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रोहतास: प्रदूषण को लेकर समीक्षा बैठक करने पहुंचे मंत्री को खुद नहीं पता था पॉल्यूशन लेवल

कृषि मंत्री प्रेम कुमार प्रदूषण स्तर को लेकर समीक्षा बैठक में भाग लेने सासाराम पहुंचे. हैरत की बात यह है कि उन्हें खुद नहीं पता था कि सासाराम में पॉल्यूशन लेवल क्या है. समीक्षा बैठक करने आये मंत्री जी जवाब पत्रकारों से मांग रहे थे.

कृषि मंत्री प्रेम कुमार
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Published : Nov 14, 2019, 1:26 PM IST

Updated : Nov 14, 2019, 1:45 PM IST

रोहतास: बिहार सरकार के कृषि मंत्री सह जिला प्रभारी मंत्री प्रेम कुमार सासाराम पहुंचे. यहां उन्होंने बढ़ते प्रदूषण को लेकर अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की. हैरत की बात यह है कि बैठक करने पहुंचे मंत्री जी को खुद ये नहीं पता था कि जिले में प्रदुषण का क्या स्तर है.

बैठक के दौरान उन्होंने किसानों द्वारा जलाई जाने वाली पराली को लेकर जागरूकता अभियान चलाने की भी बात कही. प्रेम कुमार ने कहा कि किसानों के पराली विभिन्न प्रकार की सामग्री बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता है. जिस तरह से थर्माकोल से प्लेट, कप आदि बनाए जाते हैं उसी तरह से पराली से भी प्लेट, कप आदि को बनाकर इस्तेमाल किया जा सकता है.

rohtas
प्रेम कुमार, कृषि मंत्री

प्रदूषण रोकने के लिये लगाए जा रहे पौधे
कृषि मंत्री ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि जब बिहार झारखंड से अलग हुआ था तो यहां वन संपदा काफी कम थे. लेकिन सरकार ने इसपर ध्यान दिया और अब वह सम्पदा बिहार में बढ़ाकर 17% हो गया है. उन्होंने बताया कि सरकार लगातार हरियाली योजना के तहत लाखों-करोड़ों पेड़ लगाने का काम कर रही है ताकि बढ़ते प्रदूषण को रोका जा सके.

बयान देते कृषि मंत्री प्रेम कुमार

मंत्री जी को पॉल्यूशन लेवल की जानकारी नहीं
लेकिन सबसे अहम सवाल यह है कि जिस जिले के प्रभारी मंत्री प्रदूषण स्तर को लेकर समीक्षा बैठक में भाग लेने सासाराम पहुंचे थे, उन्हें इस बात का खुद पता नहीं था कि जिले पॉल्यूशन का क्या स्तर है. जाहिर है, पॉल्यूशन का पैमाना नापने की यहां पर कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है. ऐसे में जब ईटीवी भारत के संवाददाता ने उनसे सवाल पूछा कि जिले में पॉल्यूशन का स्तर क्या है, तो मंत्री जी ने कहा- मुझे नहीं पता, आप बताए. समीक्षा बैठक करने आये मंत्री जी जवाब पत्रकारों से मांग रहे थे.

रोहतास: बिहार सरकार के कृषि मंत्री सह जिला प्रभारी मंत्री प्रेम कुमार सासाराम पहुंचे. यहां उन्होंने बढ़ते प्रदूषण को लेकर अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की. हैरत की बात यह है कि बैठक करने पहुंचे मंत्री जी को खुद ये नहीं पता था कि जिले में प्रदुषण का क्या स्तर है.

बैठक के दौरान उन्होंने किसानों द्वारा जलाई जाने वाली पराली को लेकर जागरूकता अभियान चलाने की भी बात कही. प्रेम कुमार ने कहा कि किसानों के पराली विभिन्न प्रकार की सामग्री बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता है. जिस तरह से थर्माकोल से प्लेट, कप आदि बनाए जाते हैं उसी तरह से पराली से भी प्लेट, कप आदि को बनाकर इस्तेमाल किया जा सकता है.

