ETV Bharat / state

देखिए मंत्री जी इस अस्पताल का हाल, यहां दांत के डॉक्टर कर रहे बुखार का इलाज - Rohtas facing government negligence

करगहर प्रखंड के सरकारी अस्पताल में 8 डॉक्टरों का पद मौजूद है. लेकिन, सरकार की अनदेखी के कारण महज 2 डॉक्टर ही पूरे प्रखंड अस्पताल को संभालने को मजबूर हैं.

करगहर प्रखंड का सरकारी अस्पताल
author img

By

Published : Sep 19, 2019, 10:49 AM IST

रोहतास: जिला मुख्यालय के करगहर प्रखंड का सरकारी अस्पताल भगवान भरोसे चल रहा है. आलम यह है कि मरीजों के लिए यहां पर डॉक्टर ही मौजूद नहीं है. सरकारी अनदेखी के कारण यहां आने वाले मरीजों को मुंह लटकाए वापस लौटना पड़ता है. यहां सुविधाओं का घोर अभाव है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

गौरतलब है कि स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर सुशासन बाबू की आए दिन किरकिरी होती रहती है. बेहतरी के तमाम दावों के बावजूद लापरवाही और बदहाली की तस्वीरें सामने आ ही जाती है. रोहतास जिले के करगहर प्रखंड के सरकारी अस्पताल में भी यही देखने को मिल रहा है.

rohtas
नहीं है सफाई कर्मचारी

पदों पर बहाल नहीं है डॉक्टर
करगहर प्रखंड के सरकारी अस्पताल में आठ डॉक्टरों का पद मौजूद है. लेकिन, सरकार की अनदेखी के कारण महज दो डॉक्टर ही पूरे प्रखंड अस्पताल को संभालने को मजबूर हैं. हालात यह हैं कि दांत के डॉक्टर सर्दी, बुखार के मरीज का इलाज करते हैं. सरकार की तरफ से मरीजों के लिए सतरंगी चादर का भी इंतजाम है. लेकिन, इसका लाभ भी मरीजों को नहीं मिलता है.

rohtas
मरीजों के लिए नहीं है पुख्ता व्यवस्था

बंद पड़ा जांच कक्ष
सुविधाओं के नाम पर यहां महज खानापूर्ति की जाती है. इतना ही नहीं कई तरह के जांच भी उपलब्ध नहीं है. ऐसे में यह सवाल लाजमी है कि गरीब मरीज कहां जाऐंगे? अस्पताल में इलाज करवाने पहुंचे एक गरीब मरीज ने बताया कि यहां जांच की व्यवस्था नहीं है. जांच कक्ष बंद पड़ा है. अस्पताल परिसर में बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव है.

rohtas
जांच कक्ष में लटका ताला

12-12 घंटे काम कर रहे डॉक्टर
अस्पताल प्रभारी का कहना है कि डॉक्टर्स की कमी की बात विभाग को बताई जा चुकी है. लेकिन, कोई समाधान नहीं निकला है. दो डॉक्टर 12-12 घंटे करके काम करते हैं. उसपर भी एक बीमार हो जाए तो समस्या और बढ़ जाती है. प्राइवेट इलाज महंगा होने के कारण लोग यहां आने को मजबूर हैं.

rohtas
अस्पताल परिसर में फैली गंदगी

रोहतास: जिला मुख्यालय के करगहर प्रखंड का सरकारी अस्पताल भगवान भरोसे चल रहा है. आलम यह है कि मरीजों के लिए यहां पर डॉक्टर ही मौजूद नहीं है. सरकारी अनदेखी के कारण यहां आने वाले मरीजों को मुंह लटकाए वापस लौटना पड़ता है. यहां सुविधाओं का घोर अभाव है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

गौरतलब है कि स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर सुशासन बाबू की आए दिन किरकिरी होती रहती है. बेहतरी के तमाम दावों के बावजूद लापरवाही और बदहाली की तस्वीरें सामने आ ही जाती है. रोहतास जिले के करगहर प्रखंड के सरकारी अस्पताल में भी यही देखने को मिल रहा है.

rohtas
नहीं है सफाई कर्मचारी

पदों पर बहाल नहीं है डॉक्टर
करगहर प्रखंड के सरकारी अस्पताल में आठ डॉक्टरों का पद मौजूद है. लेकिन, सरकार की अनदेखी के कारण महज दो डॉक्टर ही पूरे प्रखंड अस्पताल को संभालने को मजबूर हैं. हालात यह हैं कि दांत के डॉक्टर सर्दी, बुखार के मरीज का इलाज करते हैं. सरकार की तरफ से मरीजों के लिए सतरंगी चादर का भी इंतजाम है. लेकिन, इसका लाभ भी मरीजों को नहीं मिलता है.

