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बाघा बार्डर के बाद मध्यरात्रि को देश में सबसे पहले पूर्णिया में फहराया गया तिरंगा

बाघा बॉर्डर के बाद पूर्णिया में सबसे पहले आजादी का जश्न मनाया जाता है. यह परम्परा 1947 से चली आ रही है. 14 अगस्त की मध्य रात्रि में ठीक 12 बजकर 1 मिनट पर झंडोत्तोलन किया गया था.

झंडोतोलन करते स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर प्रसाद सिंह के पौत्र विपुल प्रसाद सिंह
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Published : Aug 15, 2019, 11:41 AM IST

पूर्णिया: 15 अगस्त की सुबह, आजादी का जश्न मनाने का सुनहरा मौका, जिसका हर किसी को बड़ी बेसब्री से इंतजार रहता है. लेकिन बिहार के पूर्णिया में लोग आधी रात में ही झंडोत्तोलन कर खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं. जहां एक तरफ बिहारवासी सुबह का इंतजार कर रहे थे. वहीं पूर्णिया के ऐतिहासिक झंडा चौक पर मध्यरात्रि में लोगों ने झंडा फहरा कर आजादी का जश्न मनाया.

jhanda chauk
पूर्णिया का झंडा चौक

12:01 मिनट पर हुआ झंडोत्तोलन
दरअसल यह परम्परा 14 अगस्त 1947 से चली आ रही है. इस साल भी परम्परा के मुताबिक मध्यरात्रि की दुधिया रौशनी में लोग ऐतिहासिक झंडा चौक पर एकत्रित हुए. ठीक 12 बजकर 1 मिनट पर झंडा फहराया गया. स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर प्रसाद सिंह के पौत्र विपुल प्रसाद सिंह ने झंडोत्तोलन किया. इस दौरान विपुल के पारिवारिक सदस्य भी इस पल के साक्षी बने. राष्ट्रगान के साथ झंडे को लोगों ने सलामी दी.

jhanda chauk purnea
झंडोतोलन के लिए झंडा चौक पर जुटे लोग

ऐतिहासिक मौके पर पहुंचते हैं दूर-दराज के लोग
स्वर्णिम पल का गवाह बनने के लिए लोग घण्टों पहले ही पहुंच गए. स्थानीय विधायक विजय खेमका से लेकर स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय रामेश्वर प्रसाद सिंह के पारिवारिक सदस्य और दूर-दराज के लोग मौजदू रहे. लोगों ने तिरंगा फहराते हुए एक-दूसरे को बधाई दी और मिठाईयां बांटी.

vipul singh
स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर प्रसाद सिंह के पौत्र विपुल प्रसाद सिंह

रंग-बिरंगे वेशभूषा में सजे बच्चों ने लोगों का मन मोहा
देशभक्ति गीतों पर हर कोई हाथों में तिरंगा लहराता रहा. लोग देशभक्ति में सराबोर नजर आए. वहीं, झंडोत्तोलन कार्यक्रम के दौरान रंग-बिरंगे वेशभूषा में सजे नन्हे-मुन्ने बच्चों ने आकर्षित किया. हाथों में तिरंगा लिए देशभक्ति गीतों पर लोग झूमते रहे.

vijay khemka mla
विजय खेमका, स्थानीय विधायक

विधायक ने राजकीय स्थल का दर्जा दिलाने का दिया आश्वासन
इस दौरान स्थानीय विधायक विजय खेमका ने बताया कि बाघा बॉर्डर के बाद पूर्णिया में सबसे पहले आजादी का जश्न मनाया जाता है. यह परम्परा 1947 से चली आ रही है. 14 अगस्त की मध्य रात्रि में ठीक 12 बजकर 1 मिनट पर झंडोत्तोलन किया गया था. उस समय स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर प्रसाद सिंह ने पूर्णिया के झंडा चौक पर तिरंगा फहराया था. तब से यह परंपरा जारी है. स्थानीय विधायक ने बताया कि इस स्थान को जल्द से जल्द राजकीय स्थल का दर्जा दिलाने का प्रयास चल रहा है.

मध्यरात्रि में ऐतिहासिक झंडा चौक पर झंडा फहराते लोग

याद किये गए स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर प्रसाद
वहीं, झंडोत्तोलन कर विपुल प्रसाद सिंह ने अपने दादा स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर प्रसाद सिंह को याद किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि वो दादा जी के द्वारा शुरू की गई परम्परा को निभा रहे हैं. इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनने का मौका मिलना बड़े ही गर्व की बात है.