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प्रेम कुमार, कृषि मंत्री

प्रदूषण रोकने के लिये लगाए जा रहे पौधे
कृषि मंत्री ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि जब बिहार झारखंड से अलग हुआ था तो यहां वन संपदा काफी कम थे. लेकिन सरकार ने इसपर ध्यान दिया और अब वह सम्पदा बिहार में बढ़ाकर 17% हो गया है. उन्होंने बताया कि सरकार लगातार हरियाली योजना के तहत लाखों-करोड़ों पेड़ लगाने का काम कर रही है ताकि बढ़ते प्रदूषण को रोका जा सके.

बयान देते कृषि मंत्री प्रेम कुमार

मंत्री जी को पॉल्यूशन लेवल की जानकारी नहीं
लेकिन सबसे अहम सवाल यह है कि जिस जिले के प्रभारी मंत्री प्रदूषण स्तर को लेकर समीक्षा बैठक में भाग लेने सासाराम पहुंचे थे, उन्हें इस बात का खुद पता नहीं था कि जिले पॉल्यूशन का क्या स्तर है. जाहिर है, पॉल्यूशन का पैमाना नापने की यहां पर कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है. ऐसे में जब ईटीवी भारत के संवाददाता ने उनसे सवाल पूछा कि जिले में पॉल्यूशन का स्तर क्या है, तो मंत्री जी ने कहा- मुझे नहीं पता, आप बताए. समीक्षा बैठक करने आये मंत्री जी जवाब पत्रकारों से मांग रहे थे.

Intro:रोहतास। बिहार सरकार के कृषि मंत्री शाह जिला प्रभारी मंत्री प्रेम कुमार सासाराम पहुंचे थे। जहां उन्होंने बढ़ते प्रदूषण को लेकर अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की थी।


Body:गौरतलब है कि जिला प्रभारी मंत्री सह कृषि मंत्री प्रेम कुमार सासाराम पहुंचे थे। जहां उन्होंने जिले के तमाम अधिकारियों के साथ बढ़ते पोलूशन स्तर को लेकर एक समीक्षा बैठक की थी। इस दौरान उन्होंने किसानों के द्वारा जलाई जाने वाली पराली को लेकर भी बात कही। प्रेम कुमार ने कहा कि किसानों को पराली जलाने को लेकर उन्होंने कहा कि किसानों के पराली से विभिन्न प्रकार के सामग्री को बनाकर इस्तेमाल किया जा सकता है। जिस तरह से थर्माकोल से प्लेट कप आदि बनाए जाते थे। उसी तरह से पराली से भी प्लेट कप आदि को बनाकर इस्तेमाल किया जा सकता है। तो वहीं उन्होंने कहा कि जब बिहार झारखंड से अलग हुआ था तो यहां वन संपदा काफी कम थे लेकिन सरकार ने इसपर ध्यान दिया और अब वह सम्पदा बिहार में बढ़ाकर 15% हो गया है। तो ही उन्होंने बताया कि लगातार सरकार हरियाली योजना के तहत लाखों-करोड़ों पेड़ लगाने का काम कर रही है। ताकि बढ़ते पोलूशन स्तर को रोका जा सके। लेकिन सबसे अहम सवाल यह है कि जिस जिले के प्रभारी मंत्री ने प्रदूषण स्तर को लेकर समीक्षा बैठक में भाग लेने के लिए शामिल हुए थे उन्हें इस बात का खुद पता नहीं था कि खुद सासाराम में पोलूशन का स्तर क्या है। जाहिर है पोलूशन का पैमाना नापने की यहां पर कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है। ऐसे में मंत्री जी को भी नहीं पता था कि सासाराम का पोलूशन स्तर क्या है। ईटीवी भारत के संवाददाता ने जब उनसे सवाल किया की सासाराम में पोलूशन का स्तर क्या है तो मंत्री जी ने कहा मुझे नहीं पता अगर आपको पता है तो मुझे जानकारी दे दीजिए। जाहिर है समीक्षा बैठक करने मंत्री जी आए थे और जवाब पत्रकारों से मांग रहे थे।


Conclusion:बहरहाल किसानों के पराली को लेकर जिस तरह से लगातार सवाल उठ रहे हैं क्या वाकई पराली ही प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं या फिर वातावरण को प्रदूषण करने में हर तबके के लोग जिम्मेदार हैं।
Last Updated : Nov 14, 2019, 1:45 PM IST
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