पूर्णिया: बिहार में विकास की बहती गंगा को सड़कों से जोड़कर देखा जाता रहा है. सरकार के शब्दों में एनएच और एसएच ही बढ़ते बिहार में विकास के पैमाने हैं. सियासी मंचों से भी सूबे के मुखिया नीतीश कुमार सड़कों को सरकार की मैजिकल उपलब्धि बताते रहे हैं. नीतीश कुमार सूबे के किसी भी कोने से 5 घंटे में राजधानी पटना पहुंचने का दम भरते हैं. लेकिन नार्थ ईस्ट कॉरिडॉर को जोड़ने वाली एनएच-31 समेत कई ऐसे एनएच और एसएच हैं. जिनका सफर यह साबित करने को काफी हैं कि ये 'हाइवे' नहीं बल्कि सरकार के 'खाईवे' हैं.
सरकार के दावों को मुंह चिढ़ा रहा NH-31
दरअसल, जिले को ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर से जोड़ने वाले एनएच-31 को 'इकोनॉमी वे' के नाम से भी जाना जाता है. शहर को आर्थिक मजबूती देने वाला यह अहम राष्ट्रीय राजमार्ग बंगाल व गोवाहाटी समेत ईस्टर्न राज्यों से जोड़ता है. वहीं, सीमावर्ती नेपाल, भूटान और बांग्लादेश जैसे मुल्कों से लगे होने के कारण एनएच-31 जिले को इकोनॉमी एनर्जी प्रदान करता है. व्यापार और पर्यटन के लिहाज से भी राष्ट्रीय राजमार्ग-31 अहम सड़क मार्गो में एक है. बावजूद इसके होल स्पॉट से भरे इस राष्ट्रीय राजमार्ग की बदहाली दुरुस्त सड़क के सरकार के दावों को मुंह चिढ़ाता नजर आ रहा है.
सालों से बदहाल है 105 किलोमीटर लंबा राष्ट्रीय राजमार्ग
जिले को मधेपुरा से सहरसा को जोड़ने वाले करीब 105 किलोमीटर लंबे इस राष्ट्रीय राजमार्ग की हालत सालों से खस्ताहाल है. साल 2018 से ही पूर्णिया-सहरसा रूट के इस 'वन वे' मार्ग के निर्माण का कार्य चल रहा है. वनभाग से हवाई अड्डा चौराहे तक जाने वाली सड़क का मेंटेनेंस कार्य सालों से अधर में अटका होने के कारण शहर के इस अति व्यस्ततम हाइवे का सफर चुनौतियों से भरा है. स्थानीय बताते हैं कि 2019 के लोकसभा चुनाव के वक्त इसका काम बंद हो गया. वहीं, इसके बाद से अब तक इसका निर्माण कछुए की चाल से चल रहा है.
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स्पॉट होल में सड़क
वहीं, कुछ यही हाल बायसी से बंगाल और गोवाहाटी को जोड़ने वाले एनएच-31 का भी है. इस अहम सड़क मार्ग पर कई जगह स्पॉट होल निकल आए हैं, जो अक्सर गाड़ियों के खराब होने और दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं. इस अहम सड़क मार्ग पर दिग्घी पूल बेहद जर्जर स्थिति में है, जो किसी भी वक्त काल के गाल में समा सकता है.
हाईवे बना 'खाईवे'
वहीं, कुछ ऐसा ही हाल चुनावों से ठीक पहले शिलान्यास किए गए एनएच-131 A पूर्णिया-नरेनपुर राष्ट्रीय राजमार्ग का भी है. कोविड-19 पैंडेमिक को देखते हुए पीएम मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 2200 करोड़ की लागत से बनने वाले इस अहम सड़क मार्ग का शिलान्यास किया था. चुनाव खत्म हुए महीनों बीत गए. मगर अब तक इस बदहाल सड़क के निर्माण का कार्य शुरू नहीं हो सका है. 49 किलोमीटर लंबे इस हाइवे में इतने होल स्पॉट हैं कि यह अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाता है कि यह 'हाई वे' है या 'खाईवे'.
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एनएच-131A से खुलेगा सीमांचल के विकास का रास्ता
स्थानीय बताते हैं कि इस अहम राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण कार्य शुरू हो जाने पर 2 राज्यों की दूरी सिमट जाएगी. झारखंड का साहिबगंज जिला पश्चिम बंगाल से सीधा जुड़ जाएगा. इस एनएच का निर्माण पूरा हो जाने पर झारखंड के साहिबगंज और मनिहारी के बीच गंगा में स्टोन चिप्स की ढुलाई आसानी से हो सकेगी. इससे सीमांचल में ऊंची कीमतों पर बिकने वाले स्टोन चिप्स की लागत में कमी आएगी. वहीं परियोजना के पूरा हो जाने के बाद सीमांचल क्षेत्र के विकास का नया रास्ता खुलेगा.
एनएचएआई के अधिकारियों ने झाड़ा पलड़ा
इस बाबत जब गिरिजा चौक स्थित एनएचएआई के अधिकारियों से बात करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने खुद को बयान देने के लिए अधिकृत न होने का हवाला देते हुए समूचे मामले से अपना पलड़ा झाड़ लिया.