पूर्णियाः आज मजदूर दिवस है. पूरे देश में मजदूर दिवस के अवसर पर सरकारी कार्यक्रम किए जा रहे हैं. मगर जिन मजदूरों के लिए छुट्टी की घोषणा की गयी है वो आज भी दो जून की रोटी के लिए सड़क पर खड़े दिखते हैं. मजदूर एक ऐसा शब्द है जिसे बोलते हुए ही मजबूरी झलकती है. समाज के इसी तबके पर काम का बोझ सबसे अधिक और आमदनी सबसे कम होता है. हालांकि मेहनत मजदूरी कर पेट पालने वाला मजदूर समाज आम दिनों की तरह ही आज मजदूर दिवस पर भी काम की तलाश में भटकते नजर आ रहे हैं.
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छुट्टी के कारण काम नहीं मिल रहाः 1 मई यानी कि मजदूर दिवस पर सार्वजनिक अवकाश की वजह से मजदूरों को काम की तलाश में दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही है. बावजूद इसके मजदूरों को अब तक काम नहीं मिल सका है. शहर से लगे लाइन बाजार चौक, मधुबनी चौक और पॉलिटेक्निक चौक पर आज आम दिनों की तरह ही खासी चहल- पहल है. इन चौराहों पर बाकी दिनों की तरह ही मजदूरों का जमघट लगा है.
काम की तलाशः आम दिनों की तरह ही जिले के मजदूर साइकिल पर फौंरा लादे काम की तलाश में गांव से सीधे इन चौराहों पर पहुंचे थे. काम की तलाश में खड़े -खड़े सुबह के 8 से दोपहर का वक्त हो चला है. बाबजूद इसके अब तक काम का कोई ठोर ठिकाना नहीं. इन मजदूरों के मन में बस अब एक ही बात आ रही है आज मजदूरी नहीं मिली है तो इनके घर का चूल्हा कैसे जलेगा. इन लोगों को गांव के दुकानदार राशन पैसा मिलने पर ही देते हैं. अगर मजदूरी नहीं मिलती है तो शाम में इन्हें खाली हाथ वापस घर लौटना पड़ता है.
"सरकार मजदूरों के लिए रोजगार की गारंटी देती है. 100 कार्य दिवस की बात कही जाती है कि मगर हकीकत में उन्हें दो दिनों का काम नहीं मिलता. ऐसी योजनाओं में बंदरबांट मची है"- सुबोध कुमार महतो, श्रमिक
मजदूरों का दर्दः वही इस अवसर पर पूर्णिया में सरकारी कार्यक्रम किया गया, जहां मनरेगा में काम कर रहे मजदूरों को पूर्णिया के डीडीसी साहिला के द्वारा सम्मानित किया गया. डीडीसी ने बताया कि मजदूर दिवस के अवसर पर पूर्णिया के मनरेगा मजदूरों को पटना में सम्मानित किया जा रहा है. सबसे बड़ी बात सामने आती है कि अगर सरकार की योजना इन मजदूरों के लिए है तो आज भी मजदूर दो जून की रोटी के लिए सड़क पर खड़े क्यों हैं.