पूर्णिया: एक तरफ जहां शर्तों के साथ सरकार ने लॉकडाउन खोल दिया है, तो वहीं दूसरी ओर अनलॉक के साथ ही कोरोन काल में प्रदेशों से बिहार वापस लौटे प्रवासियों (Migration Of Laborers) का फिर से पलायन का सिलसिला शुरू हो गया है.
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श्रमिकों का पलायन शुरू
सर पर सामान लादे मजदूर रोजगार व जीवन यापन की तलाश में अपने घरों को छोड़ पलायन करने को मजबूर हैं, तो वहीं दलालों की चांदी है. काम न मिलने से हताश परदेश लौट रहे मजदूरों की बेबसी का फायदा उठाकर दलाल मालामाल हो रहे हैं.
रोजगार नीति से श्रमिकों में निराशा
ईटीवी भारत से दर्द भरी दास्तां बयां करते हुए वापस प्रदेश लौटे रहे श्रमिकों ने बताया कि वे लोग अगर काम नही करेंगे तो घर का चूल्हा भी जलना मुश्किल है. शुरुआत में वे सरकार के कहे के मुताबिक रोजगार की तलाश में बैठे रहे. मगर बीतते वक्त के साथ पैसे खत्म होते चले गए.
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मनमाना किराया वसूल रहे दलाल
प्रवासी श्रमिकों ने बताया कि उनकी मजबूरी का दलाल व बस चालक फायदा उठा रहे हैं. गुलाबबाग स्थित जीरो माइल से रोजाना आधा दर्जन बसें प्रदेशों के लिए खुल रही हैं. इनमें ज्यादातर बसें हरियाणा, पानीपत व दिल्ली के लिए खुल रही हैं.
ऐसे में दलालों ने उन्हें पहले तो 2100 रुपए लेकर पंजाब व पानीपत पहुंचाने पर बात कही थी. मगर बाद में दलालों ने उनकी मजबूरी का फायदा उठाते हुए 2100 रुपए के बजाए 2800 रुपए लिए.
1 केबिन में 6 श्रमिक बैठने को मजबूर
बेबस श्रमिकों ने बताया कि जब उन्होंने रुपए दे दिए तो स्लीपर के केबिन में 2 की जगह पर 6 लोगों को बैठाकर ले जाया जाने लगा. हालांकि दलालों ने पल्ला झाड़ते हुए उल्टा बस मालिक के मत्थे ही सभी आरोपों को मढ़ दिया.
वाहनों में भरे जा रहे श्रमिक
हैरत की बात तो यह है कि इन मजदूरों से मनमाना किराया ऐंठने के बावजूद बसों से सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क गायब दिखे. सोशल डिस्टेंसिंग बनाने के बजाए बस मालिम उन्हें ठूस-ठूस कर बैठने को मजबूर कर रहे हैं.
35 बसें जब्त, 35 लाख का फाइन
इस बाबत एमबीआई ने अपनी सफाई देते हुए कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं. हालांकि उनके द्वारा बीते 3 दिनों में लगभग 35 बसों को जब्त किया गया है. साथ ही 25 लाख तक फाइन किया गया है.