पूर्णिया: एक तरफ जहां सरकार किसानों के लिए अनगिनत योजनाओं का दावा कर रही है. वहीं, ग्रास लेवल पर इन योजनाओं की हकीकत एक अलग ही कहानी बयां कर रही है. किसानों को सरकार की ओर से चलाई जा रही सब्सिडी युक्त बीज और खाद्य जैसी मूलभूत सुविधाएं तक नहीं मिल पा रही हैं.
समय पर नहीं मिला सब्सिडाइज बीज
जिले के किसानों की मानें तो सरकार की ओर से चलाई जा रही सारी योजनाएं पैक्स और बिचौलियों की चक्की में पीस रही है. यही वजह है कि जिले के लालगंज पंचायत के किसानों में सरकार और सिस्टम के प्रति खासी नाराजगी है. सरकारी योजनाओं को लेकर असंतोष जाहिर करते हुए किसान परामनंद यादव ने बताया कि अक्टूबर से नवंबर के बीच मक्का और नवंबर से दिसंबर के बीच गेंहू की रोपनी की जानी थी. लेकिन सरकार की ओर से मिलने वाली सब्सिडी युक्त बीज में लेटलतीफी के कारण जनवरी में आई. लिहाजा किसानों को इससे पहले ही बाजार मूल्य पर बीज की खरीदारी कर अनुकूल मौसम देख कर बुआई करनी पड़ी.
पैक्स और सरकारी डीलर कर रहे बंदरबांट
किसानों का कहना है कि 8 हजार की आबादी वाले इस पंचायत में ज्यादातर किसान ऐसे हैं, जिनके पास बेहद कम जमीन है. यहां 87 फीसद किसान, किरायेदार किसान या छोटे किसान की श्रेणी में शामिल हैं. ऐसे में अनुदान पर मिलने वाली खाद्य ,बीज और मशीन ही एकमात्र सहारा रह जाता है, जिससे इन्हें लागत का अनुमानित मुनाफा हासिल हो सके. लेकिन पैक्स और सरकारी डीलर इसका बंदरबांट करते हैं.
क्या कहते हैं किसान
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क्या कहते हैं कृषि पदाधिकारी
ईटीवी भारत से बात करते हुए जिला कृषि पदाधिकारी सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि सरकारी बीज की प्रक्रिया अब ऑनलाइन हो चुकी है. किसानों को इनसे बचने के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया के तहत बीज के लिए आवेदन करना चाहिए. ओटीपी सिस्टम से सब्सिडाइज मूल्य पर बीज किसानों को दी जा रही है. वहीं, सब्सिडी युक्त खाद्य 265 रुपये के मूल्य पर किसानों को दी जा रही है. किसान आधारकार्ड और पॉश मशीन दिखाकर इसे प्राप्त कर सकते हैं. इस मामले पर सफाई देते हुए उन्होंने कहा कि अगर इसको लेकर शिकायत आई है तो स्थल निरीक्षण कर मामले की जांच की जाएगी.