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पूर्णिया: अस्पताल में स्ट्रेचर नहीं मिला, तो गोद में लेकर मरीज को किया भर्ती

जिले के ससरी थाना स्थित पारस मनी गांव के 55 वर्षीय बुजुर्ग राजू मंडल को देर रात इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया गया था. अस्पताल में स्ट्रेचर की सुवाधा नहीं होने से मरीज को गोद में उठाकर सर्जिकल वार्ड में भर्ती कराया गया

मरीज
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Published : Jun 27, 2019, 11:09 PM IST

पूर्णिया: बिहार सरकार लगातार सरकारी अस्पताल को दुरुस्त करने की बात कर रही है. लेकिन, जमीनी स्तर पर विफल साबित हो रही है. इस अस्पताल में सुविधा के नाम पर सिर्फ उम्मीद ही मिल रही है. जिससे मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

पूरा मामला
दरअसल, जिले के ससरी थाना स्थित पारस मनी गांव के 55 वर्षीय बुजुर्ग राजू मंडल को देर रात इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया गया था. अस्पताल में स्ट्रेचर की सुवाधा नहीं होने से मरीज को गोद में उठाकर सर्जिकल वार्ड में भर्ती कराया गया था. जिससे ये साफ स्पष्ट होता है कि सराकर स्वास्थय विभाग को लेकर कितनी चिंतित है.

नदारद हैं सुविधा

purnea
इंद्र नारायण झा, अस्पताल अधीक्षक
परिजनों ने बताया कि सड़क हादसे में बुजुर्ग का पैर पूरी तरह से टूट गया था. जिसके बाद आनन-फानन में उन्हें सदर अस्पताल में लाया गया. लेकिन, जब यहां स्ट्रेचर खोजा गया. तब मालूम चला कि यहां स्ट्रेचर की सुविधा नदादर है. जिससे मरीज को गोद में उठाकर भर्ती कराना पड़ा.

परिजनों का आरोप
परिजनों की माने तो सर्जिकल वार्ड के 10 नम्बर बेड पर भर्ती बुजुर्ग के जांच के लिए जाने से पहले स्ट्रेचर नहीं होने का सवाल किया. इस पर अस्पतालकर्मी ने काफी असहज तरीके से परिजनों के साथ पेश आया. अस्पताल प्रशासन द्वारा ये कहा गया कि यहां स्ट्रेचर नहीं है. आप गोद में उठाकर मरीज को इलाज के लिए ले जाए.

बदहाल है इस अस्पताल की स्थिति

आरोप निराधार- अधीक्षक
इस पूरे मामले में सदर अस्पताल के अधीक्षक इंद्र नारायण झा ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा कि अस्पताल में पांच स्ट्रेचर मौजूद हैं. परिजनों ने स्ट्रेचर की मांग नहीं की.

पूर्णिया: बिहार सरकार लगातार सरकारी अस्पताल को दुरुस्त करने की बात कर रही है. लेकिन, जमीनी स्तर पर विफल साबित हो रही है. इस अस्पताल में सुविधा के नाम पर सिर्फ उम्मीद ही मिल रही है. जिससे मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

पूरा मामला
दरअसल, जिले के ससरी थाना स्थित पारस मनी गांव के 55 वर्षीय बुजुर्ग राजू मंडल को देर रात इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया गया था. अस्पताल में स्ट्रेचर की सुवाधा नहीं होने से मरीज को गोद में उठाकर सर्जिकल वार्ड में भर्ती कराया गया था. जिससे ये साफ स्पष्ट होता है कि सराकर स्वास्थय विभाग को लेकर कितनी चिंतित है.

नदारद हैं सुविधा

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इंद्र नारायण झा, अस्पताल अधीक्षक
परिजनों ने बताया कि सड़क हादसे में बुजुर्ग का पैर पूरी तरह से टूट गया था. जिसके बाद आनन-फानन में उन्हें सदर अस्पताल में लाया गया. लेकिन, जब यहां स्ट्रेचर खोजा गया. तब मालूम चला कि यहां स्ट्रेचर की सुविधा नदादर है. जिससे मरीज को गोद में उठाकर भर्ती कराना पड़ा.