पूर्णिया: 15 अगस्त की सुबह, आजादी का जश्न मनाने का सुनहरा मौका, जिसका हर किसी को बड़ी बेसब्री से इंतजार रहता है. लेकिन बिहार के पूर्णिया में लोग आधी रात में ही झंडोत्तोलन कर खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं. जहां एक तरफ बिहारवासी सुबह का इंतजार कर रहे थे. वहीं पूर्णिया के ऐतिहासिक झंडा चौक पर मध्यरात्रि में लोगों ने झंडा फहरा कर आजादी का जश्न मनाया.

jhanda chauk
पूर्णिया का झंडा चौक

12:01 मिनट पर हुआ झंडोत्तोलन
दरअसल यह परम्परा 14 अगस्त 1947 से चली आ रही है. इस साल भी परम्परा के मुताबिक मध्यरात्रि की दुधिया रौशनी में लोग ऐतिहासिक झंडा चौक पर एकत्रित हुए. ठीक 12 बजकर 1 मिनट पर झंडा फहराया गया. स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर प्रसाद सिंह के पौत्र विपुल प्रसाद सिंह ने झंडोत्तोलन किया. इस दौरान विपुल के पारिवारिक सदस्य भी इस पल के साक्षी बने. राष्ट्रगान के साथ झंडे को लोगों ने सलामी दी.

jhanda chauk purnea
झंडोतोलन के लिए झंडा चौक पर जुटे लोग

ऐतिहासिक मौके पर पहुंचते हैं दूर-दराज के लोग
स्वर्णिम पल का गवाह बनने के लिए लोग घण्टों पहले ही पहुंच गए. स्थानीय विधायक विजय खेमका से लेकर स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय रामेश्वर प्रसाद सिंह के पारिवारिक सदस्य और दूर-दराज के लोग मौजदू रहे. लोगों ने तिरंगा फहराते हुए एक-दूसरे को बधाई दी और मिठाईयां बांटी.

vipul singh
स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर प्रसाद सिंह के पौत्र विपुल प्रसाद सिंह

रंग-बिरंगे वेशभूषा में सजे बच्चों ने लोगों का मन मोहा
देशभक्ति गीतों पर हर कोई हाथों में तिरंगा लहराता रहा. लोग देशभक्ति में सराबोर नजर आए. वहीं, झंडोत्तोलन कार्यक्रम के दौरान रंग-बिरंगे वेशभूषा में सजे नन्हे-मुन्ने बच्चों ने आकर्षित किया. हाथों में तिरंगा लिए देशभक्ति गीतों पर लोग झूमते रहे.

vijay khemka mla
विजय खेमका, स्थानीय विधायक

विधायक ने राजकीय स्थल का दर्जा दिलाने का दिया आश्वासन
इस दौरान स्थानीय विधायक विजय खेमका ने बताया कि बाघा बॉर्डर के बाद पूर्णिया में सबसे पहले आजादी का जश्न मनाया जाता है. यह परम्परा 1947 से चली आ रही है. 14 अगस्त की मध्य रात्रि में ठीक 12 बजकर 1 मिनट पर झंडोत्तोलन किया गया था. उस समय स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर प्रसाद सिंह ने पूर्णिया के झंडा चौक पर तिरंगा फहराया था. तब से यह परंपरा जारी है. स्थानीय विधायक ने बताया कि इस स्थान को जल्द से जल्द राजकीय स्थल का दर्जा दिलाने का प्रयास चल रहा है.

मध्यरात्रि में ऐतिहासिक झंडा चौक पर झंडा फहराते लोग

याद किये गए स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर प्रसाद
वहीं, झंडोत्तोलन कर विपुल प्रसाद सिंह ने अपने दादा स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर प्रसाद सिंह को याद किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि वो दादा जी के द्वारा शुरू की गई परम्परा को निभा रहे हैं. इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनने का मौका मिलना बड़े ही गर्व की बात है.

