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शेरशाह सूरी द्वारा बनवाये गये पथ की रोहतास में अनदेखी, बालू माफिया कर रहे बर्बाद

सैकड़ों साल पुराने शेरशाह सूरी पथ का अस्तित्व खतरे में है. जिला प्रशासन और पुरात्तव विभाग के संज्ञान में होने के बावजूद लगभग 500 वर्ष पुराने ऐतिहासिक शेरशाह सूरी पथ को बालू माफिया बर्बाद करने पर तुले हुए हैं. पढ़िये पूरी रिपोर्ट

rohtas sher shah suri path
rohtas sher shah suri path
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Published : Feb 18, 2021, 2:59 PM IST

Updated : Feb 18, 2021, 6:38 PM IST

रोहतास: सोन नदी में तकरीबन 500 वर्ष पुरानी शेरशाह सूरी पथ को बर्बाद करने पर बालू माफिया तुले हैं. आलम यह है इस ऐतिहासिक धरोहर पर न ही जिला प्रशासन की नजरें इनायत हो पा रही है और ना ही सूबे के मुखिया नीतीश कुमार की. ऐसे में डेहरी से भाजपा के पूर्व विधायक ने सरकार से इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने की मांग की है.

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खतरे में शेरशाह सूरी पथ का अस्तित्व
दरसअल ऐतिहासिक फ्लडवे और पत्थरों से बनी पटिया सड़क को खनन माफिया सिर्फ इस्तेमाल ही नहीं कर रहे हैं बल्कि इसकी ऐतिहासिकता को समाप्त करने पर भी तुले हुए हैं. सड़क को कई जगहों पर खनन के दौरान बर्बाद कर दिया गया है. वहीं इलाके के लोगों की मानें तो खनन के दौरान बालू के अंदर छुपाकर इसके कीमती पत्थरों को भी क्रेशर मंडी तक पहुंचाया जा रहा है. वहीं इलाके के लोग इस प्राचीन सड़क को पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित रखने की मांग भी वर्षों कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें- रेल रोको आंदोलन: कैमूर में जाप कार्यकर्ताओं ने रेलवे ट्रैक जामकर किया हंगामा

बालू माफिया पथ को कर रहे बर्बाद

rohtas sher shah suri path
etv bharat gfx
इलाके के लोग बताते हैं कि शेरशाह सूरी वंश की कई पीढ़ियां इस इलाके में जमींदोज हैं. यहां की धरती आज भी उनकी कृतियों से अपने अतीत को टटोलती रहती है. शेरशाह ने अपने शासनकाल 1540 से 45 के बीच सड़क निर्माण के कामों को प्राथमिकता देकर आवागमन को सुगम बनाया था. इसका प्रमाण हमें इतिहास के पन्नों में ही नहीं मिलते बल्कि आज भी देखने को मिल रहे हैं.

'बालू माफिया द्वारा अवैध तरीके से खनन करते हुए पुरातात्विक महत्व की धरोहर को बर्बाद करने की सूचना मिली है. जिसके बाद मैंने खुद वहां पहुंचकर जांच पड़ताल शुरू की. लेकिन जांच में पाया गया कि इस इलाके में सड़क सुरक्षित है. लेकिन बगल के जिले औरंगाबाद से माफिया नुकसान पहुंचा रहे हैं. जिलाधिकारी रोहतास के माध्यम से औरंगाबाद डीएम और एसपी को सूचना दे दी गई है ताकि कार्रवाई हो सके.'- सुनील कुमार, एसडीएम, डेहरी

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पुरानी ग्रैंड ट्रंक रोड

rohtas sher shah suri path
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डेहरी की पुरानी शेरशाह सूरी पथ जो वर्तमान की पुरानी ग्रैंड ट्रंक रोड है. वह शहर के नगर भवन के पीछे सोन नदी के छोर पर जाकर समाप्त हो जाती है. वहां से शुरू होता है नदी में बने पत्थर की चट्टानों की सड़क. यह करीब 3.5 किलोमीटर की सड़क बरसात के दिनों में पानी के कई फीट नीचे हो जाती है. जो इन दिनों में पता ही नहीं चलता. पानी का बहाव जैसे-जैसे कम होता है पत्थर के स्लीपरों से बनी सड़क फिर अपने अस्तित्व में आ जाती है. यह पथ शहर का लाइफ लाइन भी माना जाता है.

शेरशाह सूरी पथ की खासियत

rohtas sher shah suri path
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  • सोन नदी के प्रारंभिक बिंदु से जहां तक नजर पहुंचती है सड़क दिखाई पड़ती है.
    rohtas sher shah suri path
    etv bharat gfx
  • नदी किनारे 15 फीट ऊंची टावर मौजूद है, यह रास्ते को इंगित करता है.
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  • सड़क की चौड़ाई 17 फीट है.
    rohtas sher shah suri path
    शेरशाह सूरी पथ को बालू माफिया बर्बाद करने पर तुले
  • जिन पत्थरों से निर्माण हुआ है उसके स्लीपर की लंबाई 3 फीट से 9 फीट तक है.
  • मोटाई करीब 9 इंच से 1 फीट है.
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  • वहीं चौड़ाई करीब डेढ़ फीट मापी गई है.
    rohtas sher shah suri path
    शेरशाह सूरी के पुरानी ग्रैंड ट्रंक रोड की अनदेखी
  • पत्थर के स्लीपर के नीचे बोल्डर पिचिंग किया हुआ है जो अब तक अपनी मजबूती पर कायम है.
  • सड़क की नदी में लंबाई 3.5 किलोमीटर है.

