पूर्णिया: जिले के लिए जीवनदायिनी सौरा नदी अब स्थानीय लोगों की मुहिम से संवरने लगी है. शहर के बीचों-बीच से गुजरती सौरा अपार आस्था के साथ ही आकर्षण का सर्वप्रमुख केंद्र है. हालांकि बीते वक्त से प्रशासनिक अनदेखी के कारण सौरा जैसे विलुप्त होने के कगार पर थी. लॉकडाउन में तमाम नदियों के निर्मल होने की खबरें आ रही थीं, लेकिन सौरा मरणासन्न अवस्था में ही थी. अब सौरा के पानी को भी चमकाने के लिए मुहिम चलाई गई है. बगैर प्रशासनिक मदद के रिवर इकोसिस्टम को दुरुस्त करने की दिशा में यह सराहनीय पहल है.
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बदहाली के आंसू बहा रही थी सौरा
दरअसल शहर की प्रमुख नदियों में से एक सौरा नदी करीब एक दशक से अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही थी. साल दर साल सौरा की दयनीय होती स्थिति ने इसे विलुप्त होने के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया था. पर्यावरण के जानकारों के लिए यह न सिर्फ रिवर इकोसिस्टम के लिए खतरे की आखिरी घंटी थी. बल्कि यह भविष्यगत कई मुसीबतें लेकर आने वाला था. हालांकि सौरा को सिकुड़ता देख स्थानीयों ने अपने स्तर से इसे स्वच्छ और निर्मल बनाने की ठानी. लिहाजा स्थानीयों की यह मुहिम अब रंग लाती नजर आ रही है.
'नदी को बचाने की कोशिश कर रहे हैं. अगर आस्था के चक्कर में नदी को गंदा करेंगे तो न नदी रहेगी और ना हमारे घर बचेंगे.'- अभिनव द्विवेदी, स्थानीय
स्थानीय स्तर पर शुरू हुई थी पहल
पूर्णिया सिटी इलाके में रहने वाले जनप्रतिनिधियों, स्थानीय युवाओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और वरिष्ठ पत्रकार की मदद से इस नदी को संवारा जा रहा है. शहर के लिए जीवनदायिनी कही जाने वाली सारा नदी की सफाई के लिए चलाए जा रहे अभियान के तहत शनिवार और रविवार को वे इसकी सफाई करते हैं. सप्ताह के दूसरे दिन इसकी मॉनिटरिंग की जाती है. करीब 5 महीने पूर्व प्रारंभ किए गए सौरा स्वच्छता अभियान में 10 से भी कम लोग थे. मगर अब इससे कई दूसरे संगठन और इसके जरिए सैकड़ों स्थानीय युवा जुड़ गए हैं.
'सौरा के अस्तित्व पर खतर मंडरा रहा था. ऐसे में हम सबने इसे बचाने के लिए मुहिम चलाई है. इसमें बहुत से लोग जुड़े हैं और उम्मीद है कि आगे भी इससे और लोग जुड़ेंगे.'- राजकुमार यादव, पूर्व वार्ड पार्षद
मुट्ठी भर कोशिशों से संवर उठी सौरा
सौरा स्वच्छता अभियान को खड़ा करने वाले स्थानीय जनप्रतिनिधि राजकुमार यादव कहते हैं 'जिस सौरा को लाख प्रशासनिक कवायदों के बाद भी नहीं संवारा जा सका. स्थानीय प्रयास से इसके सतहों और किनारों पर बैठे गाद, जलकुंभियों और बेशुमार कचरों को हटाकर इसे स्वच्छ और सुंदर बना डाला गया.'
शनिवार और रविवार को होता है सौरा श्रम दान
सौरा बचाओ अभियान खड़ा करने वाले अखिलेश चंद्रा और उनके मार्गदर्शन में काम करने वाले अभियान के अहम सदस्य सुमित प्रकाश बताते हैं कि सौरा को बचाने के लिए शनिवार और रविवार को सफाई अभियान चलाया जाता है.
रविवार को जहां स्थानीय स्वंयसेवकों के द्वारा सौरा की सफाई की जाती है. वहीं शनिवार को सौरा को स्वच्छ रखने के लिए सामाजिक कार्यकर्ता और स्थानीय वार्ड पार्षद सौरा में उतरते हैं. बीते 5 महीनों में सौरा के किनारों और सतहों से बेशुमार कचरा निकाला गया है. जल में ऑक्सीजन का प्रतिशत कम कर जलीय जीवों के लिए खतरे पैदा कर रही जलकुंभियों को हटाया गया. वहीं अब इसके निचले सतह पर बैठे गाद और इसकी मॉनिटरिंग से जुड़े प्रयास जारी हैं.- अखिलेश चंद्रा, अभियान के नेतृत्वकर्ता
जीवित हो उठी विलुप्त हो रही सौरा
सौरा मैली न हो इसके लिए सौरा के आस-पास बड़े आकार के डस्टबिन लगाए जा रहे हैं. लोगों से पूजा-पाठ से जुड़ी सामग्रियां सौरा में प्रवाहित करने की बजाए इसे नदी के किनारों पर छोड़ने की अपील की जा रही है. इसके अलावे लोगों से वेस्ट पदार्थों को नदी के बजाए डस्टबिन में डालने की अपील भी की जा रही है.
सिस्टम फेल, रंग लाई स्थानीय पहल
बगैर प्रशासनिक मदद के ही सौरा को स्वच्छ बनाया गया है. इससे पहले सौरा की सफाई के लिए प्रशासनिक स्तर पर कई प्रयास हुए मगर ये प्रयास थोड़े ही समय के बाद नाकाफी साबित हुए. फिलहाल लोगों के प्रयास से रिवर इकोसिस्टम दुरुस्त हो रहा है साथ ही यह प्रयास अब दूसरे लोगों को भी सौरा को स्वच्छ बनाए रखने के लिए प्रेरित कर रहा है. नदियों में रहने वाली मछलियां और कछुए समेत दूसरे जलीय जानवरों को भी एक बार फिर से नया जीवन मिला है.