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रोहतास के सबसे पुराने मदरसे की हालत हुई जर्जर, दिखी कई अनियमितता

प्रिंसिपल ने बताया कि बच्चे मदरसे में नियमित रूप से नहीं आते हैं. अब ऐसे में सवाल उठता है कि जब बच्चे नहीं आते तो उनकी उपस्थिति 75 फीसदी कैसे दिखाई जाती है.

जर्जर स्थिति में पहुंचा सरकारी मदरसा
जर्जर स्थिति में पहुंचा सरकारी मदरसा
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Published : Feb 26, 2020, 5:34 PM IST

रोहतास: जिले के अकबरपुर प्रखंड में सरकारी मदरसे का हाल इन दिनों खस्ता है. यह जिले का सबसे पुराना सरकारी मदरसा है, लेकिन इसकी हालत बद से बदतर स्थिति में पहुंच गई है. मदरसे में मौजूद मौलवी और टीचरों की ओर से न तो बच्चों को सही से तालीम दी जा रही है और न ही नियमित रूप से मदरसे का संचालन किया जा रहा है.

प्रिंसिपल को नहीं पता है डीएम और डीईओ का नाम
बिहार के सीएम नीतीश कुमार लगातार सरकारी मदरसे को लेकर बेहतरी की बात करते हैं, लेकिन नीतीश कुमार के इस सपने को मदरसा के शिक्षकों ने धुमिल कर दिया है. हैरत की बात है कि मदरसे में सबसे ऊंचे पद पर बैठे प्रिंसिपल को जिले के डीएम और डीईओ का नाम तक नहीं पता है. ऐसे हालात में वह बच्चे को कैसे शिक्षा दे पाएंगे. ऐसे में मदरसे की कार्यशैली पर भी सवालिया निशान लगना शुरू हो गया है. बिहार के सरकारी मदरसों पर सरकार जितनी मेहरबान है, उतने ही मदरसे के कर्मचारी बच्चे के भविष्य को लेकर बेफिक्र नजर आ रहे हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

मदरसे की व्यवस्था पर कई सवाल
ऐसे में जब ईटीवी भारत के संवाददाता इस मदरसे की पड़ताल करने अकबरपुर पहुंचे तो मदरसे पर ताला लगा हुआ था. इस बारे में जब प्रिंसिपल से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि नमाज पढ़ने के लिए वह मदरसे से बाहर चले गए थे. उन्होंने बताया कि बच्चे मदरसे में नियमित रूप से नहीं आते हैं. अब ऐसे में सवाल खड़ा होना लाजमी हो जाता है कि आखिर जब बच्चे नहीं आते तो उनकी उपस्थिति 75 फीसदी कैसे दिखाई जाती है. वहीं, मध्यान भोजन के नाम पर भी मदरसे में लूट मची हुई है. मदरसे में शिक्षकों की भारी कमी है 9 शिक्षकों के पद पर महज 5 शिक्षकों से मदरसे का संचालन हो रहा है. मदरसे की बिल्डिंग जर्जर स्थिति में पहुंच गई है.

रोहतास: जिले के अकबरपुर प्रखंड में सरकारी मदरसे का हाल इन दिनों खस्ता है. यह जिले का सबसे पुराना सरकारी मदरसा है, लेकिन इसकी हालत बद से बदतर स्थिति में पहुंच गई है. मदरसे में मौजूद मौलवी और टीचरों की ओर से न तो बच्चों को सही से तालीम दी जा रही है और न ही नियमित रूप से मदरसे का संचालन किया जा रहा है.

प्रिंसिपल को नहीं पता है डीएम और डीईओ का नाम
बिहार के सीएम नीतीश कुमार लगातार सरकारी मदरसे को लेकर बेहतरी की बात करते हैं, लेकिन नीतीश कुमार के इस सपने को मदरसा के शिक्षकों ने धुमिल कर दिया है. हैरत की बात है कि मदरसे में सबसे ऊंचे पद पर बैठे प्रिंसिपल को जिले के डीएम और डीईओ का नाम तक नहीं पता है. ऐसे हालात में वह बच्चे को कैसे शिक्षा दे पाएंगे. ऐसे में मदरसे की कार्यशैली पर भी सवालिया निशान लगना शुरू हो गया है. बिहार के सरकारी मदरसों पर सरकार जितनी मेहरबान है, उतने ही मदरसे के कर्मचारी बच्चे के भविष्य को लेकर बेफिक्र नजर आ रहे हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

मदरसे की व्यवस्था पर कई सवाल
ऐसे में जब ईटीवी भारत के संवाददाता इस मदरसे की पड़ताल करने अकबरपुर पहुंचे तो मदरसे पर ताला लगा हुआ था. इस बारे में जब प्रिंसिपल से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि नमाज पढ़ने के लिए वह मदरसे से बाहर चले गए थे. उन्होंने बताया कि बच्चे मदरसे में नियमित रूप से नहीं आते हैं. अब ऐसे में सवाल खड़ा होना लाजमी हो जाता है कि आखिर जब बच्चे नहीं आते तो उनकी उपस्थिति 75 फीसदी कैसे दिखाई जाती है. वहीं, मध्यान भोजन के नाम पर भी मदरसे में लूट मची हुई है. मदरसे में शिक्षकों की भारी कमी है 9 शिक्षकों के पद पर महज 5 शिक्षकों से मदरसे का संचालन हो रहा है. मदरसे की बिल्डिंग जर्जर स्थिति में पहुंच गई है.

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