Intro:देश के लोग जब अपनी घड़ी पर टकटकी लगाए झंडोतोलन के लिए 15 अगस्त की सुबह का इंतेजार कर रहे थे। तो वहीं बिहार के पूर्णिया जिले में स्थित ऐतिहासिक झंडा चौक पर मध्यरात्रि को राष्ट्रगान के बीच तिरंगे को सलामी दी जा रही थी। लिहाजा 14 अगस्त 1947 से चली आ रही परंपरा को दोहराते हुए स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर प्रसाद सिंह के पोते विपुल प्रसाद सिंह द्वारा ठीक 12:01 मिनट पर झंडोतोलन किया गया। इस दौरान विपुल के पारिवारिक सदस्यों के साथ ही खुद को इस पल का साक्षी बनाने के लिए सैकड़ों की संख्या में लोग झंडोतोलन के कार्यक्रम में शामिल हुए।





Body:जब सोया था देश, पूर्णिया में फहराया जा रहा था तिरंगा...

दरअसल झंडोतोलन के लिए 15 अगस्त की सुबह के इंतेजार में जब लोग अपनी नींद पूरी कर रहे थे। तो वहीं मध्यरात्रि की दूधिया रौशनी में नहाए लोग जिले के ऐतिहासिक झंडा चौक पर झंडोतोलन में व्यस्त थे। लिहाजा 73 साल पुराने परंपरा को दोहराते हुए स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर प्रसाद सिंह के पोते विपुल कुमार सिंह के द्वारा ठीक 12:01 मिनट पर झंडोतोलन किया गया। राष्ट्रगान के साथ झंडे को सलामी दी गयी। वहीं भारत माता की जय के जयकारे से गुंजयमान दृश्य की रौनक तब देखते ही बन रहा था।

इस ऐतिहासिक मौके पर पंहुचते हैं दूर-दराज के लोग..

इस बाबत रंग बिरंगे झालर व दूधिया रौशनी में दुबे तब इस स्थल का विहंगम दृश्य देखते ही बन रहा था। खुद को इस स्वर्णिम पल का साक्षी बनाने के लिए लोग घण्टों पहले से झंडोतोलन के कार्यक्रम का इंतेजार करते दिखे। फिर वह चाहे स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय रामेश्वर प्रसाद सिंह के पारिवारिक सदस्य हो या इस ऐतिहासिक पल का गवाह बनने पहुंचे दूर-दराज के लोग।


रंग-बिरंगे भेषभूषा में सजे बच्चों ने लोगों का मन मोहा...


देशभक्ति गीतों पर हाथों में तिरंगा लहराता हुआ यहां कर कोई देशभक्ति में सराबोर नजर आया। तो वहीं झंडोतोलन कार्यक्रम के दौरान जो चीज लोगों को खासा आकर्षित करती दिखी। वह थी रंग-बिरंगे भेषभूषा में सजे नन्हे-मुन्ने बच्चे। वहीं हाथों में तिरंगा लिए देशभक्ति गीतों पर झूमते लोगों को तब देखते ही बन रहा था। ९

जानें क्या कहते हैं स्थानीय विधायक....

इस बाबत झंडोतोलनकर्ता विपुल कुमार सिंह के साथ स्थानीय विधायक विजय खेमका भी मौजूद रहे। वहीं झंडोतोलन के स्वर्णिम रात को याद करते हुए उन्होंने कहा कि बाघा बॉर्डर के बाद वह पूर्णिया ही है जहां सन 1947 में 14 अगस्त की रात ठीक 12:01 मिनट पर ही झंडोतोलन किया गया था। आजादी के परवानों में शामिल स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर प्रसाद सिंह ने तब पूर्णिया के झंडा चौक पर ही अन्य साथियों के साथ झंडोतोलन किया गया था। तब से यह परंपरा जारी है। जिसे आज दोहराया गया है। वहीं आगे उन्होंने कहा कि अब मेरा प्रयास है कि जल्द से जल्द इस स्थान को राजकीय स्थल का दर्जा मिले।


याद किये गए स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर प्रसाद ...


वहीं झंडोतोलनकर्ता विपुल प्रसाद सिंह ने कहा कि हमारे दादा
स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर प्रसाद सिंह द्वारा 14 अगस्त 1947 की रात झंडा चौक पर 12:01 मिनट की मध्यरात्रि में किये गए झंडोतोलन को याद करते हुए आज मैंने मेरे द्वारा यह झंडोतोलन किया गया। लिहाजा उनके देश प्रेम को याद करते हुए आज 73वा स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। वहीं विपुल व इनके पारिवारिक सदस्यों ने भी इस स्थल को सरकार से राजकीय सम्मान दिए जाने की मांग की।





Conclusion:
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