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रोहतास: ईद की खुशियों को लगी कोरोना की नजर, महामारी के कारण फीका रहा त्यौहार - लॉकडाउन

वरिष्ठ पत्रकार वारिस अली कहते हैं कि महामारी ने त्यौहार का रंग फीका कर दिया है. हर तरफ सन्नाटा पसरा है. सब लोग घरों में कैद हैं. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा रहा है. ईद पर्व की रौनक गायब है.

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Published : May 25, 2020, 4:59 PM IST

Updated : May 25, 2020, 6:47 PM IST

रोहतास: ईद की खुशियों पर कोरोना की नजर लग गई है. माहे रमजान के बाद आने वाले ईद का पर्व मुस्लिम समुदाय के लिए बेहद खास होता है, लेकिन इस बार कोरोना महामारी ने ईद की रौनक फीकी कर दी है. शहर की गलियों में जश्न और खुशियों की जगह वीरानी छाई हुई है.

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ऐसे ही एक मुस्लिम परिवार से हमारे ईटीवी भारत के संवाददाता रवि ने बात की. परिवार के लोगों ने बताया कि करोना महामारी के कारण इस बार ईद फीकी है. पिछले साल की ईद और आज की ईद में जमीन आसमान का फर्क है. इस बार कहीं से ईदी नहीं आई और न ही बच्चों को वह नए कपड़े दिला पाए. घर में ही नमाज पढ़ी गई. कोरोना महामारी के कारण न तो वह किसी से मिलने जा सकते हैं और न ही कोई मिलने आ रहा है. बस घर में ही सादगी के साथ ईद मना रहे हैं. त्योहार को बेहतर ढंग से न मना पाने का उन्हें मलाल भी है.

पेश है एक रिपोर्ट

बच्चों में मायूसी
घर की महिलाएं कहती हैं कि आज से पहले ऐसा कभी नहीं हुआ. ईद की तैयारियों को लेकर पूरे परिवार में खुशियां होती थी. शॉपिंग होती थी, लेकिन इस बार यह पर्व सिर्फ कसक बनकर रह गई है. बच्चे परेशान हैं. कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण इस बार हम ईद ढंग से नहीं मना पा रहे.

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वीरान गलियां

कोरोना और लॉकडाउन का असर
इस पर वरिष्ठ पत्रकार वारिस अली कहते हैं कि महामारी ने त्यौहार का रंग फीका कर दिया है. हर तरफ सन्नाटा पसरा है. सब लोग घरों में कैद हैं. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा रहा है. ईद पर्व की रौनक गायब है.

रोहतास: ईद की खुशियों पर कोरोना की नजर लग गई है. माहे रमजान के बाद आने वाले ईद का पर्व मुस्लिम समुदाय के लिए बेहद खास होता है, लेकिन इस बार कोरोना महामारी ने ईद की रौनक फीकी कर दी है. शहर की गलियों में जश्न और खुशियों की जगह वीरानी छाई हुई है.

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ऐसे ही एक मुस्लिम परिवार से हमारे ईटीवी भारत के संवाददाता रवि ने बात की. परिवार के लोगों ने बताया कि करोना महामारी के कारण इस बार ईद फीकी है. पिछले साल की ईद और आज की ईद में जमीन आसमान का फर्क है. इस बार कहीं से ईदी नहीं आई और न ही बच्चों को वह नए कपड़े दिला पाए. घर में ही नमाज पढ़ी गई. कोरोना महामारी के कारण न तो वह किसी से मिलने जा सकते हैं और न ही कोई मिलने आ रहा है. बस घर में ही सादगी के साथ ईद मना रहे हैं. त्योहार को बेहतर ढंग से न मना पाने का उन्हें मलाल भी है.

पेश है एक रिपोर्ट

बच्चों में मायूसी
घर की महिलाएं कहती हैं कि आज से पहले ऐसा कभी नहीं हुआ. ईद की तैयारियों को लेकर पूरे परिवार में खुशियां होती थी. शॉपिंग होती थी, लेकिन इस बार यह पर्व सिर्फ कसक बनकर रह गई है. बच्चे परेशान हैं. कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण इस बार हम ईद ढंग से नहीं मना पा रहे.

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वीरान गलियां

कोरोना और लॉकडाउन का असर
इस पर वरिष्ठ पत्रकार वारिस अली कहते हैं कि महामारी ने त्यौहार का रंग फीका कर दिया है. हर तरफ सन्नाटा पसरा है. सब लोग घरों में कैद हैं. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा रहा है. ईद पर्व की रौनक गायब है.

Last Updated : May 25, 2020, 6:47 PM IST
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