इस सड़क से होकर नदी किनारे बसर करने वाले सैकड़ों परिवार सड़क सहारे सोन नदी में बने मिट्टी बालू के टीले पर रोजगार और खेती करते हैं.

रोहतास: सोन नदी में तकरीबन 500 वर्ष पुरानी शेरशाह सूरी पथ को बर्बाद करने पर बालू माफिया तुले हैं. आलम यह है इस ऐतिहासिक धरोहर पर न ही जिला प्रशासन की नजरें इनायत हो पा रही है और ना ही सूबे के मुखिया नीतीश कुमार की. ऐसे में डेहरी से भाजपा के पूर्व विधायक ने सरकार से इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने की मांग की है.

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खतरे में शेरशाह सूरी पथ का अस्तित्व
दरसअल ऐतिहासिक फ्लडवे और पत्थरों से बनी पटिया सड़क को खनन माफिया सिर्फ इस्तेमाल ही नहीं कर रहे हैं बल्कि इसकी ऐतिहासिकता को समाप्त करने पर भी तुले हुए हैं. सड़क को कई जगहों पर खनन के दौरान बर्बाद कर दिया गया है. वहीं इलाके के लोगों की मानें तो खनन के दौरान बालू के अंदर छुपाकर इसके कीमती पत्थरों को भी क्रेशर मंडी तक पहुंचाया जा रहा है. वहीं इलाके के लोग इस प्राचीन सड़क को पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित रखने की मांग भी वर्षों कर रहे हैं.

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बालू माफिया पथ को कर रहे बर्बाद

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इलाके के लोग बताते हैं कि शेरशाह सूरी वंश की कई पीढ़ियां इस इलाके में जमींदोज हैं. यहां की धरती आज भी उनकी कृतियों से अपने अतीत को टटोलती रहती है. शेरशाह ने अपने शासनकाल 1540 से 45 के बीच सड़क निर्माण के कामों को प्राथमिकता देकर आवागमन को सुगम बनाया था. इसका प्रमाण हमें इतिहास के पन्नों में ही नहीं मिलते बल्कि आज भी देखने को मिल रहे हैं.

'बालू माफिया द्वारा अवैध तरीके से खनन करते हुए पुरातात्विक महत्व की धरोहर को बर्बाद करने की सूचना मिली है. जिसके बाद मैंने खुद वहां पहुंचकर जांच पड़ताल शुरू की. लेकिन जांच में पाया गया कि इस इलाके में सड़क सुरक्षित है. लेकिन बगल के जिले औरंगाबाद से माफिया नुकसान पहुंचा रहे हैं. जिलाधिकारी रोहतास के माध्यम से औरंगाबाद डीएम और एसपी को सूचना दे दी गई है ताकि कार्रवाई हो सके.'- सुनील कुमार, एसडीएम, डेहरी

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पुरानी ग्रैंड ट्रंक रोड

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डेहरी की पुरानी शेरशाह सूरी पथ जो वर्तमान की पुरानी ग्रैंड ट्रंक रोड है. वह शहर के नगर भवन के पीछे सोन नदी के छोर पर जाकर समाप्त हो जाती है. वहां से शुरू होता है नदी में बने पत्थर की चट्टानों की सड़क. यह करीब 3.5 किलोमीटर की सड़क बरसात के दिनों में पानी के कई फीट नीचे हो जाती है. जो इन दिनों में पता ही नहीं चलता. पानी का बहाव जैसे-जैसे कम होता है पत्थर के स्लीपरों से बनी सड़क फिर अपने अस्तित्व में आ जाती है. यह पथ शहर का लाइफ लाइन भी माना जाता है.

शेरशाह सूरी पथ की खासियत

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  • सोन नदी के प्रारंभिक बिंदु से जहां तक नजर पहुंचती है सड़क दिखाई पड़ती है.
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  • नदी किनारे 15 फीट ऊंची टावर मौजूद है, यह रास्ते को इंगित करता है.
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  • सड़क की चौड़ाई 17 फीट है.
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    शेरशाह सूरी पथ को बालू माफिया बर्बाद करने पर तुले
  • जिन पत्थरों से निर्माण हुआ है उसके स्लीपर की लंबाई 3 फीट से 9 फीट तक है.
  • मोटाई करीब 9 इंच से 1 फीट है.
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  • वहीं चौड़ाई करीब डेढ़ फीट मापी गई है.
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    शेरशाह सूरी के पुरानी ग्रैंड ट्रंक रोड की अनदेखी
  • पत्थर के स्लीपर के नीचे बोल्डर पिचिंग किया हुआ है जो अब तक अपनी मजबूती पर कायम है.
  • सड़क की नदी में लंबाई 3.5 किलोमीटर है.

इस सड़क से होकर नदी किनारे बसर करने वाले सैकड़ों परिवार सड़क सहारे सोन नदी में बने मिट्टी बालू के टीले पर रोजगार और खेती करते हैं.

Last Updated : Feb 18, 2021, 6:38 PM IST
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