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Salvation To Unclaimed Bodies: जिन्हें अपनों ने छोड़ा.. उन्हें हिना ने दिलाया मोक्ष.. अबतक 100 शवों का दाह संस्कार

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 18, 2023, 8:03 PM IST

Updated : Oct 18, 2023, 10:41 PM IST

पूर्णिया में मुस्लिम महिला हिना लावारिस शवों को मुक्ति देती हैं. वह 100 से ज्यादा शवों का अंतिम संस्कार कर चुकी हैं. साथ ही मुसीबत में फंसे लोगों और बच्चों की मदद में भी दिन रात लगी रहती हैं. क्या है हिना की कहानी पढ़ें..

शवों की मसीहा हैं पूर्णिया की हिना
शवों की मसीहा हैं पूर्णिया की हिना
देखें रिपोर्ट.

पूर्णिया: अपनों द्वारा ठुकराए लोगों की मौत के बाद मोक्ष की राह को पूर्णिया की हिना आसान बनाती हैं. हिना की मानें तो बचपन से ही उन्हें समाज सेवा करने की इच्छा थी. यह प्रेरणा उन्हें उनके पिता से मिली थी. पिता मोजिब खान समाज में दबे कुचले लोगों के लिए फरिस्ता थे.

पढ़ें- Bihar News: पटना जंक्शन के एक कुली को मिला है दो-दो बॉडीगार्ड, वजह जान आप भी करेंगे सैल्यूट

शवों की मसीहा हैं पूर्णिया की हिना: हिना ने बताया कि समाज के मजबूर लोगों की मदद करके उन्हें बहुत सुकून मिलता है. हिना के पिता भी वैसे लोगों का आगे बढ़कर साथ देते थे. उसी समय से हिना के मन में भी आया कि पिता के जैसे ही वह भी समाज की सेवा करे. हिना शवों के दाह संस्कार के साथ ही मुसीबत के मारे लोगों की मदद भी करती हैं. मरीजों और बच्चों की मदद के लिए हिना हमेशा तैयार रहती हैं. मानसिक रूप से विक्षिप्त लोगों की भी हिना हमेशा सहायता करती हैं.

"कोरोना काल में जब लोगों की मौत हो रही थी, तब मुझे इस काम की प्रेरणा मिली. मैं पहले से ही इस काम में लगी थी लेकिन कोरोना काल में ज्यादा इच्छा हुई कि इस काम को किया जाए. काम करने में परेशानी आती हैं लेकिन सब लोग मिलकर इस काम को कर लेते हैं. कोशिश रहती है कि अच्छे से लोगों का अंतिम संस्कार हो जाए."- हिना, समाजसेवी

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX

ऐसे मिली प्रेरणा: हिना का कहना है कि इस सेवा में जात पात नहीं होता है. उनकी कोशिश रहती है कि जिस समाज के लोग रहते हैं, उनका अंतिम संस्कार भी उनके धर्म के अनुसार ही किया जाए. हिना को यह प्रेरणा कोरोना काल के दौरान मिली. उस दौरान कई लोगों ने अपनों का साथ छोड़ दिया. शवों को भी लेने से मना किया जा रहा था. तब हिना ने अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनी और वैसे लोगों को मोक्ष दिलाने का बीड़ा उठाया. उनकी मुहिम आज भी जारी है.

विक्षिप्तों की की मदद करती हैं हिना
विक्षिप्तों की की मदद करती हैं हिना

'पति का मिला पूरा साथ': हिना शादी के बाद भी इस काम में लगी रहीं. उनका कहना है कि उनके पति शाह सईदुल हक ने उनका बहुत साथ दिया, जिसके कारण बेसहारा शवों को अंतिम यात्रा नसीब हो पाती है. हिना का कहना है कि अगर मुझे मेरे परिवार और पति का साथ नहीं मिलता तो यह सब कुछ मुमकिन नहीं हो पाता.

