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बिहार में चढ़ने लगा होली का खुमार, ग्रामीण इलाकों में फगुआ गीतों पर लगने लगे ठुमके

रोहतास में फाल्गुन का महीना शुरू होते ही लोगों में होली का (Holi Celebrations Started In Rohtas) खुमार चढ़ने लगा है. जिले के ग्रामीण इलाकों में होली के गीतों का कार्यक्रम शुरू हो गया है. इस दौरान दो अलग-अलग मंडली में गीतों की प्रतियोगिता होती है. इस कार्यक्रम को दो-गोला फगुआ कार्यक्रम कहते हैं.

रोहतास में चढ़ने लगा होली का खुमार
रोहतास में चढ़ने लगा होली का खुमार
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Published : Mar 4, 2022, 12:44 PM IST

रोहतास: फाल्गुन का महीना शुरू होते ही बिहार में होली का गीत शुरू हो जाता है. इसी कड़ी में रोहतास के ग्रामीणों इलाकों में (Program Of Traditional Holi Songs In Rohtas) होली के गीत गाने का कार्यक्रम शुरू हो चुका है. बिहार की संस्कृति में (Culture of Bihar) होली का काफी बड़ा महत्व है. जिसके कारण फाल्गुन महीना शुरू होते ही होली के गीत गाने का कार्यक्रम शुरू हो जाता है. ऐसे में लोग समूह में बैठकर एक साथ फगुआ के गीत गाते हैं.

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दो-गोला फगुआ कार्यक्रम का आयोजन: दरअसल अकोढ़ीगोला के भीम-करूप गांव में ग्रामीणों ने फगुआ गीत के कार्यक्रम का आयोजन कराया. जिसमें स्थानीय कलाकारों ने फगुआ के गीतों पर रंग बिखेर दिए. दर्जनों लोग एक साथ बैठकर सामूहिक तरीके से झूम झूम कर फगुआ गीत का आनंद लेते नजर आए. वहीं इस दौरान दो अलग-अलग मंडली में गीतों की प्रतियोगिता होती है जो रात भर चलती है, जिसे दो-गोला फगुआ कार्यक्रम कहते हैं.

फाल्गुन में फगुआ गीतों की परंपरा: जिस प्रकार सावन में कजरी, चैत महीना में चैता ठीक उसी प्रकार फाल्गुन में फगुआ गीत गाने की परंपरा हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में अभी से ही लोगों में होली का रंग चढ़ने लगा है. रोहतास में भी फाल्गुन महीने में फगुआ गीत की परंपरा रही है. फगुआ के गीतों में ज्यादातर भगवान श्रीराम, राधा-कृष्ण एवं शिव-पार्वती की चर्चा होती है.
ये भी पढ़ें- होली बयार पर पुष्पा का रंग, 'हम तोहर पुष्पा तु हमर कली..गली में आबs ए श्रीवल्ली', देखें भोजपुरी वर्जन

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रोहतास: फाल्गुन का महीना शुरू होते ही बिहार में होली का गीत शुरू हो जाता है. इसी कड़ी में रोहतास के ग्रामीणों इलाकों में (Program Of Traditional Holi Songs In Rohtas) होली के गीत गाने का कार्यक्रम शुरू हो चुका है. बिहार की संस्कृति में (Culture of Bihar) होली का काफी बड़ा महत्व है. जिसके कारण फाल्गुन महीना शुरू होते ही होली के गीत गाने का कार्यक्रम शुरू हो जाता है. ऐसे में लोग समूह में बैठकर एक साथ फगुआ के गीत गाते हैं.

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दो-गोला फगुआ कार्यक्रम का आयोजन: दरअसल अकोढ़ीगोला के भीम-करूप गांव में ग्रामीणों ने फगुआ गीत के कार्यक्रम का आयोजन कराया. जिसमें स्थानीय कलाकारों ने फगुआ के गीतों पर रंग बिखेर दिए. दर्जनों लोग एक साथ बैठकर सामूहिक तरीके से झूम झूम कर फगुआ गीत का आनंद लेते नजर आए. वहीं इस दौरान दो अलग-अलग मंडली में गीतों की प्रतियोगिता होती है जो रात भर चलती है, जिसे दो-गोला फगुआ कार्यक्रम कहते हैं.

फाल्गुन में फगुआ गीतों की परंपरा: जिस प्रकार सावन में कजरी, चैत महीना में चैता ठीक उसी प्रकार फाल्गुन में फगुआ गीत गाने की परंपरा हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में अभी से ही लोगों में होली का रंग चढ़ने लगा है. रोहतास में भी फाल्गुन महीने में फगुआ गीत की परंपरा रही है. फगुआ के गीतों में ज्यादातर भगवान श्रीराम, राधा-कृष्ण एवं शिव-पार्वती की चर्चा होती है.
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