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छत्तीसगढ़ में आयोजित राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में पूर्णिया के लोक कलाकारों का जलवा

जीत के बाद कला जगत के दजर्नों बड़े सम्मान अपने नाम कर चुके वरिष्ठ रंगकर्मी सह आदिवासी नृत्य समूह के सहायक नोडल ऑफिसर बताते हैं कि जिला पदाधिकारी की मदद के कारण इन होनहारों को परफार्म करने का मौक मिला. अब इन कलाकारों का हौसला बुलंद है.

राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव
राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव
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Published : Jan 11, 2020, 3:10 PM IST

पूर्णिया: वेस्टर्न और हिपहॉप डांस के इस दौर में अपनी समृद्ध सभ्यता और संस्कृति का परिचय देते हुए जिले के आदिवासी लोक कलाकारों ने एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपना परचम लहराया है.

दरअसल, विगत 26 से 29 दिसंबर के बीच छत्तीसगढ़ के रायपुर राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन किया गया था. जिसमें आदिवासी समुदाय के होनहारों ने भव्य करमा नृत्य का प्रदर्शन कर 26 राज्य और 7 विदेशी देशों से आए हुए कलाकारों के बीच अपनी धाक जमाई. इन लोक कालाकारों ने हजारों बड़े कलाकारों को पीछे छोड़ते हुए प्रदेश का नाम राष्ट्रीय पटल के साथ अतरराष्ट्रीय फलक पर भी रौशन कर दिया.

विश्वजीत कुमार सिंह , वरिष्ठ रंगकर्मी
विश्वजीत कुमार सिंह , वरिष्ठ रंगकर्मी

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किया सम्मानित
इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए जिले से 25 सदस्यीय टीम का गठन कर छत्तीसगढ़ भेजा गया था. जहां टीम ने सी कैटेगरी में प्रथम पुरस्कार अपने नाम किया. जीत के बाद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने टीम के सदस्यों को प्रथम पुरस्कार प्रदान करते हुए 5 लाख का चेक और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया.

खेल अधिकारी
खेल अधिकारी

गांव में खुशी की लहर
अपने होनहारों की कामयाबी पर पूरा जिला समेत हांसदा गांव में खुशी की लहर है. विनिंग ताज लेकर वापस आने पर गांव के लोगों ने प्रतिभागियों का भव्य तरीके से स्वागत किया. जीत के बाद विजेता टीम के साथ गांव के लोगों ने एक स्वर में कहा कि इन युवा कलाकारों ने अपना हुनर दिखा दिया है. अब सरकार को इन कलाकारों को बेहतर प्रशिक्षण और आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराकर अंतराराष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुती के लिए तैयार करना चाहिए, जिससे सूबे का नाम विदेशों में भी गूंज उठे.

स्थानीय
स्थानीय

विजेता टीम से मिल चुके है सीएम नीतीश
छत्तीसगढ़ में अपना परचम लहराने के बाद सरकार और जिला प्रशासन विजेता कलाकारों को सम्मानीत करने के लिए कार्यक्रम का प्लान बना रही है. बता दें कि संसाधन के अभाव में जीत का परचम लहराने की खबर जानने के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इन कलाकारों से जल-जीवन हरियाली यात्रा के दौरान खासतौर मिल चुकें है. इन कालाकारों को सम्मानीत करने के लिए जिला प्रशासन भी एक सम्मान समारोह आयोजित करने की तैयारी कर रही है. जिसमें डीएम राहुल कुमार खुद से आदिवासी समुदाय के इन कलाकारों को सम्मानित करेंगे.

महज 2 दिन मिला था प्रशिक्षण
अपनी जीत के बारे में विजेता टीम के सदस्य कविता, जय दत्ता, ग्रुप टीम लीडर पवन इक्का और जस्मिता लकड़ा बताते हैं कि यह पहला मौका था जब वे किसी राष्ट्रीय मंच पर अपनी प्रस्तुती दे रहे थे. उन्हें इस कार्यक्रम में तैयारी करने के लिए महज 2 दिन का मौका मिला था. कार्यक्रम में भाग लेने के लिए देश विदेश से सैकड़ो की संख्या में नामचीन प्रतिभागी भाग लेने के लिए आए हुए थे. इन सभी कलाकारों के बीच प्रस्तुती देना किसी चुनौती से कम नहीं था. हालांकि कालाकारों ने कहा कि वे इस नृत्य को बचपन से करते आ रहे है.जिस वजह से उनको ज्यादा परेशानियों का सामना तो नहीं करना पड़ा.

ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

'अंतरराष्ट्रीय प्लेटफार्म का सफर करेंगे ये कलाकार'
जीत के बाद कला जगत के दजर्नों बड़े सम्मान अपने नाम कर चुके वरिष्ठ रंगकर्मी सह आदिवासी नृत्य समूह के सहायक नोडल ऑफिसर विश्वजीत कुमार सिंह बताते हैं कि जिला पदाधिकारी की मदद के कारण इन होनहारों को परफार्म करने का मौक मिला. अब इन कलाकारों का हौसला बुलंद है. ये सभी कलाकार अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी तैयारी कर रहे है. उन्होंने जिला प्रशसन से इस बाबत कुशल प्रशिक्षण देने के लिए गुहार लगाई.

आदिवासियों का प्रसिद्ध लोकनृत्य है 'करमा'
कर्मा नृत्य छत्तीसगढ़ अंचल के आदिवासी समाज का प्रचलित लोक नृत्य है. इसे आदिवासी समाज के लोग एक पर्व के तौर पर भी मनाते है. ग्रुप टीम लीडर पवन इक्का बातते हैं कि यह त्योहार फसलों की हरियाली और अच्छे पैदावार के साथ ही गांव की खुशहाली की कामना के लिए मनाई जाती है. इस दिन समुदाय के सभी लोग एक साथ मिलकर अपनी बोली और पारंपरिक वाद्य यंत्रों की थाप पर प्रकृति की पूजा करते हैं.

पूर्णिया: वेस्टर्न और हिपहॉप डांस के इस दौर में अपनी समृद्ध सभ्यता और संस्कृति का परिचय देते हुए जिले के आदिवासी लोक कलाकारों ने एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपना परचम लहराया है.

दरअसल, विगत 26 से 29 दिसंबर के बीच छत्तीसगढ़ के रायपुर राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन किया गया था. जिसमें आदिवासी समुदाय के होनहारों ने भव्य करमा नृत्य का प्रदर्शन कर 26 राज्य और 7 विदेशी देशों से आए हुए कलाकारों के बीच अपनी धाक जमाई. इन लोक कालाकारों ने हजारों बड़े कलाकारों को पीछे छोड़ते हुए प्रदेश का नाम राष्ट्रीय पटल के साथ अतरराष्ट्रीय फलक पर भी रौशन कर दिया.

विश्वजीत कुमार सिंह , वरिष्ठ रंगकर्मी
विश्वजीत कुमार सिंह , वरिष्ठ रंगकर्मी

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किया सम्मानित
इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए जिले से 25 सदस्यीय टीम का गठन कर छत्तीसगढ़ भेजा गया था. जहां टीम ने सी कैटेगरी में प्रथम पुरस्कार अपने नाम किया. जीत के बाद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने टीम के सदस्यों को प्रथम पुरस्कार प्रदान करते हुए 5 लाख का चेक और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया.

खेल अधिकारी
खेल अधिकारी

गांव में खुशी की लहर
अपने होनहारों की कामयाबी पर पूरा जिला समेत हांसदा गांव में खुशी की लहर है. विनिंग ताज लेकर वापस आने पर गांव के लोगों ने प्रतिभागियों का भव्य तरीके से स्वागत किया. जीत के बाद विजेता टीम के साथ गांव के लोगों ने एक स्वर में कहा कि इन युवा कलाकारों ने अपना हुनर दिखा दिया है. अब सरकार को इन कलाकारों को बेहतर प्रशिक्षण और आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराकर अंतराराष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुती के लिए तैयार करना चाहिए, जिससे सूबे का नाम विदेशों में भी गूंज उठे.

स्थानीय
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विजेता टीम से मिल चुके है सीएम नीतीश
छत्तीसगढ़ में अपना परचम लहराने के बाद सरकार और जिला प्रशासन विजेता कलाकारों को सम्मानीत करने के लिए कार्यक्रम का प्लान बना रही है. बता दें कि संसाधन के अभाव में जीत का परचम लहराने की खबर जानने के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इन कलाकारों से जल-जीवन हरियाली यात्रा के दौरान खासतौर मिल चुकें है. इन कालाकारों को सम्मानीत करने के लिए जिला प्रशासन भी एक सम्मान समारोह आयोजित करने की तैयारी कर रही है. जिसमें डीएम राहुल कुमार खुद से आदिवासी समुदाय के इन कलाकारों को सम्मानित करेंगे.

