रोहतास: बिहार में पंचायत चुनाव (Panchayat Elections in Bihar) की प्रक्रिया जोर-शोर से चल रही है. किसी जिले में प्रत्याशियों के नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो गयी है तो कहीं यह कार्य काफी तेजी चल रहा है. इसी बीच रोहतास (Rohtas) के कैमूर पहाड़ी इलाके में एक पंचायत के सभी प्रत्याशियों ने सामूहिक रूप से अपना नामांकन वापस लेने का आवेदन दे दिया है. इसका कारण यह है कि यहां के मतदान केंद्र को करीब 50 किलोमीटर दूर स्थानांतरित किया गया है. इससे मतदाता और प्रत्याशी नाराज हैं.
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बताया जाता है कि पंचायत चुनाव में कैमूर पहाड़ी से बूथ को स्थानांतरित कर दिया गया है. इससे नाराज नौहट्टा प्रखंड के पिपराडीह पंचायत के ज्यादातर उम्मीदवारों ने अपना नाम वापस ले लिया है. उम्मीदवारों के द्वारा नामांकन वापस लेने फैसले की जानकारी मिलते ही जिला प्रशासन के अधिकारियों के होश फाख्ता हो गए.
ग्रामीणों का कहना है कि बूथ स्थानांतरित होने से लोगों को मतदान करने के लिए 40 से 50 किलोमीटर की दूरी तय कर पहाड़ से नीचे उतरना पड़ेगा. इससे लोगों की परेशानी बढ़ जाएगी. साथ ही जिस दिन पंचायत चुनाव के लिए मतदान है, उसी दिन जिउतिया व्रत भी है. महिलाएं यह व्रत करती हैं. बूथ काफी दूर होने से महिलाओं को व्रत के दिन मतदान करने के लिए जाने में काफी परेशानी होगी. अन्य लोगों को भी मतदान करने के लिए काफी दूर जाना पड़ेगा. इसीलिए इस पंचायत के प्रत्याशियों ने सामूहिक तौर नाम वापसी का फैसला लिया है.
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इस बारे में डीएम धर्मेंद्र कुमार (DM Dharmendra Kumar) ने कहा है कि लोगों की समस्याओं को देखते हुए पहाड़ के ऊपर ही मतदान केंद्र बनाया जाएगा. दरअसल, दुर्गम पहाड़ी रास्तों एवं नक्सल प्रभावित इलाका होने के कारण पिपराडीह तथा रोहतासगढ़ पंचायत के मतदान केंद्र को पहाड़ के नीचे लाने का निर्णय जिला प्रशासन ने लिया था. इससे नाराज इन पंचायतों के उम्मीदवारों ने नामांकन वापस लेना शुरू कर दिया. मुखिया, पंचायत समिति, सरपंच, पंच, वार्ड सदस्य सहित तकरीबन 100 से अधिक उम्मीदवारों ने नाम वापसी के लिए आवेदन किया.
बाद में जिलाधिकारी धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि ग्रामीणों की समस्या को देखते हुए पहाड़ पर एक लोकेशन में रेहल गांव में मतदान कराया जाएगा. गौरतलब है की गत लोकसभा व विधानसभा चुनाव में कैमूर पहाड़ी पर बसे गांव में ही मतदान केंद्र बनाया गया था. इस बार पंचायत चुनाव में सुरक्षा कारणों के मद्देनजर मतदान केंद्रों को पहाड़ी से नीचे स्थानांतरित किए जाने के प्रशासन के फैसले से ग्रामीण काफी नाराज थे.
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