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1857-क्रांति का गवाह है बिहार का ये स्कूल, निकलते हैं यहां से UPSC टॉपर - 8 विद्यालयों की फेहरिश्त में शुमार

दरअसल, जिला स्कूल उन प्राचीन 8 विद्यालयों की फेहरिस्त में शुमार है. जिसकी स्थापना 1857 की क्रांति से भी पहले हुई थी. तब इसकी स्थापना राज परिवार के सहयोग से कराया गया था.

जिला स्कूल, पूर्णिया
जिला स्कूल, पूर्णिया
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Published : Dec 9, 2019, 12:20 AM IST

पूर्णिया: जिले में एक ऐसा विद्यालय है. जिसने एक-दो नहीं बल्कि अनगिनत भविष्यों को तराशा, जो आगे चलकर महापुरुष बने. सन 1853 में स्थापित सबसे प्राचीन विद्यालयों में से एक जिला स्कूल है. जहां नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बांग्लादेश के संस्थापक और महान सम्राट सहित यूपीएससी परीक्षा के टॉपर तक रहे.

18 एकड़ जमीन कर दी विद्यालय के नाम
दरअसल, जिला स्कूल उन प्राचीन 8 विद्यालयों की फेहरिस्त में शुमार है. जिसकी स्थापना 1857 की क्रांति से भी पहले हुई थी. तब इसकी स्थापना राज परिवार के सहयोग से कराया गया था. नवरत्न हाता में स्थित यह विद्यालय तब गढ़बनैली में ही हुआ करता था. गढ़बनैली के सम्राट राज कुमार कृत्यानंद सिंह ने अपनी 18 एकड़ जमीन विद्यालय के नाम कर दी. राज परिवार की देख-रेख में इसकी बुनियाद तैयार की गई थी.

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जिला स्कूल का बरामदा

'सुभाषचंद्र बोस रहे विद्यालय के छात्र'
जिला स्कूल के 73 वें प्राचार्य नवल किशोर साह ने कहा कि बांग्लादेश के संस्थापक मुजीबुर्रहमान मध्य स्तरीय शिक्षा यही पूरी की थी, जो आगे चलकर बांग्लादेश में 'बंगबंधु' के नाम से प्रसिद्ध हुए. शेख मुजीब बांग्लादेश के राष्ट्रपति भी बने. इतना ही नहीं स्वतंत्रता आंदोलन के शेर 'आजाद हिंद फौज' के संस्थापक नेताजी सुभाषचंद्र बोस भी इस विद्यालय के छात्र रहे.

1857-क्रांति का गवाह है बिहार का ये स्कूल

'छात्रों ने किया विद्यालय का नाम रौशन'
प्लस टू अनुदेशक डॉ. भुवनेश्वरी प्रसाद यादव बताते हैं कि यहां पढ़ने वाले छात्रों ने आगे चलकर कला, खेल, संगीत और विज्ञान ऐसे सभी क्षेत्रों में अपना नाम रौशन किया. यादव कहते हैं कि फुटबॉल के जादूगर कहे जाने वाले अंतरराष्ट्रीय फुटबॉलर अब्दुस्समद भी यहां के छात्र रहे. सहायक शिक्षक सुनील कुमार दास बताते हैं कि यहां पढ़ाने वाले शिक्षक और यहां पढ़ने वाले छात्र खुद को गौरवांवित महसूस करते हैं कि वे इस स्कूल से जुड़े हैं. जहां आर्मी चीफ ऑफ इंडिया जनरल शंकर राय चौधरी, 1966 बैच के आईएएस टॉपर आभास चटर्जी, पटना विश्वविद्यालय के रसायन शास्त्र के विभागाध्यक्ष रहे ज्ञानेंद्रनाथ चटर्जी, यहीं के छात्र रहे.

