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रोहतासः स्ट्रेचर पर है चेनारी प्रखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था, एंबुलेंस में ऑक्सीजन तक की सुविधा नहीं

इलाज के लिए आसपास के गांव के लोगों का सहारा सरकारी अस्पताल ही है. जाहिर है कि सरकारी अस्पताल में गरीब तबके के लोग ही इलाज कराने के लिए पहुंचते हैं. जिनकी आर्थिक स्तिथि कमजोर होती हैं.

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Published : Apr 7, 2019, 2:36 PM IST

एम्बुलेंस ड्राइवर

रोहतास: राज्य सरकार जहां स्वास्थ्य विभाग को लेकर करोड़ों खर्च करने की बात करती हैं. वहीं, जिले के चेनारी प्रखंड के सरकारी अस्पताल का एंबुलेंस बदहाली के आंसू रो रहा है. यहां के एंबुलेंस में किसी प्रकार की कोई सुविधा नहीं है.

चेनारी घनी आबादी वाला प्रखंड है. लिहाजा इलाज के लिए आसपास के गांव के लोगों का सहारा सरकारी अस्पताल ही है. जाहिर है कि सरकारी अस्पताल में गरीब तबके के लोग ही इलाज कराने के लिए पहुंचते हैं. जिनकी आर्थिक स्तिथि कमजोर होती हैं. ऐसे में उन गरीबों के पास इतने पैसे नहीं होते हैं कि वो इलाज के लिए प्राइवेट एंबुलेंस करके अपने मरीजों को कहीं और लेजा सके.

rohtas
एंबुलेंस में नहीं है ऑक्सीजन

एंबुलेंस में न ऑक्सीजन है न ही ऐसी
चेनारी प्रखंड के अस्पताल में सिर्फ एक ही एंबुलेंस है और वह भी पूरी तरह से सिस्टम पर खरा नहीं उतरता है. क्योंकि इस एंबुलेंस के अंदर सबसे अहम चीज ऑक्सीजन गैस नहीं है. उसके अलावा मरीजों के लिए सरकार एंबुलेंस के अंदर ऐसी जैसे सुविधाओं को दे रखा है. लेकिन एंबुलेंस एनजीओ के हाथ में जाने के बाद उसकी हालत बद से बदतर होती चली जा रही है. क्योंकि चिनारी के एंबुलेंस में पिछले डेढ़ साल से ऐसी काम नहीं कर रहा है.

एंबुलेंस में न ऑक्सीजन है न ही ऐसी

मरीजों को कैसे मिलेगी सुविधा
ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि आखिर उन मरीजों को इसका लाभ कैसे मिलेगा. इस अस्पताल में सड़क हादसे से लेकर कई तरह के मरीज पहुंचते हैं. जब यहां के मरीजों को किसी और अस्पताल में रेफर किया जाता है, तो एंबुलेंस ही एक मात्र सहारा होता है. लेकिन जब एंबुलेंस ही पूरी तरह से काम नहीं कर रहा है तो मरीजों को कैसे सुविधा मुहैया कराया जाएगा.

क्या कहना है अस्पताल प्रभारी का

बरहाल इस बारे में चेनारी अस्पताल के प्रभारी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इसकी जांच कराई जाएगी और दोषी पाए जाने वाले पर कार्रवाई की जाएगी. इस मामले में अस्पताल प्रशासन की लापरवाही साफ नजर आ रही हैं.

रोहतास: राज्य सरकार जहां स्वास्थ्य विभाग को लेकर करोड़ों खर्च करने की बात करती हैं. वहीं, जिले के चेनारी प्रखंड के सरकारी अस्पताल का एंबुलेंस बदहाली के आंसू रो रहा है. यहां के एंबुलेंस में किसी प्रकार की कोई सुविधा नहीं है.

चेनारी घनी आबादी वाला प्रखंड है. लिहाजा इलाज के लिए आसपास के गांव के लोगों का सहारा सरकारी अस्पताल ही है. जाहिर है कि सरकारी अस्पताल में गरीब तबके के लोग ही इलाज कराने के लिए पहुंचते हैं. जिनकी आर्थिक स्तिथि कमजोर होती हैं. ऐसे में उन गरीबों के पास इतने पैसे नहीं होते हैं कि वो इलाज के लिए प्राइवेट एंबुलेंस करके अपने मरीजों को कहीं और लेजा सके.

rohtas
एंबुलेंस में नहीं है ऑक्सीजन

एंबुलेंस में न ऑक्सीजन है न ही ऐसी
चेनारी प्रखंड के अस्पताल में सिर्फ एक ही एंबुलेंस है और वह भी पूरी तरह से सिस्टम पर खरा नहीं उतरता है. क्योंकि इस एंबुलेंस के अंदर सबसे अहम चीज ऑक्सीजन गैस नहीं है. उसके अलावा मरीजों के लिए सरकार एंबुलेंस के अंदर ऐसी जैसे सुविधाओं को दे रखा है. लेकिन एंबुलेंस एनजीओ के हाथ में जाने के बाद उसकी हालत बद से बदतर होती चली जा रही है. क्योंकि चिनारी के एंबुलेंस में पिछले डेढ़ साल से ऐसी काम नहीं कर रहा है.

