीं है दूध पर ही जीवित है."- कुसुम देवी, दिव्यांग रेशम की मां

पढ़ें- बांका: नल जल योजना के बावजूद भी फ्लोराइड युक्त पानी पीने को मजबूर हैं लोग!

पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक: बता दें कि इस गांव में वाटर ट्रीटमेंट के लिए वृहद पैमाने पर वाटर फ्यूरीफिकेशन प्लांट लगाई गई थी. लेकिन रखरखाव के अभाव में इसका उपयोग नहीं हो सका. स्थिति यह है कि जल शोधक यंत्र कबाड़ा बन कर पड़ा है और लोग दूषित पानी पीने को मजबूर हैं. गांव में कई चापाकल और नल जल योजना के तहत नल लगे हैं. लेकिन पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक है. लोगों ने कई बार सुधार के लिए आला अधिकारियों से गुहार लगाया. लेकिन कहीं से सुधार की गुंजाइश नहीं हुई. ऐसी स्थिति में जो लोग सक्षम हैं, वह गांव छोड़ चुके हैं. कई लोग शहर में अपने बच्चों को रख कर उन्हें बचा रहे हैं. लेकिन ज्यादातर गरीब तबके के लोग गांव में रहकर गांव के दूषित पानी को पीकर कई पीढ़ियों से बीमार होते जा रहे हैं.

"पानी पीने से लोग बीमार हो रहे हैं. हम क्या कर सकते हैं. कई लोग गांव से बाहर चले गए हैं. पानी के चलते गांव छोड़ना पड़ रहा है. लोग विकलांग हो जाते हैं, दांत टूटने लगता है. अधिकारी आते हैं देख कर चले जाते हैं लेकिन आज तक कुछ उपाय नहीं किया गया."- बलराम चौबे, ग्रामीण

लोग कर रहे पलायन: विकलांगता यहां अभिशाप बन कर रह गयी है. इस गांव में लोगों को लाठी के सहारे तो व्हीलचेयर पर घूमते आसानी से देखा जा सकता है. सबसे बड़ी बात है कि दूषित पानी से इंसान तो क्या मवेशी भी विकलांगता के शिकार हैं.ऐसे में लोगों के पास इस गांव से दूरी बनाने के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं है. पशुपालक बताते हैं कि कई मवेशियों का तो गर्भपात भी हो जाता है. बहरहाल सरकार पेयजल संकट को दूर करने के लिए लगातार काम कर रही है. लेकिन न जाने क्यों? रोहतास के इस गांव पर सरकार की रहमो करम नहीं हो रही है. अब इस गांव को लोग धरती का नर्क कह रहे हैं.

"पानी साफ करने वाला मशीन नाकाम साबित हुआ है. इससे एक लोटा पानी नहीं मिला है. पानी की समस्या के कारण हम गंदा पी रहे हैं. पानी के कारण लोग बीमार हो रहे हैं. सरकार सिर्फ दिखावा कर रही है."- धरीक्षण प्रसाद, स्थानीय

क्या होता है फ्लोरोसिस: पानी में फ्लोराइड की भारी मात्रा होने के कारण यह रोग होता है.यह दो तरह का होता है. पहला डेंटल फ्लोरोसिस और स्केलेटल फ्लोरोसिस. इसके दांतों में अत्यधिक पीलापन ,हाथ और पैर का आगे या पीछे की ओर मुड़ जाना,पांव का बाहर या अंदर की ओर धनुषाकार हो जाना, घुटनों के आसपास सूजन,झुकने या बैठने में परेशानी,कंधे, हाथ और पैर के जोड़ों में दर्द, जवानी में ही बुढ़ापे का लक्षण नजर आना, पेट भारी रहना जैसे लक्षण होते हैं.

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