पूर्णिया: बिहार में नीतीश कुमार सुशासन बाबू कहे जाते हैं. सुशासन का मतलब अच्छा शासन. लेकिन, बिहार में तेजी से बढ़ते अपराध के बीच नीतीश सरकार के सुशासन की पोल खुलती नजर आ रही है. प्रदेश में बढ़ते अपहरण, लूटपाट, हत्या, छेड़खानी, महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. सरकार को आइना दिखाने के लिए ईटीवी भारत की टीम आम लोगों से बात की. आइए जानते हैं प्रदेश की जनता लॉ एंड ऑर्डर पर क्या बोली है.
लगभग 40 लाख की आबादी वाले जिले पूर्णिया में तेजी से क्राइम बढ़ा है. शराबबंदी के बावजूद यहां हर चौथे दिन शराब की बड़ी खेप बरामद होती है. वहीं, चोरी-डकैती की वारदातें लोगों के सिर का दर्द बनीं हुई हैं. पुलिस चोरी का खुलासा कर अपनी पीठ थपथपाती है. लेकिन वारदातों में कमी नहीं आती है. माने चोरों के हौसले बुलंद हैं. वहीं, हत्या और दुष्कर्म के मामलों में पुलिस को सांप सूंघ जाता है.
'पुलिस को है अपराधियों की पहचान'
स्थानीय निवासी अमित का कहना है कि ये वही नीतीश कुमार हैं, जो दूसरी बार जीतकर वापस आए थे. पहली बार में उन्होंने लॉ एंड ऑर्डर पर अच्छा काम किया. वही पुलिस और वही सीएम हैं. बावजूद इसके अपराध बढ़ रहा है. आखिर क्यों ऐसा हो रहा है. हर तबके के लोग डरे हुए हैं. लोग रात छोड़िए दिन में भी निकलने को डरते हैं. कोई बैंक से रुपये निकाल कर सुरक्षित घर पहुंच जाए तो गनीमत है. वहीं, अमित ने कहा कि पुलिस अपराधियों को पहचानती है. लेकिन कार्रवाई नहीं करती.
लड़कियां सुरक्षित नहीं- इंदू
महिला नेता इंदू का कहना है कि आज हर क्षेत्र में लड़कियां आगे हैं. बावजूद इसके उनके साथ क्राइम हो रहा है. लड़कियां जॉब कर रही हैं, तो उन्हें ऑफिस जाने में डर लगता है. आप चाहे जहां देख लें, लड़कियों के शव बरामद किए जा रहे हैं. पुलिस तेजी से कार्रवाई नहीं करती. सभी पार्टियों को एकजुट होना चाहिए. लड़कियों के हित के लिए कोई राजनीति नहीं एक जुट होकर सोचना चाहिए.
बेरोजगारी क्राइम की वजह-प्रणव
बढ़ते क्राइम की मुख्य वजह बेरोजगारी को बताते हुए प्रणव कहते हैं कि सबसे पहले कानून व्यवस्था को दुरुस्त करना होगा. उसके बाद सरकार को रोजगार के लिए सोचना होगा. रोजगार होगा तो इनकम होगी, अपराध अपने आप कम होंगे.
जिएं तो कैसे जिएं- संतोष
स्थानीय दुकानदार संतोष का कहना है कि अपराध की घटनाएं तेजी से बढ़ी है. घर से बाहर निकलने में आदमी डरता है. राह चलते छिनैती, राह चलते मर्डर की घटना होती है. उन्होंने कहा कि घर छोड़कर चले जाओ तो घर पर डकैती. संतोष ने कहा कि ये कैसा सुशासन है समझ में नहीं आता. आदमी जिए तो कैसे जिए.
पहले नहीं था इतना क्राइम-बुजुर्ग
तकरीबन 80 की उम्र के हो चुके माधव प्रसाद ने बताया कि पहले इतना क्राइम नहीं होता था. आज की तारीख में बहुत तेजी से अपराध हो रहा है. कहीं सुरक्षा नहीं है. उन्होंने कहा सुशासन कहने मात्र का है. पहले इतने अपराधी नहीं थे. अब आतंकवादी गतिविधियां बढ़ी हैं तो देश के सभी जिलों में क्राइम भी बढ़ा है.
पुलिस चाहे तो कम हो जाएगा क्राइम-वरिष्ठ अधिवक्ता
जिले के वरिष्ठ अधिवक्ता दिलीप कुमार ने कहा कि जिस दिन पुलिस चाह लेगी, उसी दिन अपराध खत्म हो जाएगा. लेकिन पुलिस के वरीय अधिकारी सड़क पर नहीं उतरते हैं. यही कारण है कि अपराध बढ़ गया है. हाल के कुछ दिनों में जिले में चोरी की घटनाएं तेजी से बढ़ी है और देखिए, पुलिस ने छापेमारी कर पकड़ की. ऐसे ही अगर पुलिस सभी घटनाओं में सक्रिय हो जाए, तो क्या कहने. पुलिस के पास सभी जानकारी होती है. लेकिन पता नहीं किस कारण वो एक्टिव नहीं होती.
हाल की बड़ी घटनाएं...
- पूर्णिया के मीरगंज में व्यवसायी पुत्र सत्यम कुमार के साथ हुई लूटपाट एवं गोलीकांड.
- सरसी थाना क्षेत्र में चोरी और छिनतई का मामला.
- जानकीनगर थाना क्षेत्र में मासूम बच्ची का अपहरण.
- धमदाहा प्रखंड के केला व्यवसायी को गोली मारकर 2 लाख 10 हजार रुपये की लूट.
- सितबंर में संजय राम हत्याकांड.
- 24 सितंबर को 4 साल की मासूम के साथ दुष्कर्म की वारदात.
ऐसी कई अनगिनत वारदातें जिले में घटित हो रही है. चोरी और लूट में पुलिस को देर से सफलता तो मिलती है. लेकिन सवाल वही है कि आखिर ये वारदातें होती ही क्यों हैं.
बिहार पुलिस का क्राइम रिकॉर्ड
अब अगर बिहार पुलिस के जुलाई तक के क्राइम रिकॉर्ड पर गौर करें तो जुलाई 2019 तक 893 दुष्कर्म की घटना दर्ज की गई है. वहीं 1,853 हत्या के मुकदमे लिखे जा चुके हैं. ऐसे में सवाल जस के तस हैं कि आखिर कब सुरक्षित होंगी बिहार में बेटियां. आखिर कब अपराध मुक्त बनेगा बिहार क्योंकि इतनी घटनाओं के बाद भी अब तक पुलिस प्रशासन की अंतरात्मा नहीं जागी है. तो दूसरी तरफ लोग पूछ रहे हैं कि कहां हैं सुशासन बाबू?