पूर्णिया: वेस्टर्न और हिपहॉप डांस के इस दौर में अपनी समृद्ध सभ्यता और संस्कृति का परिचय देते हुए जिले के आदिवासी लोक कलाकारों ने एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपना परचम लहराया है.
दरअसल, विगत 26 से 29 दिसंबर के बीच छत्तीसगढ़ के रायपुर राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन किया गया था. जिसमें आदिवासी समुदाय के होनहारों ने भव्य करमा नृत्य का प्रदर्शन कर 26 राज्य और 7 विदेशी देशों से आए हुए कलाकारों के बीच अपनी धाक जमाई. इन लोक कालाकारों ने हजारों बड़े कलाकारों को पीछे छोड़ते हुए प्रदेश का नाम राष्ट्रीय पटल के साथ अतरराष्ट्रीय फलक पर भी रौशन कर दिया.
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किया सम्मानित
इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए जिले से 25 सदस्यीय टीम का गठन कर छत्तीसगढ़ भेजा गया था. जहां टीम ने सी कैटेगरी में प्रथम पुरस्कार अपने नाम किया. जीत के बाद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने टीम के सदस्यों को प्रथम पुरस्कार प्रदान करते हुए 5 लाख का चेक और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया.
गांव में खुशी की लहर
अपने होनहारों की कामयाबी पर पूरा जिला समेत हांसदा गांव में खुशी की लहर है. विनिंग ताज लेकर वापस आने पर गांव के लोगों ने प्रतिभागियों का भव्य तरीके से स्वागत किया. जीत के बाद विजेता टीम के साथ गांव के लोगों ने एक स्वर में कहा कि इन युवा कलाकारों ने अपना हुनर दिखा दिया है. अब सरकार को इन कलाकारों को बेहतर प्रशिक्षण और आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराकर अंतराराष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुती के लिए तैयार करना चाहिए, जिससे सूबे का नाम विदेशों में भी गूंज उठे.
विजेता टीम से मिल चुके है सीएम नीतीश
छत्तीसगढ़ में अपना परचम लहराने के बाद सरकार और जिला प्रशासन विजेता कलाकारों को सम्मानीत करने के लिए कार्यक्रम का प्लान बना रही है. बता दें कि संसाधन के अभाव में जीत का परचम लहराने की खबर जानने के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इन कलाकारों से जल-जीवन हरियाली यात्रा के दौरान खासतौर मिल चुकें है. इन कालाकारों को सम्मानीत करने के लिए जिला प्रशासन भी एक सम्मान समारोह आयोजित करने की तैयारी कर रही है. जिसमें डीएम राहुल कुमार खुद से आदिवासी समुदाय के इन कलाकारों को सम्मानित करेंगे.
महज 2 दिन मिला था प्रशिक्षण
अपनी जीत के बारे में विजेता टीम के सदस्य कविता, जय दत्ता, ग्रुप टीम लीडर पवन इक्का और जस्मिता लकड़ा बताते हैं कि यह पहला मौका था जब वे किसी राष्ट्रीय मंच पर अपनी प्रस्तुती दे रहे थे. उन्हें इस कार्यक्रम में तैयारी करने के लिए महज 2 दिन का मौका मिला था. कार्यक्रम में भाग लेने के लिए देश विदेश से सैकड़ो की संख्या में नामचीन प्रतिभागी भाग लेने के लिए आए हुए थे. इन सभी कलाकारों के बीच प्रस्तुती देना किसी चुनौती से कम नहीं था. हालांकि कालाकारों ने कहा कि वे इस नृत्य को बचपन से करते आ रहे है.जिस वजह से उनको ज्यादा परेशानियों का सामना तो नहीं करना पड़ा.
'अंतरराष्ट्रीय प्लेटफार्म का सफर करेंगे ये कलाकार'
जीत के बाद कला जगत के दजर्नों बड़े सम्मान अपने नाम कर चुके वरिष्ठ रंगकर्मी सह आदिवासी नृत्य समूह के सहायक नोडल ऑफिसर विश्वजीत कुमार सिंह बताते हैं कि जिला पदाधिकारी की मदद के कारण इन होनहारों को परफार्म करने का मौक मिला. अब इन कलाकारों का हौसला बुलंद है. ये सभी कलाकार अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी तैयारी कर रहे है. उन्होंने जिला प्रशसन से इस बाबत कुशल प्रशिक्षण देने के लिए गुहार लगाई.
आदिवासियों का प्रसिद्ध लोकनृत्य है 'करमा'
कर्मा नृत्य छत्तीसगढ़ अंचल के आदिवासी समाज का प्रचलित लोक नृत्य है. इसे आदिवासी समाज के लोग एक पर्व के तौर पर भी मनाते है. ग्रुप टीम लीडर पवन इक्का बातते हैं कि यह त्योहार फसलों की हरियाली और अच्छे पैदावार के साथ ही गांव की खुशहाली की कामना के लिए मनाई जाती है. इस दिन समुदाय के सभी लोग एक साथ मिलकर अपनी बोली और पारंपरिक वाद्य यंत्रों की थाप पर प्रकृति की पूजा करते हैं.