महज 2 दिन मिला था प्रशिक्षण
अपनी जीत के बारे में विजेता टीम के सदस्य कविता, जय दत्ता, ग्रुप टीम लीडर पवन इक्का और जस्मिता लकड़ा बताते हैं कि यह पहला मौका था जब वे किसी राष्ट्रीय मंच पर अपनी प्रस्तुती दे रहे थे. उन्हें इस कार्यक्रम में तैयारी करने के लिए महज 2 दिन का मौका मिला था. कार्यक्रम में भाग लेने के लिए देश विदेश से सैकड़ो की संख्या में नामचीन प्रतिभागी भाग लेने के लिए आए हुए थे. इन सभी कलाकारों के बीच प्रस्तुती देना किसी चुनौती से कम नहीं था. हालांकि कालाकारों ने कहा कि वे इस नृत्य को बचपन से करते आ रहे है.जिस वजह से उनको ज्यादा परेशानियों का सामना तो नहीं करना पड़ा.

ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

'अंतरराष्ट्रीय प्लेटफार्म का सफर करेंगे ये कलाकार'
जीत के बाद कला जगत के दजर्नों बड़े सम्मान अपने नाम कर चुके वरिष्ठ रंगकर्मी सह आदिवासी नृत्य समूह के सहायक नोडल ऑफिसर विश्वजीत कुमार सिंह बताते हैं कि जिला पदाधिकारी की मदद के कारण इन होनहारों को परफार्म करने का मौक मिला. अब इन कलाकारों का हौसला बुलंद है. ये सभी कलाकार अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी तैयारी कर रहे है. उन्होंने जिला प्रशसन से इस बाबत कुशल प्रशिक्षण देने के लिए गुहार लगाई.

आदिवासियों का प्रसिद्ध लोकनृत्य है 'करमा'
कर्मा नृत्य छत्तीसगढ़ अंचल के आदिवासी समाज का प्रचलित लोक नृत्य है. इसे आदिवासी समाज के लोग एक पर्व के तौर पर भी मनाते है. ग्रुप टीम लीडर पवन इक्का बातते हैं कि यह त्योहार फसलों की हरियाली और अच्छे पैदावार के साथ ही गांव की खुशहाली की कामना के लिए मनाई जाती है. इस दिन समुदाय के सभी लोग एक साथ मिलकर अपनी बोली और पारंपरिक वाद्य यंत्रों की थाप पर प्रकृति की पूजा करते हैं.

Intro:आकाश कुमार exclusive interview। वेस्टर्न और हिपहॉप के दौड़ में जहां समृद्ध सभ्यता- संस्कृति का अभिदर्शन कराती कलाएं विलुप्त होने की कगार पर हैं। देसज बोलियों और वाद्य यंत्रों की थाप में गुथी नृत्य-संगीत दम तोड़ चुकी हैं। छत्तीसगढ़ के रायपुर में आयोजित राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में पूर्णिया के आदिवासी समुदाय के होनहारों की भव्य जीत,विलुप्त होती नृत्य करमा को एक बार फिर जीवंत कर गया है। 26 राज्य और 7 विदेशी कंट्रीयों के बड़े-बड़े सूरमाओं के बीच प्रथम पुरस्कार हासिल कर इन होनहारों ने बिहार का नाम राष्ट्रीय पटल के साथ ही अंतरराष्ट्रीय पटल पर भी रौशन कर दिखाया है।


