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उद्देश्य को लेकर अंजान थे श्रृंखला में शामिल लोग, प्रशासनिक तैयारियों पर उठ रहे सवाल

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Published : Jan 19, 2020, 8:44 PM IST

श्रृंखला में शामिल कुछ लोग हाथ में कुदाल और औजार लेकर खड़े थे. उनका कहना है कि वह रोज की तरह गांव से चलकर जिला मुख्यालय काम ढूंढने के लिए आए थे. उन्होंने बताया कि यहां पुलिस का भारी पहरा था. जिसे देखने पर वह इस चेन में कुदाल और बाकी औजारों के साथ ही खड़े हो गए

मानव श्रृंखला
मानव श्रृंखला

पूर्णियाः जल जीवन हरियाली और सामाजिक कुरीतियों को लेकर बनाए गए मानव श्रृंखला को लेकर जहां एक तरफ नया कीर्तिमान रचने का दावा किया जा रहा है. तो वहीं, जिले में श्रृंखला का हिस्सा बने लोगों को इसकी कोई जानकारी नहीं थी. इससे प्रशासनिक तैयारियों की कलई खुलती नजर आ रही है. ऐसे में श्रृंखला की सफलता और जागरुकता को लेकर प्रशासनिक तैयारियों पर सवाल उठना शुरू हो गया है.

नहीं थी श्रृंखला की जानकारी
श्रृंखला में शामिल कुछ लोग हाथ में कुदाल और औजार लेकर खड़े थे. उनका कहना है कि वह रोज की तरह गांव से चलकर जिला मुख्यालय काम ढूंढने के लिए आए थे. उन्होंने बताया कि यहां पुलिस का भारी पहरा था. जिसे देखने पर वह इस चेन में कुदाल और बाकी औजारों के साथ ही खड़े हो गए. वहीं, ग्रामीण दंपत्ति ने बताया कि वह इलाज कराने के लिए जिला मुख्यालय आए थे. यहां से आगे का आवागमन बंद होने के कारण हम लोग इसमें शामिल हो गए.

देखें पूरी रिपोर्ट
जागरुकता अभियान पर सवालबहरहाल एक तरफ जहां प्रशासन की ओर से मानव श्रृंखला को सफल बनाने के लिए जगह-जगह जागरुकता अभियान चलाया गया. तो वहीं, श्रृंखला की जानकारी से ग्रामीणों का पूरी तरह से अनभिज्ञ होना सिस्टम पर बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है.

पूर्णियाः जल जीवन हरियाली और सामाजिक कुरीतियों को लेकर बनाए गए मानव श्रृंखला को लेकर जहां एक तरफ नया कीर्तिमान रचने का दावा किया जा रहा है. तो वहीं, जिले में श्रृंखला का हिस्सा बने लोगों को इसकी कोई जानकारी नहीं थी. इससे प्रशासनिक तैयारियों की कलई खुलती नजर आ रही है. ऐसे में श्रृंखला की सफलता और जागरुकता को लेकर प्रशासनिक तैयारियों पर सवाल उठना शुरू हो गया है.

नहीं थी श्रृंखला की जानकारी
श्रृंखला में शामिल कुछ लोग हाथ में कुदाल और औजार लेकर खड़े थे. उनका कहना है कि वह रोज की तरह गांव से चलकर जिला मुख्यालय काम ढूंढने के लिए आए थे. उन्होंने बताया कि यहां पुलिस का भारी पहरा था. जिसे देखने पर वह इस चेन में कुदाल और बाकी औजारों के साथ ही खड़े हो गए. वहीं, ग्रामीण दंपत्ति ने बताया कि वह इलाज कराने के लिए जिला मुख्यालय आए थे. यहां से आगे का आवागमन बंद होने के कारण हम लोग इसमें शामिल हो गए.

