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Purnea News: तीन बेटियों की मिशाल, पांच साल से मां सरस्वती की प्रतिमा का कर रहीं निर्माण - पूर्णिया की बेटियां

Bihar News बिहार में आमतौर पर पुरुषों को प्रतिमा बनाते हुए देखे होंगे. पूर्णिया में इससे अलग है. यहां तीन बेटिया मां सरस्वती की प्रतिमा बना रही है. तीनों बेटियों की खूब चर्चा हो रही है. तीनों 5 साल से प्रतिमा का निर्माण कर रही है. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Jan 26, 2023, 7:34 PM IST

पूर्णिया की बेटियां बना रही है मां सरस्वती की प्रतिमा

पूर्णियाः 'हम किसी से कम नहीं' यह लाइन बिहार के पूर्णिया की बेटियां पर सटीक है. पूरे देश में सरस्वती पूजा (saraswati puja 2023) मनाया जा रहा है. आमतौर पर सरस्वती पूचा में प्रतिमा बनाने का काम पुरुष करते हैं. लेकिन बिहार के पूर्णिया में बेटिया मां सरस्वती की प्रतिमा बना रही है. पूर्णिया की 3 मूर्तिकार बेटियां की चर्चा चारो ओर हो रही है. बेटियों ने कहा कि हम किसी से कम नहीं है. आज के जमाने में बेटिया सभी क्षेत्र में आगे बढ़ रही है. मैने पापा से काम सीखा और आज प्रतिमा का निर्माण कर रहे हैं.

यह भी पढ़ेंः Padma Shri Award 2023:मधुबनी की सुभद्रा देवी को मिलेगा पद्मश्री पुरस्कार, पेपर मेशी कला से बनाई पहचान

"लोगों को अपनी बेटी को बोझ नहीं समझना चाहिए. आज के समय में सभी बेटियां आगे बढ़ रही है. मेरी तीन बेटियां और दो बेटे हैं. सभी मेरे साथ काम कर रहे हैं. मैं अपनी बेटी को किसी से कम नहीं समझता हूं. हमें खुशी है कि हमारी बेटियां इस तरह का काम कर रही हैं" -राजू, मूर्तिकार

5 साल से कर रही है कामः शहर के रामबाग निवासी मूर्तिकार राजू की बड़ी बेटी ने कहा कि पिता के हुनर को संजोए रखने के लिए 5 साल पहले उन्होंने ये जिम्मेवारी उठाई थी. बाकी बहनें भी मूर्ति निर्माण में उनका हाथ बटाती हैं. मूर्तियों को फाइनल टच दे रहीं मंझली बेटी आरती ने कहा कि उनके पिता दशकों से मूर्ति बनाते आ रहे हैं. उन्होंने पिता से विरासत में मूर्ति निर्माण की कला मिली है. खुद स्त्री है, इसलिए स्त्री की साज सज्जा वे पुरुष मूर्तिकारों से बेहतर जानती हैं. मूर्तियों की नक्काशी से लेकर, मां को पहनाए जाने वाले परिधान सबकुछ भिन्न होता है.

तीनों बेटियां करती है प्रतिमा निर्माणः मूर्तिकार राजू की तीसरी बेटी पुष्पा स्नातक पार्ट वन की पढ़ाई कर रही है. पुष्पा कहती है कि पढ़ाई के बाद जितना भी समय बचता है, मां सरस्वती की मूर्ति को फाइनल टच देने का काम करती है. उन्हें खुशी है कि तीनों बहनों और 2 भाइयों ने पिता की जिम्मेदारी उठा ली है. उनके पिता को भी उन पर नाज है. ये जानकर उन्हे बेहद खुशी होती है. मां संतोषी देवी कहती है कि उनकी बेटियां उनके लिए वरदान है. वे बेटियों को बेटों से कम नहीं समझती है. लोगों को अपनी बेटियों पर विश्वास कर उसे हौसला देना चाहिए.

पूर्णिया की बेटियां बना रही है मां सरस्वती की प्रतिमा

पूर्णियाः 'हम किसी से कम नहीं' यह लाइन बिहार के पूर्णिया की बेटियां पर सटीक है. पूरे देश में सरस्वती पूजा (saraswati puja 2023) मनाया जा रहा है. आमतौर पर सरस्वती पूचा में प्रतिमा बनाने का काम पुरुष करते हैं. लेकिन बिहार के पूर्णिया में बेटिया मां सरस्वती की प्रतिमा बना रही है. पूर्णिया की 3 मूर्तिकार बेटियां की चर्चा चारो ओर हो रही है. बेटियों ने कहा कि हम किसी से कम नहीं है. आज के जमाने में बेटिया सभी क्षेत्र में आगे बढ़ रही है. मैने पापा से काम सीखा और आज प्रतिमा का निर्माण कर रहे हैं.

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"लोगों को अपनी बेटी को बोझ नहीं समझना चाहिए. आज के समय में सभी बेटियां आगे बढ़ रही है. मेरी तीन बेटियां और दो बेटे हैं. सभी मेरे साथ काम कर रहे हैं. मैं अपनी बेटी को किसी से कम नहीं समझता हूं. हमें खुशी है कि हमारी बेटियां इस तरह का काम कर रही हैं" -राजू, मूर्तिकार

5 साल से कर रही है कामः शहर के रामबाग निवासी मूर्तिकार राजू की बड़ी बेटी ने कहा कि पिता के हुनर को संजोए रखने के लिए 5 साल पहले उन्होंने ये जिम्मेवारी उठाई थी. बाकी बहनें भी मूर्ति निर्माण में उनका हाथ बटाती हैं. मूर्तियों को फाइनल टच दे रहीं मंझली बेटी आरती ने कहा कि उनके पिता दशकों से मूर्ति बनाते आ रहे हैं. उन्होंने पिता से विरासत में मूर्ति निर्माण की कला मिली है. खुद स्त्री है, इसलिए स्त्री की साज सज्जा वे पुरुष मूर्तिकारों से बेहतर जानती हैं. मूर्तियों की नक्काशी से लेकर, मां को पहनाए जाने वाले परिधान सबकुछ भिन्न होता है.

तीनों बेटियां करती है प्रतिमा निर्माणः मूर्तिकार राजू की तीसरी बेटी पुष्पा स्नातक पार्ट वन की पढ़ाई कर रही है. पुष्पा कहती है कि पढ़ाई के बाद जितना भी समय बचता है, मां सरस्वती की मूर्ति को फाइनल टच देने का काम करती है. उन्हें खुशी है कि तीनों बहनों और 2 भाइयों ने पिता की जिम्मेदारी उठा ली है. उनके पिता को भी उन पर नाज है. ये जानकर उन्हे बेहद खुशी होती है. मां संतोषी देवी कहती है कि उनकी बेटियां उनके लिए वरदान है. वे बेटियों को बेटों से कम नहीं समझती है. लोगों को अपनी बेटियों पर विश्वास कर उसे हौसला देना चाहिए.

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