रोहतास: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सुरंग में फंसे मजदूरों को बचाने का अभियान लगभग पूरा हो चुका है. सभी मजदूर आखिरकार मौत को मात देकर बाहर आने ही वाले हैं. उत्तरकाशी के टनल में बिहार के मजदूर भी शामिल हैं, जिससे बिहार वासियों में खुशी का माहौल है. बिहार रोहतास जिले में तिलौथू स्थित चंदनपुरा गांव के वार्ड नंबर 4 के रहने वाले मजदूर सुशील कुमार भी टनल में फंसे हुए हैं. इसी को लेकर ईटीवी भारत के संवाददाता ने मजदूर के परिजनों से बात कर उनकी खुशी जानने की कोशिश की.
परिवार की बढ़ी उम्मीदें: लगातार 17 दिन तक चले बचाव अभियान के बाद मंगलवार को वह 'मंगलघड़ी' आई, जिसका ना सिर्फ मजदूरों के परिवारों को बल्कि पूरे देश को इंतजार था. मजदूर सुशील कुमार की पत्नी ने बताया कि अपने पति से उनकी फोन पर बात हुई है, उसके पति ने बताया है कि आज बाहर आ जाएंगे. आखिरकार इंतजार का वक्त खत्म होने वाला है.
"दोपहर 1 बजे फोन आया था, तो बोले थे कि आज शाम बाहर आ जाएंगे. बस जल्द से जल्द बाहर निकल जाएं"- गुड़िया देवी, टनल में फंसे मजदूर की पत्नी
17 दिन तक चला बचाव अभियान: बता दें कि किसी भी वक्त मजदूर बाहर निकल सकते हैं. 17 दिन तक चले बचाव अभियान के बाद 400 से अधिक घंटे तक देसी-विदेशी मशीनों और एक्सपर्ट ने मुश्किलों और चुनौतियों से भरे मिशन में हर बाधा को पार करते हुए मजदूरों के निकलने का रास्ता बना दिया. मलबे में 800 एमएम की पाइप डालकर एक स्केप टनल बनाया गया, जिसके जरिए मजदूरों ने बाहर निकालने की प्रक्रिया चल रही है.
'जब तक सामने नहीं देखूंगा, तबतक नहीं मानूंगा': जैसे-जैसे टनल से मजदूरों के निकलने की संभावना की खबर गांव में पहुंच रही है, वैसे-वैसे गांव के लोग उत्साहित हो रहे हैं. मजदूर के पिता का कहना है कि जब तक अपने बेटे को अपनी आंख से नहीं देख लेते, तब तक चैन नहीं मिलेगा. इस दौरान परिजन काफी ज्यादा भावुक भी दिखे.
"17 दिन से उनके परिवार में किसी लोगों ने सही से भोजन पानी नहीं किया है. एक-एक पल मुश्किल से बीत रहा है. जबतक अपने बेटे को अपनी आंख से नहीं देख लेते तबतक कुछ विश्वास नहीं होगा."- राजदेव विश्वकर्मा, टनल में फंसे मजदूर के पिता
टनल में कैसे फंसे थे 41 मजदूर: दरअसल उत्तरकाशी में निर्माणाधीन टनल का एक हिस्सा 12 नवंबर को दिवाली की सुबह ढह गया था. इससे 41 मजदूर टनल में फंस गए. घटना के तुरंत बाद बचाव अभियान शुरू कर दिया गया, लेकिन ड्रिलिंग में बाधाओं के कारण रेस्क्यू में इतनी देरी हुई. इनको निकालने के लिए चलाया जा रहा रेस्क्यू अभियान लगभग पूरा हो चुका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी प्रतिदिन रेस्क्यू ऑपरेशन के बारे में जानकारी ले रहे हैं. NDRF की टीम भी सुरंग में प्रवेश कर चुकी है. इनके साथ ही डॉक्टरों की टीम भी सुरंग में मौजूद है.