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पशु प्रेम की अनूठी मिसाल, हिन्दू रीति- रिवाज से निकाली गई ब्राउनी की शव यात्रा

पूर्णिया के एक युवक ने पशु प्रेम की अनूठी मिसाल पेश की है. जहां अपने कुत्ते की मौत के बाद हिन्दू रीति- रिवाज से उसकी शव यात्रा निकाली.

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हिन्दू रीति- रिवाज से निकली गई ब्राउनी की शव यात्रा
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Published : Jan 18, 2021, 3:21 PM IST

Updated : Feb 2, 2021, 1:06 PM IST

पूर्णिया: आज के भागदौड़ भरी जिंदगी में जहां लोग अपनों के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाते हैं. वहीं, जिले के के. नगर प्रखंड के कोहवारा पंचायत के रामनगर में एक परिवार ने अपने कुत्ते की मौत के बाद उसकी हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम विदाई देकर अनूठी मिशाल पेश की है.

फार्म के संस्थापक हिमकर मिश्रा बताते हैं कि ब्राउनी सिर्फ कुत्ता नहीं बल्कि इस फार्म का रक्षक भी था. उसे कभी किसी से कोई शिकायत नहीं रही. वह हम सभी के जिंदगी का एक हिस्सा था. जिसने पूरी वफादारी और ईमानदारी से फार्म की रक्षा करता रहा. ब्राउनी उनके घर के सदस्य जैसा था. ब्राउनी की मौत के बाद हम सबने मिल कर उसे ऐसी विदाई देने की सोची जो लोगों के लिए प्रेरणा बन सके. जिस तरह से आदमी की मौत पर अंतिम यात्रा निकाली जाती है. उसी तरह ब्राउनी की मौत के बाद उसके लिए अर्थी बनवाया और उसकी अंतिम यात्रा निकाली गई. - ब्राउनी का मालिक

देखें वीडियो

ब्राउनी की याद में बनाएंगे स्मारक और पार्क
जिस जगह ब्राउनी को दफनाया गया है, वहां अलग-अलग प्रजाति के पौधे भी लगाए गए हैं. उस जगह उसकी याद में ब्राउनी स्मृति स्मारक भी बनवाया जाएगा. ब्राउनी स्मारक स्थल को रंग बिरंगे फूलों का पार्क बनाकर ब्राउनी पार्क का नाम दिया जाएगा. फार्म में जो भी लोग आएंगे उन्हें स्मारक को दिखाने के साथ-साथ ब्राउनी के किस्से को भी सुनाया जाएगा.

हिन्दू रीति-रिवाज से निकली गई ब्राउनी की शव यात्रा
हिमकर मिश्रा ने फार्म और घर की सुरक्षा के लिए कई किस्म के कुत्ते पाल रखे हैं. जिसमें एक ब्राउनी नाम का कुत्ता भी था. 15 साल की ब्राउनी की मौत के बाद के संरक्षण के लिए अनेक किस्म के कुत्ते पाल रखे हैं. जिसमें से एक ब्राउनी नामक कुत्ता था. जो लगभग पिछले 15 सालों से अपने पास पाल रखा था.

पूर्णिया: आज के भागदौड़ भरी जिंदगी में जहां लोग अपनों के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाते हैं. वहीं, जिले के के. नगर प्रखंड के कोहवारा पंचायत के रामनगर में एक परिवार ने अपने कुत्ते की मौत के बाद उसकी हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम विदाई देकर अनूठी मिशाल पेश की है.

फार्म के संस्थापक हिमकर मिश्रा बताते हैं कि ब्राउनी सिर्फ कुत्ता नहीं बल्कि इस फार्म का रक्षक भी था. उसे कभी किसी से कोई शिकायत नहीं रही. वह हम सभी के जिंदगी का एक हिस्सा था. जिसने पूरी वफादारी और ईमानदारी से फार्म की रक्षा करता रहा. ब्राउनी उनके घर के सदस्य जैसा था. ब्राउनी की मौत के बाद हम सबने मिल कर उसे ऐसी विदाई देने की सोची जो लोगों के लिए प्रेरणा बन सके. जिस तरह से आदमी की मौत पर अंतिम यात्रा निकाली जाती है. उसी तरह ब्राउनी की मौत के बाद उसके लिए अर्थी बनवाया और उसकी अंतिम यात्रा निकाली गई. - ब्राउनी का मालिक

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ब्राउनी की याद में बनाएंगे स्मारक और पार्क
जिस जगह ब्राउनी को दफनाया गया है, वहां अलग-अलग प्रजाति के पौधे भी लगाए गए हैं. उस जगह उसकी याद में ब्राउनी स्मृति स्मारक भी बनवाया जाएगा. ब्राउनी स्मारक स्थल को रंग बिरंगे फूलों का पार्क बनाकर ब्राउनी पार्क का नाम दिया जाएगा. फार्म में जो भी लोग आएंगे उन्हें स्मारक को दिखाने के साथ-साथ ब्राउनी के किस्से को भी सुनाया जाएगा.

हिन्दू रीति-रिवाज से निकली गई ब्राउनी की शव यात्रा
हिमकर मिश्रा ने फार्म और घर की सुरक्षा के लिए कई किस्म के कुत्ते पाल रखे हैं. जिसमें एक ब्राउनी नाम का कुत्ता भी था. 15 साल की ब्राउनी की मौत के बाद के संरक्षण के लिए अनेक किस्म के कुत्ते पाल रखे हैं. जिसमें से एक ब्राउनी नामक कुत्ता था. जो लगभग पिछले 15 सालों से अपने पास पाल रखा था.

Last Updated : Feb 2, 2021, 1:06 PM IST
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