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जिला स्कूल का कॉन्फ्रेंस हॉल

'बच्चों की लगी रहती है होड़'
छात्र अधिकार कुमार ने कहा कि यहां पढ़ना जहां जिले के हर बच्चों का सुनहरा सपना होता है. वहीं, हर पेरेंट्स चाहते हैं कि उनका बेटा इस स्कूल से पढ़े. यहीं वजह है कि यहां दाखिला लेने के लिए जिले के बच्चों के बीच होड़ लगी रहती है.

पूर्णिया: जिले में एक ऐसा विद्यालय है. जिसने एक-दो नहीं बल्कि अनगिनत भविष्यों को तराशा, जो आगे चलकर महापुरुष बने. सन 1853 में स्थापित सबसे प्राचीन विद्यालयों में से एक जिला स्कूल है. जहां नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बांग्लादेश के संस्थापक और महान सम्राट सहित यूपीएससी परीक्षा के टॉपर तक रहे.

18 एकड़ जमीन कर दी विद्यालय के नाम
दरअसल, जिला स्कूल उन प्राचीन 8 विद्यालयों की फेहरिस्त में शुमार है. जिसकी स्थापना 1857 की क्रांति से भी पहले हुई थी. तब इसकी स्थापना राज परिवार के सहयोग से कराया गया था. नवरत्न हाता में स्थित यह विद्यालय तब गढ़बनैली में ही हुआ करता था. गढ़बनैली के सम्राट राज कुमार कृत्यानंद सिंह ने अपनी 18 एकड़ जमीन विद्यालय के नाम कर दी. राज परिवार की देख-रेख में इसकी बुनियाद तैयार की गई थी.

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जिला स्कूल का बरामदा

'सुभाषचंद्र बोस रहे विद्यालय के छात्र'
जिला स्कूल के 73 वें प्राचार्य नवल किशोर साह ने कहा कि बांग्लादेश के संस्थापक मुजीबुर्रहमान मध्य स्तरीय शिक्षा यही पूरी की थी, जो आगे चलकर बांग्लादेश में 'बंगबंधु' के नाम से प्रसिद्ध हुए. शेख मुजीब बांग्लादेश के राष्ट्रपति भी बने. इतना ही नहीं स्वतंत्रता आंदोलन के शेर 'आजाद हिंद फौज' के संस्थापक नेताजी सुभाषचंद्र बोस भी इस विद्यालय के छात्र रहे.

1857-क्रांति का गवाह है बिहार का ये स्कूल

'छात्रों ने किया विद्यालय का नाम रौशन'
प्लस टू अनुदेशक डॉ. भुवनेश्वरी प्रसाद यादव बताते हैं कि यहां पढ़ने वाले छात्रों ने आगे चलकर कला, खेल, संगीत और विज्ञान ऐसे सभी क्षेत्रों में अपना नाम रौशन किया. यादव कहते हैं कि फुटबॉल के जादूगर कहे जाने वाले अंतरराष्ट्रीय फुटबॉलर अब्दुस्समद भी यहां के छात्र रहे. सहायक शिक्षक सुनील कुमार दास बताते हैं कि यहां पढ़ाने वाले शिक्षक और यहां पढ़ने वाले छात्र खुद को गौरवांवित महसूस करते हैं कि वे इस स्कूल से जुड़े हैं. जहां आर्मी चीफ ऑफ इंडिया जनरल शंकर राय चौधरी, 1966 बैच के आईएएस टॉपर आभास चटर्जी, पटना विश्वविद्यालय के रसायन शास्त्र के विभागाध्यक्ष रहे ज्ञानेंद्रनाथ चटर्जी, यहीं के छात्र रहे.

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जिला स्कूल का कॉन्फ्रेंस हॉल

'बच्चों की लगी रहती है होड़'
छात्र अधिकार कुमार ने कहा कि यहां पढ़ना जहां जिले के हर बच्चों का सुनहरा सपना होता है. वहीं, हर पेरेंट्स चाहते हैं कि उनका बेटा इस स्कूल से पढ़े. यहीं वजह है कि यहां दाखिला लेने के लिए जिले के बच्चों के बीच होड़ लगी रहती है.

