रोहतासः सुशासन बाबू के सरकारी स्कूलों का हाल कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है. जिले के करगहर प्रखंड के सहवालिया गांव के प्राथमिक विद्यालय में स्कूल प्रशासन की लापरवाही सामने आई है. स्कूल के टीचर अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे हैं. वहीं, स्कूल के प्रिंसिपल अपनी जगह पर अपने बेटे को भेजकर स्कूल का संचालन कराते हैं. अब ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या इस तरह की शिक्षा व्यवस्था से बिहार के बच्चे डॉक्टर इंजीनियर बनेंगे.
स्कूल में एक भी टीचर नहीं थे मौजूद
स्कूल प्रशासन की लापरवाही का जीता जागता नमूना तब मिला जब ईटीवी भारत की टीम सहवालिया गांव पहुंची और इस प्राथमिक विद्यालय की जांच पड़ताल की. टीम जब स्कूल में पहुंची तो वहां एक भी टीचर मौजूद नहीं थे. स्कूल के प्रिंसिपल का बेटा सोनू कुमार स्कूल और बच्चों की देखरेख में लगा था. पूछे जाने पर उसने बताया कि पापा बोले कि स्कूल जाकर खोल दो, अब वही जानते हैं हमे कुछ नहीं पता.
हिंदी भी पढ़ना नहीं जानते बच्चे
वहीं, कक्षा 5 में पढ़ने वाले बच्चों से जब हिंदी पढ़ने को कहा गया तो वह हिंदी पढ़ने में भी असमर्थ दिखे. ऐसे में शिक्षक कितने गैर जिम्मेदार हैं और स्कूल में पढ़ाई कैसी हो रही है इसका अंदाजा इन बच्चों को देखकर ही लगाया जा सकता है.
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बच्चों को नहीं मिलता मिड डे मील
इतना ही नहीं जब क्लास 5 के ही छात्र शुभम से स्कूल के हालात के बारे में जानने की कोशिश की गई तो उसने चौंकाने वाली बात बताई. शुभम ने कहा कि पिछले कई दिनों से स्कूल में मध्याह्न भोजन नहीं बना है. जबकि छात्र यहां रोजाना स्कूल भी पहुंचते हैं. लेकिन उन्हें भोजन नहीं मिलता.
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डीईओ ने कहा गंभीर है मामला
इस सिलसिले में जब रोहतास जिला शिक्षा अधिकारी प्रेमचंद से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि आपके जरिए ही जानकारी मिली है. मामला गंभीर है कि शिक्षक अपनी जगह पर किसी और को भेजकर पढ़ाई करवाते हैं. इसके अलावा मध्याह्न भोजन भी नियमित रूप से नहीं बनता है. इसकी जांच कराई जाएगी. अगर जांच के बाद कोई भी दोषी होगा तो उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.