देखें पूरी रिपोर्ट
जागरुकता अभियान पर सवालबहरहाल एक तरफ जहां प्रशासन की ओर से मानव श्रृंखला को सफल बनाने के लिए जगह-जगह जागरुकता अभियान चलाया गया. तो वहीं, श्रृंखला की जानकारी से ग्रामीणों का पूरी तरह से अनभिज्ञ होना सिस्टम पर बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है.
Intro:आकाश कुमार (पूर्णिया)
exclusive report ।

जल जीवन हरियाली व सामाजिक कुरीतियों को ले बनाए गए मानव श्रृंखला को ले जहां एक नए कीर्तिमान के दावे कर रहा है। तो वहीं इसी मानव श्रृंखला के दौरान जिले से प्रशासनिक तैयारियों की कलई खोलती दूसरी तस्वीर सामने आई। जहां चेन का हिस्सा बनने वालों में कई ऐसे लोग भी शामिल रहे जिन्हें इस मानव श्रृंखला के बारे में जरा सी भी जानकारी नहीं थी। लिहाजा ऐसे में मानव श्रृंखला की सफलता और जागरूकता को ले प्रशासनिक तैयारियों पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं।






Body:दरअसल रिकॉर्ड की गायरेंटी देते इस ह्यूमन चेन की पोल तब खुली जब सवालों के क्रम में ईटीवी भारत की टीम का ह्यूमन चेन का हिस्सा बने लोगों से सवाल पूछने का काउंटडाउन शुरू हुआ।


कतार में खड़े लोगों को नहीं थी मानव श्रृंखला की जानकारी....

तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि कुछ लोग हाथ में कुदाल तो कुछ दूसरे औजार लेकर मानव श्रंखला की कतार में खड़े हैं।
मानव श्रृंखला का समर्थन दे रहा यह नौजवान पेशे से एक मजदूर है। जो जिले के गढ़िया-बलुआ स्थित हसनपुर गांव से रोजाना की तरह अपने साथियों के साथ गांव से चलकर जिला मुख्यालय स्थित गिरिजा चौक काम ढूंढने पहुंचा था। लिहाजा मो अकमल नाम के इस मजदूर से ईटीवी भारत की टीम ने मानव श्रृंखला से जुड़े सवाल किए।



लोग बोले ग्रामीण इलाकों में नहीं चला जागरूकता अभियान....


मो अकमल ने बताया कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं की आज इस तरह के खास आयोजन किए गए हैं। प्रशासन की ओर से मानव श्रृंखला को लेकर उनके पंचायत में प्रशासन का जागरूकता रथ पहुंचती। तो किसी भी एक साथ या कम से कम घर वालों को इसकी जानकारी होती। वे जब 8 बजे घर से निकले पंचायत या प्रखंड में भी कुछ खास नजारा नहीं दिखा। लिहाजा ऑटो थाम रोजाना की तरह वे गिरिजा चौक काम ढूंढने आ पहुंचे। यहां पंहुचने पर पुलिस का भारी पहरा था। जिसे देख वे इस चेन के साथ कुदाल और बाकी औजारों के साथ खड़े हो गए ।

bite 1- मो अकमल

लोग बोले टाइम पास करने को बने थे चेन का हिस्सा....


मानव श्रृंखला की जानकारी से पूरी तरह अनभिज्ञ कई दूसरे लोग भी इस चेन का हिस्सा बनकर खड़े दिखाई दिए। काझा बिशुनपुर
से जिला मुख्यालय पंहुचे विरजु मोहाली व सुमित्रा देवी ऐसे ही
लोगों में से एक रहे। ग्रामीण दंपत्ति ने बताया कि वे अपने गांव से इलाज के लिए निकले थे। ऑटो के जरिये जिला मुख्यालय तक उतरे। आगे आवागमन बंद होने से वह आगे नहीं जा सकते थे। इस लिए टाइम पास करने के लिए वे दोनों इस चेन का हिस्सा बन खड़े हो गए।

बाईट 2- विरजु मोहाली व सुमित्रा देवी


Conclusion:बहरहाल एक तरफ जहां प्रशासन की ओर से मानव श्रृंखला की सफलता को ले जागरूकता अभियान चलाए जाने की बात कहती रही। तो वहीं दूसरी तरफ मानव श्रृंखला की जानकारी से ग्रामीणों का पूरी तरह अनभिज्ञ होना अभियान के प्रचार -प्रसार की सफलता के लिए सरकारी कोटे से बहाए गए पैसे को ले सिस्टम पर बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है। सवाल कि अगर गांव-गांव तक रथ और नुक्कड़ नाटक से प्रचार हुआ तो ग्रामीणों को इसकी जानकारी क्यों नहीं। दावे के मुताबिक यह मानव श्रृंखला रिकॉर्ड नहीं कायम कर पाई तो इस अभियान की असफलता की जिम्मेवारी ईमानदारी से जिला प्रशासन अपने कंधे लेगी। बेअसर जागरुकता अभियान के पीछे यू हीं कब तक जनता के खजाने खाली किये जाते रहेंगे।

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