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रोहतास: शहर के आधा दर्जन छठ घाटों पर बैन, छठ व्रतियों की मुश्किलें बढ़ी - खतरनाक घाट

प्रशासन की ओर से छठ घाट बैन करने पर आस-पास के छठव्रती काफी परेशान हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां पर दूर-दराज से छठ व्रती भगवान भास्कर की आराधना करने के लिए आते हैं.

जिला प्रशासन ने शहर के आधा दर्जन छठ घाटों को किया बैन
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Published : Oct 31, 2019, 3:33 PM IST

रोहतास: बिहार का सबसे बड़ा पर्व कहे जाने वाले छठ की नहाय-खाय के साथ शुरुआत हो गई है. 4 दिनों तक चलने वाले इस अनुष्ठान का समापन 3 नवंबर को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर होगा. इस महापावन त्योहार को लेकर जिला समेत पूरे प्रदेश में तैयारियां अंतिम चरण पर हैं. ऐसे में जिले के सोन नदी तट पर जिला प्रशासन ने लगभग आधा दर्जन छठ घाटों को बैन कर दिया है. जिससे जिलावासी हतप्रभ और परेशान है.

स्थानीय
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छठ व्रतियों की मुश्किलें बढ़ी
प्रशासन की ओर से छठ घाट बैन करने पर आस-पास के छठ व्रती काफी परेशान है. स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां पर दूर-दराज से छठ व्रती भगवान भास्कर की आराधना करने के लिए आती है. ऐसे में वे सभी लोग इस महापर्व को कहां पर करेंगी.

जिला प्रशासन ने शहर के आधा दर्जन छठ घाटों को किया बैन

बढ़ा हुआ है सोन नदी का जलस्तर
बताया जा रहा है कि इंद्रपुरी बराज से पानी छोड़े जाने के बाद सोन नदी का जल स्तर काफी बढ़ा हुआ है. जिसको लेकर जिला प्रशासन ने एहतियातन इन सभी घाटों को खतरनाक घाट बताते हुए बैन कर दिया है. इन सभी घाटों पर डीएम ने गोताखोरों और स्थानीय अघिकारियों को तैनात रहने का आदेश दिया है.


ये सभी घाट है बैन

  • सुधा डेयरी घाट
  • टाल बांस घाट
  • इमलिया घाट
  • एनीकट घाट

इन सभी घाटों के अलावे एसपी आवास के पास पड़ने वाले 2 अन्य छठ घाठ को भी खतरनाक घाट मानते हुए जिला प्रशासन ने बैन कर दिया है. इस संबंघ में जिले के डीएम ने लोगों को आस्था के इस महापर्व में किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए अन्य घाटो पर जाने की अपील की है.

रोहतास: बिहार का सबसे बड़ा पर्व कहे जाने वाले छठ की नहाय-खाय के साथ शुरुआत हो गई है. 4 दिनों तक चलने वाले इस अनुष्ठान का समापन 3 नवंबर को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर होगा. इस महापावन त्योहार को लेकर जिला समेत पूरे प्रदेश में तैयारियां अंतिम चरण पर हैं. ऐसे में जिले के सोन नदी तट पर जिला प्रशासन ने लगभग आधा दर्जन छठ घाटों को बैन कर दिया है. जिससे जिलावासी हतप्रभ और परेशान है.

स्थानीय
स्थानीय

छठ व्रतियों की मुश्किलें बढ़ी
प्रशासन की ओर से छठ घाट बैन करने पर आस-पास के छठ व्रती काफी परेशान है. स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां पर दूर-दराज से छठ व्रती भगवान भास्कर की आराधना करने के लिए आती है. ऐसे में वे सभी लोग इस महापर्व को कहां पर करेंगी.

जिला प्रशासन ने शहर के आधा दर्जन छठ घाटों को किया बैन

बढ़ा हुआ है सोन नदी का जलस्तर
बताया जा रहा है कि इंद्रपुरी बराज से पानी छोड़े जाने के बाद सोन नदी का जल स्तर काफी बढ़ा हुआ है. जिसको लेकर जिला प्रशासन ने एहतियातन इन सभी घाटों को खतरनाक घाट बताते हुए बैन कर दिया है. इन सभी घाटों पर डीएम ने गोताखोरों और स्थानीय अघिकारियों को तैनात रहने का आदेश दिया है.


ये सभी घाट है बैन

  • सुधा डेयरी घाट
  • टाल बांस घाट
  • इमलिया घाट
  • एनीकट घाट

इन सभी घाटों के अलावे एसपी आवास के पास पड़ने वाले 2 अन्य छठ घाठ को भी खतरनाक घाट मानते हुए जिला प्रशासन ने बैन कर दिया है. इस संबंघ में जिले के डीएम ने लोगों को आस्था के इस महापर्व में किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए अन्य घाटो पर जाने की अपील की है.

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लोक आस्था के महापर्व छठ व्रत को लेकर जिले में सोन नदी तट के आधा दर्जन छठ घाटों को प्रशासन ने बैन कर दिया है छठ घाटों पर छठ व्रतियों को छठ ना करने के निर्देश जारी किए गए हैं ऐसे में यहां के लोग व दूर-दराज से आने वाले छठ व्रतियों के सामने मुश्किलें खड़ी हो गई हैं कि आखिर वा छठ पर्व करेंगे कैसे वही कई पूजा कमेटी के लोग भी प्रशासन के इस निर्णय से सकते में पड़ गए हैं


Body:दरअसल सोन नदी के किनारे पड़ने वाले लगभग आधे दर्जनभर छठ घाट को सोन नदी में बढ़े हुए जल स्तर को देखते हुए डीएम के निर्देश पर छठ घाटों को प्रतिबंधित कर दिया गया है इंद्रपुरी बराज से पानी छोड़े जाने के बाद सुधा डेयरी, टाल बास ,इमलिया घाट, एनीकट घाट ,एसपी आवास के समीप छठ घाटों को बैन कर बैरिकेटिंग करने के निर्देश जारी किये गए है साथ ही सभी घाटों पर गोताखोर के साथ-साथ स्थानीय अधिकारियों को भी तैनात रहने के निर्देश दिए गए हैं वही पुलिस प्रशासन के द्वारा वीडियो कैमरे से भी भीड़ की निगरानी रखी जाएगी

वहीं स्थानीय लोग का कहना है कि इस बार सोन नदी के बढ़े हुए जल स्तर के कारण प्रशासन ने घाटों को बहन तो जरूर कर दिया है लेकिन इस इलाके के लोगों को खासकर के दूरदराज से छात्रवृत्ति यहां छठ व्रत करने आते हैं उनकी मुश्किल जरूर बढ़ जाएंगी क्योंकि हर साल यहां लाखों की संख्या में लोग सोन तट के किनारे छठ पर्व मनाते हैं




Conclusion:
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