बच्चों की मदद करती हैं हिना
बच्चों की मदद करती हैं हिना

ऐसे होती है शव के धर्म की पहचान: हिना ने बताया कि जो लावारिस लाशें मिलती हैं वो पुलिस के द्वारा प्राप्त होती हैं. पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही शवों को हमें सौंपा जाता है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से शव के धर्म का पता चल जाता है. फिर उसी अनुसार शव का अंतिम संस्कार किया जाता है.

देखें रिपोर्ट.

पूर्णिया: अपनों द्वारा ठुकराए लोगों की मौत के बाद मोक्ष की राह को पूर्णिया की हिना आसान बनाती हैं. हिना की मानें तो बचपन से ही उन्हें समाज सेवा करने की इच्छा थी. यह प्रेरणा उन्हें उनके पिता से मिली थी. पिता मोजिब खान समाज में दबे कुचले लोगों के लिए फरिस्ता थे.

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शवों की मसीहा हैं पूर्णिया की हिना: हिना ने बताया कि समाज के मजबूर लोगों की मदद करके उन्हें बहुत सुकून मिलता है. हिना के पिता भी वैसे लोगों का आगे बढ़कर साथ देते थे. उसी समय से हिना के मन में भी आया कि पिता के जैसे ही वह भी समाज की सेवा करे. हिना शवों के दाह संस्कार के साथ ही मुसीबत के मारे लोगों की मदद भी करती हैं. मरीजों और बच्चों की मदद के लिए हिना हमेशा तैयार रहती हैं. मानसिक रूप से विक्षिप्त लोगों की भी हिना हमेशा सहायता करती हैं.

"कोरोना काल में जब लोगों की मौत हो रही थी, तब मुझे इस काम की प्रेरणा मिली. मैं पहले से ही इस काम में लगी थी लेकिन कोरोना काल में ज्यादा इच्छा हुई कि इस काम को किया जाए. काम करने में परेशानी आती हैं लेकिन सब लोग मिलकर इस काम को कर लेते हैं. कोशिश रहती है कि अच्छे से लोगों का अंतिम संस्कार हो जाए."- हिना, समाजसेवी

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX

ऐसे मिली प्रेरणा: हिना का कहना है कि इस सेवा में जात पात नहीं होता है. उनकी कोशिश रहती है कि जिस समाज के लोग रहते हैं, उनका अंतिम संस्कार भी उनके धर्म के अनुसार ही किया जाए. हिना को यह प्रेरणा कोरोना काल के दौरान मिली. उस दौरान कई लोगों ने अपनों का साथ छोड़ दिया. शवों को भी लेने से मना किया जा रहा था. तब हिना ने अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनी और वैसे लोगों को मोक्ष दिलाने का बीड़ा उठाया. उनकी मुहिम आज भी जारी है.

विक्षिप्तों की की मदद करती हैं हिना
विक्षिप्तों की की मदद करती हैं हिना

'पति का मिला पूरा साथ': हिना शादी के बाद भी इस काम में लगी रहीं. उनका कहना है कि उनके पति शाह सईदुल हक ने उनका बहुत साथ दिया, जिसके कारण बेसहारा शवों को अंतिम यात्रा नसीब हो पाती है. हिना का कहना है कि अगर मुझे मेरे परिवार और पति का साथ नहीं मिलता तो यह सब कुछ मुमकिन नहीं हो पाता.

बच्चों की मदद करती हैं हिना
बच्चों की मदद करती हैं हिना

ऐसे होती है शव के धर्म की पहचान: हिना ने बताया कि जो लावारिस लाशें मिलती हैं वो पुलिस के द्वारा प्राप्त होती हैं. पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही शवों को हमें सौंपा जाता है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से शव के धर्म का पता चल जाता है. फिर उसी अनुसार शव का अंतिम संस्कार किया जाता है.

Last Updated : Oct 18, 2023, 10:41 PM IST
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