रोहतास: मुर्गे की प्रजाती तो कई प्रकार की होती है. लेकिन एक ऐसा मुर्गा है जिसकी कीमत से लेकर खासियत भी अलग है. रोहतास के तिलोथू गांव के रहने वाले कुमार प्रेमचंद ने इस अनोखे मुर्गे को पालने का काम किया है.
बिहार के किसी हिस्से में नहीं है मौजूद है कड़कनाथ मुर्गा
इस मुर्गे को कड़कनाथ के नाम से जाना जाता है. यह विशेष कर मध्यप्रदेश में पाया जाता है. फिलहाल ये कड़कनाथ मुर्गा बिहार के किसी हिस्से में नहीं है. ज़ाहिर है अभी भी लोगों को इस मुर्गे की जानकारी नहीं मिली होगी.
मशीनों से नस्ल किया जाएगातैयार
यह मुर्गा काफी ज्यादा महंगा है. कुमार प्रेमचंद की जिद ने कड़कनाथ नाथ मुर्गे का पालन ही नहीं किया बल्कि उस मुर्गे का नस्ल तैयार करने की शुरूआत कर दी है. उनके हिसाब से बच्चा भी मशीनों में तैयार किया शुरू कर दिया गया है.
खून बढ़ाने में होता है सहयक
कुमार प्रेमचंद बताते है कि ये कड़कनाथ मुर्गा बेहद महंगा और फायदेमंद है. साथ ही यह खून बढ़ाने में सहायक है. इसकी असल पहचान काले रंग से होती है. जिसमें उस मुर्गे के सभी अंग काले होते है. यहां तक उसके खून से लेकर मांस तक काले होते हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि इस कड़कनाथ मुर्गे में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा नहीं पाई जाती है. इसमें भरपूर प्रोटीन पाया जाता है.
700 से 800 के बीच है इसकी कीमत
आमतौर पर जो बाजार में मुर्गे की डिमांड है उसमें सबसे अधिक फार्म या देसी मुर्गे की है. जिसका बाजारू भाव तक़रीबन 200 से 300 के बीच है. लेकिन कड़कनाथ मुर्गे की डिमांड भी काफी ज्यादा है. यही वजह है कि इसकी कीमत 700 से 800 के बीच है.
लोगों को मिल रहा है रोजगार
कुमार ने बताया कि इससे काफी अच्छा फायदा हो रहा है. कम लागत में अधिक मुनाफा कमाया जा रहा है. फिलाहल इसे दुगने से अधिक आमदनी कर गांव के अन्य लोगों को भी रोजगार दे रहें हैं. नौकरी छोड़ इस तरह के मुर्गे पालन कर लाखों रुपयों के रोजगार कर रहें हैं.
गांव में बनाई नई पहचान
प्रेमचंद की इस लगन का मुरीद सब कोई है. क्योंकि गांव के कई लोगों को इससे रोज़गार मिल रहा है. फिलाह प्रेमचंद का एक ही मक़सद है इस कड़कनाथ मुर्गे का उत्पादन कर लोगों तक इसको पहचान दिलाना.