एंबुलेंस में न ऑक्सीजन है न ही ऐसी

मरीजों को कैसे मिलेगी सुविधा
ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि आखिर उन मरीजों को इसका लाभ कैसे मिलेगा. इस अस्पताल में सड़क हादसे से लेकर कई तरह के मरीज पहुंचते हैं. जब यहां के मरीजों को किसी और अस्पताल में रेफर किया जाता है, तो एंबुलेंस ही एक मात्र सहारा होता है. लेकिन जब एंबुलेंस ही पूरी तरह से काम नहीं कर रहा है तो मरीजों को कैसे सुविधा मुहैया कराया जाएगा.

क्या कहना है अस्पताल प्रभारी का

बरहाल इस बारे में चेनारी अस्पताल के प्रभारी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इसकी जांच कराई जाएगी और दोषी पाए जाने वाले पर कार्रवाई की जाएगी. इस मामले में अस्पताल प्रशासन की लापरवाही साफ नजर आ रही हैं.

Intro:रोहतास। सूबे के मुखिया नीतीश कुमार जहां एक तरफ राज्य में स्वास्थ्य विभाग को लेकर करोड़ों खर्च करने की बात करते है। वहीं जिले के चेनारी प्रखंड के सरकारी अस्पताल का एंबुलेंस बदहाली के आंसू रो रहा है।


Body:गौरतलब है कि चेनारी प्रखंड घनी आबादी वाला प्रखंड है। लिहाजा आसपास के गांव के लोगों का सहारा सरकारी अस्पताल और एम्बुलेंस पर ही होता है। लेकिन सरकारी अस्पताल का एंबुलेंस खुद ही बदहाली का आंसू रो रहा है। ऐसे में वह मरीजों को क्या सुविधा दे पाएगा। ज़ाहिर है सरकारी अस्पताल में गरीब तबके के लोग ही इलाज कराने के लिए वहां पहुंचते हैं। जिनकी माली सलाहियत कमजोर होती है। ऐसे में उन गरीबों के पास इतने पैसे नहीं होते हैं कि वो इलाज के लिए प्राइवेट एंबुलेंस करके अपने मरीजों को कहीं और लेजा सके। लेकिन चेनारी प्रखंड के अस्पताल में सिर्फ एक एंबुलेंस है और वह भी पूरी तरह से सिस्टम पर खरा नहीं उतरता है। क्योंकि इस एंबुलेंस के अंदर सबसे अहम चीज़ ऑक्सीजन नहीं है। उसके अलावा मरीजों के लिए सरकार एंबुलेंस के अंदर ऐसी जैसे सुविधाओं को दे रखा है। लेकिन एंबुलेंस एनजीओ के हाथ में जाने के बाद उसकी हालत बद से बदतर होती चली जा रही है। क्योंकि चिनारी के एंबुलेंस में पिछले डेढ़ साल से एंबुलेंस काम नहीं कर रहा है। लिहाजा ऐसे में सवाल उठना उठना लाजमी है कि आखिर उन मरीजों को इसका लाभ कैसे मिलेगा। जाहिर है इस अस्पताल में कई तरह के मरीज पहुंचते हैं जिसमें सड़क हादसे लेकर अन्य तरह के मरीजों का भी यहां पहुंचना होता है। लेकिन जब यहां के मरीजों को किसी और अस्पताल में रेफर किया जाता है तो एंबुलेंस ही सहारा होता है। लेकिन जब एंबुलेंस ही पूरी तरह से काम नहीं कर रहा है तो वह मरीजों को कैसे सुविधा मुहैया करा पाएगा। बरहाल इस बारे में चेनारी अस्पताल के प्रभारी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इसकी जांच कराई जाएगी और दोषी पाए जाने वाले पर कार्रवाई की जाएगी।


Conclusion: बाहरहाल अस्पताल प्रशासन की लापरवाही कि तस्वीर साफ देखी जा सकती है कि किस तरह से अस्पताल प्रशासन गरीबों के जिंदगी के साथ खिलवाड़ करते हैं।

बाइट। अस्पताल प्रभारी चेनारी
बाइट। ड्राइवर एम्बुलेंस
पीटीसी
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