Body:राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में बिहार बना विजेता.... जिले के हांसदा गांव में रहने वाले इन आदिवासी समुदाय के होनहारों को यह जीत छत्तीसगढ़ के रायपुर में आयोजित राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में प्राचीनतम करमा नृत्य की शानदार प्रस्तुति पर मिला। 26 से 29 दिसंबर के बीच आयोजित इस राष्ट्रीय महोत्सव में देश भर के 26 राज्य तो वहीं दुनियाभर से 7 विदेशी कंट्रीयों ने हिस्सा लिया। जहां जीत के बाद बिहार का प्रतिनिधित्व कर रही पूर्णिया से गई 25 सदस्यीय आदिवासी टीम को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सी कैटेगरी के तहत करमा नृत्य की प्रस्तुति पर प्रथम पुरस्कार प्रदान करते हुए 5 लाख का चेक व स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। बाईट- 1 खेल पदाधिकारी, रणधीर कुमार सिंह (चश्मा पहने स्टैंडिंग मोड़ में बाईट देते हुए) होनहारों की कामयाबी पर हांसदा में खुशी की लहर...... वहीं छत्तीसगढ़ से महोत्सव का विनिंग ताज लेकर अपने गांव हांसदा लौटेने पर ग्रामीणों ने बेहद भव्य तरीके से इन होनहारों का स्वागत किया। इन युवा कलाकारों की जीत के बाद गांव में जश्न का माहौल है। गांव के मुखिया से लेकर होनहारों के घरवाले और ग्रामीण इनकी इस विराट जीत पर फुले नहीं समा रहें। प्रकृति के गर्भ में लेटे तकरीबन 1 हजार आदिवासियों के इस गांव में आज भी जश्न का माहौल साफ देखा जा सकता है। वहीं इस जीत के बाद इस टीम के विजेता सदस्यों के साथ ही हांसदा गांव इन युवा कलाकारों को बेहतर प्रशिक्षण और आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराकर अंतरराष्ट्रीय प्लेटफार्म तक ले जाने की मांग कर रहा है। 2बाईट- जय दत्ता ,सहायक प्रतिभागी (वाइट जैकेट) 3बाईट- जितेंद्र उरांव , बिहार आदिवासी विकास परिषद प्रदेश अध्यक्ष । (चेक मोफरल) 4बाईट- राजेन्द्र लकड़ा ,परिजन (समूह टीम लीडर पवन एक्का के) सरकार व जिला प्रशासन कर रहा इनके सम्मान की तैयारी.... आदिवासी समुदाय की उरांव उपजाति से आने वाले इन होनहार युवा कलाकारों के करिश्में के बाद जहां एक ओर समूची दुनिया इनकी गुणगान कर रही है। तो वहीं बिहार के मुखिया नीतीश कुमार के साथ ही इनकी कामयाबी में बराबर का हिस्सेदार जिला प्रशासन भी फुला नहीं समा रहा। यही वजह है कि जल-जीवन हरियाली यात्रा पर आए सीएम नीतीश कुमार रूपसपुर खगहा में खासतौर पर इन विजेताओं से मिले। जिला स्तर पर एक सम्मान समारोह आयोजित की जाएगी। जिसमें बिहार का नाम रौशन करने वाले आदिवासी समुदाय के कलाकारों को डीएम राहुल कुमार अपने हाथों से सम्मानित करेंगे। साथ ही बेहद जल्द इन्हें राज्य स्तर पर सम्मानित किए जाने की तैयारी चल रही है। महज दो दिन ही कर सके थे प्रशिक्षण ..... ये युवा आदिवासी कलाकार बतातें हैं कि इस मंच पर प्रस्तुति और जीत की कहानी जितनी शानदार है, कहीं उतना ही प्रेरणाओं से ओतप्रोत है इसके पीछे छिपे प्रशिक्षण और कड़ी मेहनत की कहानी। कलाकार बताते हैं कि जिला पदाधिकारी की ओर से इनकी प्रस्तुति की बात सामने आने के बाद इनके पास प्रशिक्षण के लिए महज दो दिनों का समय मिला। यह पहला मौका था जब वे किसी मंच पर अपनी प्रस्तुति दी रहे थे। लिहाजा जिला स्तरीय ,राजकीय मंचों से कभी भेंट-मुलाकात तक नहीं होने वाले इन कलाकारों के लिए राष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुति देना किसी चुनौती से कम नहीं था। नृत्य की नैचुरैलिटी दिखा जीत का ताज किया अपने नाम.... हालांकि कलाकार बताते हैं कि वे इस नृत्य को बचपन से करते आ रहे थे। लिहाजा कला भवन में दो दिनों की कड़ी ट्रेनिंग के बाद वे महोत्सव में करमा नृत्य की प्रस्तुति के लिए उतरे। यहां इन्होंने परंपरिक वेश-भूषा ,7 रोज पहले उगाए गए जौ ,पारंपरिक वाद्य यंत्रों की थाप और अपनी बोलियों के जरिये करमा नृत्य के जरिये करमा त्योहार और अपनी सभ्यता- संस्कृति की झलक दिखाई। वहीं जीत के पीछे का मूल मंत्र देते हुए ये बताते हैं कि जहां बाकियों के परफॉर्मेंस से इतर इन्होंने नैचुरैलिटी को दिखाया। इसलिए वे जीते। 