rohtas
मरीजों के लिए नहीं है पुख्ता व्यवस्था

बंद पड़ा जांच कक्ष
सुविधाओं के नाम पर यहां महज खानापूर्ति की जाती है. इतना ही नहीं कई तरह के जांच भी उपलब्ध नहीं है. ऐसे में यह सवाल लाजमी है कि गरीब मरीज कहां जाऐंगे? अस्पताल में इलाज करवाने पहुंचे एक गरीब मरीज ने बताया कि यहां जांच की व्यवस्था नहीं है. जांच कक्ष बंद पड़ा है. अस्पताल परिसर में बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव है.

rohtas
जांच कक्ष में लटका ताला

12-12 घंटे काम कर रहे डॉक्टर
अस्पताल प्रभारी का कहना है कि डॉक्टर्स की कमी की बात विभाग को बताई जा चुकी है. लेकिन, कोई समाधान नहीं निकला है. दो डॉक्टर 12-12 घंटे करके काम करते हैं. उसपर भी एक बीमार हो जाए तो समस्या और बढ़ जाती है. प्राइवेट इलाज महंगा होने के कारण लोग यहां आने को मजबूर हैं.

rohtas
अस्पताल परिसर में फैली गंदगी
Intro:रोहतास। जिला मुख्यालय के करगहर प्रखंड में सरकारी अस्पताल इन दिनों राम भरोसे चल रहा है। मरीजों के लिए यहां पर डॉक्टर ही मौजूद नहीं है।


Body:गौरतलब है कि बिहार में स्वास्थ्य विभाग को लेकर सुशासन बाबू के आए दिन किरकिरी होती रहती है। क्योंकि लगतार स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही सामने आ रही है। कुछ ऐसा ही नजारा रोहतास जिला के करगहर प्रखंड के सरकारी अस्पताल में भी देखने को मिला। जहां ना तो मरीजों को देखने के लिए डॉक्टर है और ना ही उनके इलाज के लिए मुकम्मल सुविधा है।
ऐसे में जहां करगहर प्रखंड के सरकारी अस्पताल में आठ डॉक्टरों का पद मौजूद है। लेकिन सरकार की लापरवाही से महज दो डॉक्टर ही पूरे प्रखंड अस्पताल को संभालने को मजबूर है। वही मजबूरी में दांत के डॉक्टर आम मरीज़ों का इलाज करते हैं। सरकार की तरफ से मरीजों के लिए सतरंगी चादर का भी इंतजाम अस्पताल में किया जाता है। लेकिन इस सतरंगी चादर का लाभ मरीजों को नहीं मिलता क्योंकि अस्पताल प्रबंधक के पास चादर धोने का कोई इंतजाम नहीं है। ऐसे में गंदी पड़ी चादर को धोबी के यहां दे दिया जाता है। जिससे धुलने में काफी वक्त लग जाता है। बहरहाल सुविधाओं के नाम पर यहां महज खानापूर्ति होती है। इतना ही नहीं कई तरह के जांच भी उपलब्ध नहीं है। लिहाज़ा सवाल उठना लाज़मी है कि अब ऐसे में गरीब मरीजों का इलाज कैसे संभव हो पाएगा। जिस अस्पताल में बुखार की एक दवा तक मौजूद ना हो वह अस्पताल में इलाज कैसे संभव हो पाएगा। वही इलाज करवाने पहुंचे गरीब मरीज ने बताया कि वह कब से जांच के लिए भटक रहा है लेकिन उसकी जांच अब तक नहीं हो पाई है। जाहिर है सरकारी अस्पतालों की भजन ताजा में किसी से नहीं चुकी है लेकिन सरकार आखिर इस पर कब तवज्जो देगा इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है क्योंकि लगातार सरकार पर स्वास्थ्य विभाग को लेकर सवाल उठते रहे हैं।


Conclusion:बहरहाल सरकारी उदासीनता की वजह से ही सरकारी अस्पतालों का स्तर लगातार गिरता जा रहा है। लिहाजा गरीबों को मिलने वाली सुविधाएं इस अस्पताल में नहीं मिलती है।

बाइट। डॉक्टर धर्मवीर सिंह अस्पताल प्रभारी करगहर
बाइट। मेडिसिन इंचार्ज
बाइट। मरीज
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.