परिजनों का आरोप
परिजनों की माने तो सर्जिकल वार्ड के 10 नम्बर बेड पर भर्ती बुजुर्ग के जांच के लिए जाने से पहले स्ट्रेचर नहीं होने का सवाल किया. इस पर अस्पतालकर्मी ने काफी असहज तरीके से परिजनों के साथ पेश आया. अस्पताल प्रशासन द्वारा ये कहा गया कि यहां स्ट्रेचर नहीं है. आप गोद में उठाकर मरीज को इलाज के लिए ले जाए.

बदहाल है इस अस्पताल की स्थिति

आरोप निराधार- अधीक्षक
इस पूरे मामले में सदर अस्पताल के अधीक्षक इंद्र नारायण झा ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा कि अस्पताल में पांच स्ट्रेचर मौजूद हैं. परिजनों ने स्ट्रेचर की मांग नहीं की.

Intro:आकाश कुमार( पूर्णिया)


बिहार का स्वास्थ्य महेकमा अपनी दुरुस्तता के चाहे लाख दावे क्यों न कर ले। हकीकत में सरकार का स्वास्थ्य अमला किस कदर पंगू हो चला है। इसकी एक बानगी आज शाम बिहार के पुर्णिया में देखने को मिली। जहां एक 60 साल के बुजुर्ग के परिजनों को जब लाख उपायों के बाद भी स्ट्रेचर नहीं मिल सका। तब तक हारकर मरीज के परिजनों को पैर से फ्रैक्चर बुजुर्ग को गोद में उठाकर जांच के लिए ले जाना पड़ा। ये तस्वीरें तब आईं हैं जब चमकी से निबटने को ले अस्पताल प्रबंधन बड़े-बड़े दावे कर रहा है।


Body:क्या है माझरा....

बताया जाता है सरसी थाना के पारस मनी गांव में रहने वाले 55 वर्षीय राजू मंडल नामक के एक बुजुर्ग को को कल देर रात एक सड़क हादसे के बाद सदर अस्पताल के सर्जिकल वार्ड में भर्ती कराया गया था। सड़क हादसे में बुजुर्ग के पैर पूरी तरह फ्रैक्चर हो गए। तो वहीं माथे में भी गहरे घाव आए हैं। जिसके बाद आज इन्हें जांच के लिए लिए ले जाना था।


सलाह सुनकर चौक जाएंगे आप...


लिहाजा सर्जिकल वार्ड के 10 नम्बर बेड पर भर्ती बुजुर्ग राजू मंडल के परिजनों की मानें तो जांच के लिए ले जाने से पूर्व सुबह परिजनों ने कई बार अस्पताल के स्टाफ से जब मरीज को जांच केंद्र तक ले जाने के संबंध में पूछा। तो स्ट्रैचर उपलब्ध कराने की राय देने के बजाए बेशर्मी की सारी हदें पार करते हुए अस्पताल के स्टाफ ने गोद में लादकर पेसेंट को जांच केंद्र तक ले जाने की सलाह दे डाली।


गोद में लादकर बुजुर्ग की जांच को ले गए परिजन....

परिजनों के बयानों के मुताबिक इसके बाद ही परिजनों को मजबूरन पैर से फ्रैक्चर बुजुर्ग को गोद मे लादकर जांच केंद्र तक ले जाने पर मजबूर होना पड़ा। हैरत की बात तो यह है जो स्वास्थ्य अमला व्यवस्थाओं के ढोल पिटता है इसी अस्पताल से तकरीबन आधे किलोमीटर के फासले पर सदर अस्पताल परिसर के बाहर स्थित भारत एक्सरे नामक एक जांच केंद्र तक ये परिजन यूं ही मरीज को लादकर जांच के लिए ले गए। इस तरह एक बार फिर अस्पताल प्रबंधन के व्यवस्थाओं की कलई खुल गई।


अधीक्षक ने परिजनों के आरोपों को किया खारिज...


हालांकि समूचे मामले पर सदर अस्पताल के अधीक्षक इंद्र नारायण झा ने सफाई में कहा कि अस्पताल में पांच स्ट्रेचर मौजूद हैं। यह हो सकता है कि उन्होंने स्ट्रेचर की मांग की हो न हो। वहीं परिजनों के आरोपो को पूरी तरह खारिज कर दिया।








Conclusion:
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