Intro:आकाश कुमार (पूर्णिया)
special story ।

शिक्षा के क्षेत्र में बिहार की गौरव गाथाओं से तो हर कोई परिचित है। मगर क्या आपको यह मालूम है कि बिहार में एक ऐसा विद्यालय भी है। जिसने एक-दो नहीं बल्कि अनगिनत भविष्यों को तराशा जो आगे चलकर महापुरुष बने। चौकने की जरूरत नहीं यह विद्यालय कोई और नहीं बल्कि सन 1853 में पूर्णिया जिले में स्थापित सबसे प्राचीन विद्यालयों में से एक जिला स्कूल है। दरअसल यही वह विद्यालय है जहां नेताजी सुभाष चंद्र बोस ,बांग्लादेश के संस्थापक ,विश्व के सर्वश्रेष्ठ फुटबॉलर ,विद्वान संत और महान सम्राट सहित यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा के टॉपर तक निकले।


Body:दरअसल जिला स्कूल बिहार के उन प्राचीन 8 विद्यालयों की फेहरिश्त में शुमार है। जिसकी स्थापना 1857 की क्रांति से भी पहले हुई थी। तब इसकी स्थापना राज परिवार के सहयोग से कराया गया था। नवरत्न हाता में स्थित यह विद्यालय तब गढ़बनैली में ही हुआ करता था। इतिहास के पन्ने कहते हैं कि गढ़बनैली के इस राज परिवार शिक्षा प्रेम ऐसा कि आगे चलकर इस कुल के सम्राट राज कुमार कृत्यानंद सिंह ने अपनी वह 18 एकड़ जमीन विद्यालय के नाम कर दी। जो इस परिवार की सबसे अजीज हुआ करती थी। कहा जाता है कि इसके ऐतिहासिक महत्व का लोहा तब अंग्रजी हुकूमत ने माना था। राज परिवार की देख-रेख में इसकी बुनियाद तैयार की थी।




कहा जाता है कि तब इस विद्यालय में बिहार (तब झारखंड संयुक्त था), बंगाल ,उड़ीसा,असम ,उत्तरप्रदेश जैसे कई दूसरे प्रदेशों के होनहार इस विद्यालय की प्रसिद्धि देख यहां अपना दाखिला कराना खुद के लिए गौरव का विषय मानते थे। यही वजह रही कि इस विद्यालय से एक -दो नहीं बल्कि अनगिनत महापुरुषों ने शिक्षा अर्जन की। इसके गौरवशाली इतिहास देख कहा तो यह भी जाता है कि जैसे यहां की मिट्टी में ज्ञान की गंगा प्रवाहित होती थी। यही वजह भी रही कि महज स्वतंत्रता आंदोलन के शेर ही नहीं बल्कि राजनीति ,विज्ञान ,साहित्य ,कला ,संगीत ,खेल और शिक्षा जगत में भी इस विद्यालय का देश को दिया गया योगदान मील का पत्थर साबित हुआ।


जिला स्कूल के 73 वे प्राचार्य नवल किशोर साह ईटीवी भारत से खास बातचीत में विद्यालय के इतिहास से जुड़ी स्वर्णिम पन्ने पलटते हुए कहते हैं कि बांग्लादेश के संस्थापक मुजीबुर्रहमान मध्य स्तरीय शिक्षा जिला स्कूल से ही पूरी की थी। जो आगे चलकर बांग्लादेश में 'बंगबंधु' के नाम से प्रसिद्ध हुए शेख मुजीब बांग्लादेश के राष्ट्रपति भी बने। इतना ही नहीं स्वतंत्रता आंदोलन के शेर 'आजाद हिंद फौज' के संस्थापक नेताजी सुभाषचंद्र बोस भी इस विद्यालय के छात्र रहे। कहा जाता है कि अंग्रेजों के हाड़ हिलाने वाली साहस की शक्ति उन्होंने विद्यालय के संस्थापक इस सम्राट परिवार के शौर्य गाथाओं से ही लिया था। वहीं भारतीय ऋषि परंपरा के आधुनिक कड़ी कहे जाने वाले विश्व के महान संत महर्षि मेंहीं यहीं से परमतत्व की खोज के लिए उन्मुख हुए।


