पूर्णिया: बिहार के पूर्णिया के रहने वाले शुभम ने यूपीएससी में 41वां रैंक लाकर जिला सहित सूबे नाम रोशन किया है. यूपीएससी क्लीयर करने की सूचना मिलने के साथ ही परिवार व आसपास के लोगों के साथ शुभम के शैक्षणिक संस्थान के लोग भी उन्हें बधाई देने उनके घर पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि मैंने बचपन में अपने स्कूल में चीफ गेस्ट के तौर पर आए एक आईएएस ऑफिसर को देखा था. तभी से यह तमन्ना थी कि आगे चलकर मुझे बस आईएएस ही बनना है.
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पूर्णिया से की शुरुआती पढ़ाई: शुभम ने शुरुआती पढ़ाई पूर्णिया के विद्या विहार स्कूल से की. उसके बाद वह डीपीएस बोकारो चले गए. शुभम ने बताया कि अगर आप बिहार से हैं तो आपके पास लिमिटेड ऑप्शन होते हैं, आईआईटी, मेडिकल या सरकारी नौकरी. ऐसे में मैं जानता था कि आईआईटी वगैरह मेरे बस की बात नहीं है. इसलिए मैं ग्रेजुएशन करने डीयू के हंसराज काॅलेज चला गया. उन्होंने बताया कि वहीं से उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी. वैसे शुभम मूल रूप से मधुबनी जिला के खुटौना के रहने वाले हैं. शुभम ने अपनी दसवीं की पढ़ाई पूर्णिया से ही पूरी की है.
"मैंने बचपन में अपने स्कूल में चीफ गेस्ट के तौर पर आए एक आईएएस ऑफिसर को देखा था. तभी से यह तमन्ना थी कि आगे चलकर मुझे बस आईएएस ही बनना है. अगर आप बिहार से हैं तो आपके पास लिमिटेड ऑप्शन होते हैं, आईआईटी, मेडिकल या सरकारी नौकरी. ऐसे में मैं जानता था कि आईआईटी वगैरह मेरे बस की बात नहीं है. इसलिए मैं ग्रेजुएशन करने डीयू के हंसराज काॅलेज चला गया" - शुभम
पहली बार में निकाला यूपीएससी: शुभम ने बताया कि इस परीक्षा को क्वालीफाई करने के लिए मेहनत के साथ-साथ टेस्ट देते रहने की जरूरत है. साथ ही इसे एनेलाइज भी करते रहना चाहिए. मैंने खुद प्रीलिम्स के सैकड़ो टेस्ट दिये. मेंस के भी कई टेस्ट दिये. यहां तक की 25 माॅक इंटरव्यू भी दिया. तब जाकर एक काॅनफिडेंस आया कि मैं इसे क्लीयर कर सकता हूं. शुभम ने पहले प्रयास में ही यूपीएससी निकाला है. इस पर उन्होंने कहा कि मुझे दोबारा यही सब रिपीट नहीं करना था. यही सोचकर मैं तैयारी कर रहा था कि मुझे पहली बार में इसे निकाल लेना है.