5बाईट- कविता बाईट- कविता ( ब्लू ओढ़नी) अब अंतरराष्ट्रीय प्लेटफार्म का सफर करेंगे बिहार के होनहार.... कला जगत के दजनों बड़े सम्मान अपने नाम कर चुके वरिष्ठ रंगकर्मी व आदिवासी नृत्य समूह के सहायक नोडल ऑफिसर विश्वजीत कुमार सिंह बताते हैं कि जिला पदाधिकारी की मदद से उनकी आगे की रणनीति इन होनहारों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने की होगी। साथ ही संसाधनों की उपलब्धता के साथ ही इनके कुशल प्रशिक्षण पर जोर देने के लिए इनके प्रयास और तेज होंगे। ताकि भारत के साथ ही समूचे विश्व में जिले के साथ ही बिहार का नाम रौशन हो सके। 6 बाईट- वरिष्ठ रंगकर्मी व आदिवासी नृत्य समूह के सहायक नोडल ऑफिसर ,विश्वजीत कुमार सिंह (चश्मा पहने बैठकर इंटरव्यू देते हुए) तो यहां से हुआ आदिवासियों के प्रसिद्ध नृत्य करमा का उदभव.... दरअसल करमा आदिवासियों के सबसे प्रमुख पर्वो में से एक है। जिसे आदिवासी समुदाय की उरांव उपजाति साल के सिंतबर माह में मनाते हैं। ग्रुप टीम लीडर पवन इक्का बताते हैं कि यह त्योहार फसलों की हरियाली और अच्छे पैदावार के साथ ही गांव की खुशहाली की कामना के लिए मनाई जाती है। इस दिन इस समुदाय की पुरुष व महिला सदस्य सभी एक साथ मिलकर अपनी बोली व पारंपरिक वाद्य यंत्रों की थाप पर प्रकृति की पूजा करते हैं। वे करमा पूजा पर पीपल ,बरगद और ऐसे ही दूसरे वृक्षों को पहले रंग-विरंगे पकवान का भोग लगाते हैं। इस दिन उरांव समुदाय के सभी सदस्य अपने पारंपरिक लिबास में सजकर अपने घर वालों के साथ चेन बनाकर वृक्ष की परिक्रमा पूरी करते हैं। यह इनके अपने इष्ट देव प्रकृति की उपासना का तरीका है। 7बाईट- ग्रुप टीम लीडर ,पवन इक्का जानें करमा नृत्य का कांसेप्ट.... करमा त्योहार के दिन उरांव आदिवासियों द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले इसी नृत्य को करमा नृत्य कहा जाता है। यह आदिवासियों का एक पारंपरिक नृत्य है। जिसकी भाव-भंगिमाओं में आदिवासी सभ्यता-संस्कृति का अभिदर्शन और प्रकृति के स्पर्श का पदचिह्न दिखाई देता है। ग्रुप की महिला प्रतिभागी जस्मिता लकड़ा बताती हैं कि इस नृत्य के लिए जौ को एक सप्ताह पूर्व जौ को उगया जाता है। जिसे इस समुदाय की महिलाएं अपने हाथों में लेकर करमा नृत्य की प्रस्तुति देती हैं। वहीं इसका मकसद करमा नृत्य के जरिये आदिवासी सभ्यता- संस्कृति और करमा त्योहार की विशेषताओं को पारंपरिक वाद्य यंत्र ,वेष-भूषा और आदिवासी बोलियों में गुथी गीत के जरिए प्रतिबिंब करना होता है। 8 बाईट- ग्रुप की महिला प्रतिभागी जस्मिता लकड़ा (रेड ड्रेस)


Conclusion:बाईट- 1 खेल पदाधिकारी, रणधीर कुमार सिंह (चश्मा पहने स्टैंडिंग मोड़ में बाईट देते हुए) 2बाईट- जय दत्ता ,सहायक प्रतिभागी (वाइट जैकेट) 3बाईट- जितेंद्र उरांव , बिहार आदिवासी विकास परिषद प्रदेश अध्यक्ष । (चेक मोफरल) 4बाईट- राजेन्द्र लकड़ा, परिजन (समूह टीम लीडर पवन एक्का के) 5बाईट- कविता बाईट- कविता ( ब्लू ओढ़नी) 6 बाईट- वरिष्ठ रंगकर्मी व आदिवासी नृत्य समूह के सहायक नोडल ऑफिसर ,विश्वजीत कुमार सिंह (चश्मा पहने बैठकर इंटरव्यू देते हुए) 7बाईट- ग्रुप टीम लीडर ,पवन इक्का 8 बाईट- ग्रुप की महिला प्रतिभागी जस्मिता लकड़ा (रेड ड्रेस) एक्स्ट्रा बाईट- 9आनंद लकड़ा- स्थानीय, ब्लू जैकेट 10 11
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