महज स्वतंत्रता संग्राम और राजनीत हीन हीं बल्कि
इस विद्यालय के इतिहास के आगे की कहानी कहते हुए जिला स्कूल के प्लस टू अनुदेशक डॉ भुवनेश्वरी प्रसाद यादव
बताते हैं कि यहां पढ़ने वाले छात्रों ने आगे चलकर कला, खेल,संगीत, फिल्मजगत ,विज्ञान,साहित्य ,कारोबार ऐसे सभी क्षेत्रों में अपना नाम रौशन किया। विद्यालय के दस्तावेज कहते हैं कि फुटबॉल के जादूगर कहे जाने वाले अंतरराष्ट्रीय फुटबॉलर अब्दुस्समद भी यहां के छात्र रहे। यहां पढ़ने वाली हस्तियों में अंतरराष्ट्रीय शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ दीपेंन बागची , प्रसिद्ध सिनेमा बॉम्बे टॉकीज के संगीत निर्देशक नरेश भट्टाचार्य ,विख्यात उधोगपति लॉलीसेन ,रविन्द्र पुरस्कार विजेता साहित्यकार व स्वतंत्रता सेनानी सतीनाथ भादुड़ी तक यहीं के छात्र रहे।



वहीं सहायक शिक्षक सुनील कु दास बतातें हैं कि यहां पढ़ाने वाले फैकल्टी व यहां पढ़ने वाले छात्र खुद को गौरवांवित महसूस करते हैं कि वे उस गौरवशाली स्कूल से जुड़े हैं जहां आर्मी चीफ ऑफ इंडिया जनरल शंकर राय चौधरी, 1966 बैच के आईएएस टॉपर आभास चटर्जी ,1949 में आईएएस बैच के अनिल कु मजूमदार ,आईपीएस इस एम घोष, पटना विश्वविद्यालय के रसायन शास्त्र के विभागाध्यक्ष रहे ज्ञानेंद्रनाथ चटर्जी ,कलकता कंप्यूटर विभाग के विभागाध्यक्ष अरुण चौधरी यहीं के प्रोडक्ट रहे।



वहीं विद्यालय के विज्ञान के शिक्षक सोम शुभ्र चक्रवर्ती बताते हैं कि मोहन बगान की ओर से खेलने वाले अनिल डे मोहन , हेलसिंकी ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले अब्दुल लतीफ ,बिलियर्ड्स में परचम लहराने वाले तारानंद सिंह व श्यामानंद सिंह ,प्रसिद्ध ओलंपियन इस राय चौधरी ,राज्य कैबिनेट में तीन बार मंत्री रह चुके कमलदेव नारायण सिंह ,प्रसिद्ध साहित्यकार कुमार गंगानंद ,केदारनाथ बंदोपाध्याय यहीं के छात्र रहें। वहीं खुद राज परिवार गढ़बनैली, चंपानगर और श्रीनगर के राज परिवारों ने भी यही शिक्षा प्राप्त की।


छात्र अधिकार कुमार कहते हैं कि यहां पढ़ना जहां जिले के हर बच्चों का सुनहरा सपना होता है। वहीं हर पेरेंट्स चाहते हैं कि उनका बेटा इस स्कूल से पढ़े। यही वजह है कि यहां दाखिला लेने के लिए जिले के बच्चों के बीच होड़ लगी रहती है।



Conclusion:बाईट- प्राचार्य , जिला स्कूल ,नवल किशोर साह
बाईट- प्लस टू अनुदेशक डॉ भुवनेश्वरी प्रसाद यादव
बाईट- सहायक शिक्षक सुनील कु दास
बाईट- विज्ञान के शिक्षक सोम शुभ्र चक्रवर्ती
बाईट- छात्र ,अधिकार कुमार
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