पूर्णिया: जिले में एक ऐसा विद्यालय है. जिसने एक-दो नहीं बल्कि अनगिनत भविष्यों को तराशा, जो आगे चलकर महापुरुष बने. सन 1853 में स्थापित सबसे प्राचीन विद्यालयों में से एक जिला स्कूल है. जहां नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बांग्लादेश के संस्थापक और महान सम्राट सहित यूपीएससी परीक्षा के टॉपर तक रहे.
18 एकड़ जमीन कर दी विद्यालय के नाम
दरअसल, जिला स्कूल उन प्राचीन 8 विद्यालयों की फेहरिस्त में शुमार है. जिसकी स्थापना 1857 की क्रांति से भी पहले हुई थी. तब इसकी स्थापना राज परिवार के सहयोग से कराया गया था. नवरत्न हाता में स्थित यह विद्यालय तब गढ़बनैली में ही हुआ करता था. गढ़बनैली के सम्राट राज कुमार कृत्यानंद सिंह ने अपनी 18 एकड़ जमीन विद्यालय के नाम कर दी. राज परिवार की देख-रेख में इसकी बुनियाद तैयार की गई थी.
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'सुभाषचंद्र बोस रहे विद्यालय के छात्र'
जिला स्कूल के 73 वें प्राचार्य नवल किशोर साह ने कहा कि बांग्लादेश के संस्थापक मुजीबुर्रहमान मध्य स्तरीय शिक्षा यही पूरी की थी, जो आगे चलकर बांग्लादेश में 'बंगबंधु' के नाम से प्रसिद्ध हुए. शेख मुजीब बांग्लादेश के राष्ट्रपति भी बने. इतना ही नहीं स्वतंत्रता आंदोलन के शेर 'आजाद हिंद फौज' के संस्थापक नेताजी सुभाषचंद्र बोस भी इस विद्यालय के छात्र रहे.
'छात्रों ने किया विद्यालय का नाम रौशन'
प्लस टू अनुदेशक डॉ. भुवनेश्वरी प्रसाद यादव बताते हैं कि यहां पढ़ने वाले छात्रों ने आगे चलकर कला, खेल, संगीत और विज्ञान ऐसे सभी क्षेत्रों में अपना नाम रौशन किया. यादव कहते हैं कि फुटबॉल के जादूगर कहे जाने वाले अंतरराष्ट्रीय फुटबॉलर अब्दुस्समद भी यहां के छात्र रहे. सहायक शिक्षक सुनील कुमार दास बताते हैं कि यहां पढ़ाने वाले शिक्षक और यहां पढ़ने वाले छात्र खुद को गौरवांवित महसूस करते हैं कि वे इस स्कूल से जुड़े हैं. जहां आर्मी चीफ ऑफ इंडिया जनरल शंकर राय चौधरी, 1966 बैच के आईएएस टॉपर आभास चटर्जी, पटना विश्वविद्यालय के रसायन शास्त्र के विभागाध्यक्ष रहे ज्ञानेंद्रनाथ चटर्जी, यहीं के छात्र रहे.
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'बच्चों की लगी रहती है होड़'
छात्र अधिकार कुमार ने कहा कि यहां पढ़ना जहां जिले के हर बच्चों का सुनहरा सपना होता है. वहीं, हर पेरेंट्स चाहते हैं कि उनका बेटा इस स्कूल से पढ़े. यहीं वजह है कि यहां दाखिला लेने के लिए जिले के बच्चों के बीच होड़ लगी रहती है.