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रोहतास: घर लौटे प्रवासी मजदूरों को क्वॉरंटाइन सेंटर में नहीं मिली जगह, गांव के बाहर बनाया ठिकाना

प्रवासी मजदूरों ने कहा कि प्रदेश से लौटने के बाद क्वॉरंटाइन होने के लिए प्रखंड कार्यालय गए, तो वहां कहा गया कि अब कहीं जगह नहीं बची है. ऐसी स्थिति में अपने गांव और परिवार को संक्रमण के खतरे से बचाने के लिए खुद को गांव से बाहर क्वॉरंटाइन कर लिया.

प्रवासी मजदूर
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Published : May 24, 2020, 2:09 PM IST

रोहतास: देश के अलग-अलग राज्यों से अपने गांव लौटने के बाद भी प्रवासी मजदूरों की समस्याएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. ताजा मामला रोहतास जिले के करगहर का है. जहां दिल्ली, हरियाणा, सूरत से पैदल साइकल और अन्य साधनों से अपने गांव लौटे प्रवासी श्रमिकों को क्वॉरंटाइन सेंटरों में भी जगह नहीं मिल रही है. ऐसी स्थिति में जब प्रशासन ने हाथ खड़े कर दिए तो लोग गांव के बाहर पेड़ के नीचे और दूरदराज बंद पड़े गोशाले में खुद को क्वॉरंटाइन कर रहे हैं.

rohtas
प्रवासी मजदूर

क्वॉरंटाइन सेंटर में नहीं मिली जगह
दूसरे राज्य से लौटे प्रवासी मुन्ना कुमार बाड़ी ने कहा कि इस भीषण गर्मी में गांव के घनी बस्ती से दूर एक किनारे पेड़ के नीचे अपने आप क्वॉरंटाइन किया है. प्रवासी मजदूरों का कहना है कि प्रदेश से लौटने के बाद जब खुद को क्वॉरंटाइन करने के लिए प्रखंड कार्यालय गए, तो वहां कहा गया कि अब कहीं जगह नहीं बची है. ऐसी स्थिति में अपने गांव और परिवार को संक्रमण के खतरे से बचाने के लिए खुद को गांव से बाहर क्वॉरंटाइन कर लिया.

पेश है रिपोर्ट

गांव के बाहर खुद को किया क्वॉरंटाइन
मजदूरों ने कहा कि परिवार को बचाने के लिए वे 14 दिन के बजाय खुद को 21 दिनों तक सबसे दूर रखेंगे. बता दें कि गांव के लोग इन लोगों को थोड़ा बहुत खाना पहुंचा देते हैं और किसी तरह यह लोग वक्त गुजार रहे हैं. पानापुर में एक जगह जहां 8 श्रमिक टिके हुए हैं. वहीं, खरारी में भी एक दर्जन से अधिक श्रमिक खुद को गांव से बाहर खेत में क्वॉरंटाइन किए हैं.

रोहतास: देश के अलग-अलग राज्यों से अपने गांव लौटने के बाद भी प्रवासी मजदूरों की समस्याएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. ताजा मामला रोहतास जिले के करगहर का है. जहां दिल्ली, हरियाणा, सूरत से पैदल साइकल और अन्य साधनों से अपने गांव लौटे प्रवासी श्रमिकों को क्वॉरंटाइन सेंटरों में भी जगह नहीं मिल रही है. ऐसी स्थिति में जब प्रशासन ने हाथ खड़े कर दिए तो लोग गांव के बाहर पेड़ के नीचे और दूरदराज बंद पड़े गोशाले में खुद को क्वॉरंटाइन कर रहे हैं.

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क्वॉरंटाइन सेंटर में नहीं मिली जगह
दूसरे राज्य से लौटे प्रवासी मुन्ना कुमार बाड़ी ने कहा कि इस भीषण गर्मी में गांव के घनी बस्ती से दूर एक किनारे पेड़ के नीचे अपने आप क्वॉरंटाइन किया है. प्रवासी मजदूरों का कहना है कि प्रदेश से लौटने के बाद जब खुद को क्वॉरंटाइन करने के लिए प्रखंड कार्यालय गए, तो वहां कहा गया कि अब कहीं जगह नहीं बची है. ऐसी स्थिति में अपने गांव और परिवार को संक्रमण के खतरे से बचाने के लिए खुद को गांव से बाहर क्वॉरंटाइन कर लिया.

पेश है रिपोर्ट

गांव के बाहर खुद को किया क्वॉरंटाइन
मजदूरों ने कहा कि परिवार को बचाने के लिए वे 14 दिन के बजाय खुद को 21 दिनों तक सबसे दूर रखेंगे. बता दें कि गांव के लोग इन लोगों को थोड़ा बहुत खाना पहुंचा देते हैं और किसी तरह यह लोग वक्त गुजार रहे हैं. पानापुर में एक जगह जहां 8 श्रमिक टिके हुए हैं. वहीं, खरारी में भी एक दर्जन से अधिक श्रमिक खुद को गांव से बाहर खेत में क्वॉरंटाइन किए हैं.

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