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खतरनाक: पूर्णिया में NH-31 पर शरण लेने को मजबूर बाढ़ पीड़ित

पूर्णिया के डगरुआ प्रखंड में परमान का कहर जारी है. लोगों के घरों में पानी घुसने के कारण NH 31 पर शरण लेने को मजबूर हैं. लोगों के अनुसार न तो कोई नाव मुहैया कराया गया है और ना ही राहत शिविर लगाई गई है.

बाढ़ पीड़ित
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Published : Jul 22, 2019, 3:07 PM IST

पूर्णिया: पूर्णिया में परमान की उफनती धाराओं ने डगरुआ प्रखंड के आधा दर्जन गावों को पूरी तरह डुबो दिया है. तकरीबन 500 घर प्रभावित बताए जा रहे हैं. सरकार की ओर से किसी तरह की मदद नहीं मिलने पर बाढ़ पीड़ित खतरनाक NH 31 की शरण लेने को मजबूर हैं. जहां एक पल भी बिताना खतरे से खाली नहीं है. लिहाजा किसी भी समय बाढ़ पीड़ितों की जिंदगी पर NH का ब्रेक लगा सकता है.

पेश है रिपोर्ट

सैलाब का पानी पीने को मजबूर बाढ़ पीड़ित
बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि पानी के इस सैलाब में घर में रखे चूल्हे से लेकर अनाज तक सबकुछ बर्बाद हो गया है. ट्यूबवेल के डूब जाने से लोग शुद्ध पानी तक के लिए तरस रहे हैं. कई दिनों से भूखे बाढ़ पीड़ितों को मजबूरन सैलाब का गंदा पानी पीना पड़ रहा है.

पूर्णिया
प्रखंड में पानी का सैलाब

बाढ़ की चपेट में कई प्रखंड
जिला प्रशासन की ओर से बीते दिनों किए गए प्रेस कांफ्रेंस में डगरुआ प्रखंड के दो पंचायतों को बाढ़ प्रभावित बताया गया था. यह यह संख्या अब आधा दर्जन पंचायतों में तब्दील हो चुका है. प्रभावित गांवों में दुबैली, नोनिया टोला, तौली, कोचेली, डुब्बा, गोविंदपुर, मजगामा, बिछदह, कोठी टोला, अछेपुर, गेहुंआ, हरेरामपुर, ठाठोल, मकैली जैसे गांव शामिल हैं.

पूर्णिया
NH 31 पर शरण लेने को मजबूर बाढ़ पीड़ित

न कोई नाव है, न कोई राहत शिविर
जिन बच्चों को तैरना नहीं आता है, उन्हें एक-एक कर घरों से निकालकर किसी तरह NH पर लाया गया है. नाव की व्यवस्था नहीं होने की वजह से कई लोग घर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. कई जगह बड़े-बड़े गड्डे हैं, जिनमें गिरकर सीधे मौत होने की संभावना है. फसलों के नुकसान के साथ घर में रखा अनाज और पशुओं का चारा तक सैलाब में बह गया. लोगों के अनुसार भूखे बाढ़ पीड़ितों के लिए किसी तरह की राहत शिविर भी नहीं लगाई गई है.

पूर्णिया
इलाके का जायजा लेते विधायक

NH 31 पर शरण लेने को मजबूर
आए दिन NH से तेज रफ्तार से चलनेवाले भारी वाहनों के दुर्घटनाग्रस्त होने की खबरें आती रहती है. आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि NH पर शरण लेना लोगों के लिए कितना खतरनाक है. सरकारी मदद नहीं मिलने के कारण बाढ़ पीड़ित NH पर शरण लेने को मजबूर हैं. खतरनाक NH 31 किसी भी समय बड़े दुर्घटना को अंजाम दे सकता है.

क्या कहते हैं विधायक?
एक ओर बायसी, आमौर ओर बैसा प्रखंडों में पानी तेजी से घट रहा है. दूसरी तरफ डगरुआ में परमान का कहर जारी है. इसको लेकर पूर्णिया विधायक विजय खेमका ने कहा कि डीएम लगातार डगरुआ का मुआयना कर रहे हैं. हर संभव मदद पहुंचाई जाएगी. इस बाबत डगरुआ पर उनकी भी पैनी नजर है.

पूर्णिया: पूर्णिया में परमान की उफनती धाराओं ने डगरुआ प्रखंड के आधा दर्जन गावों को पूरी तरह डुबो दिया है. तकरीबन 500 घर प्रभावित बताए जा रहे हैं. सरकार की ओर से किसी तरह की मदद नहीं मिलने पर बाढ़ पीड़ित खतरनाक NH 31 की शरण लेने को मजबूर हैं. जहां एक पल भी बिताना खतरे से खाली नहीं है. लिहाजा किसी भी समय बाढ़ पीड़ितों की जिंदगी पर NH का ब्रेक लगा सकता है.

पेश है रिपोर्ट

सैलाब का पानी पीने को मजबूर बाढ़ पीड़ित
बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि पानी के इस सैलाब में घर में रखे चूल्हे से लेकर अनाज तक सबकुछ बर्बाद हो गया है. ट्यूबवेल के डूब जाने से लोग शुद्ध पानी तक के लिए तरस रहे हैं. कई दिनों से भूखे बाढ़ पीड़ितों को मजबूरन सैलाब का गंदा पानी पीना पड़ रहा है.

पूर्णिया
प्रखंड में पानी का सैलाब

बाढ़ की चपेट में कई प्रखंड
जिला प्रशासन की ओर से बीते दिनों किए गए प्रेस कांफ्रेंस में डगरुआ प्रखंड के दो पंचायतों को बाढ़ प्रभावित बताया गया था. यह यह संख्या अब आधा दर्जन पंचायतों में तब्दील हो चुका है. प्रभावित गांवों में दुबैली, नोनिया टोला, तौली, कोचेली, डुब्बा, गोविंदपुर, मजगामा, बिछदह, कोठी टोला, अछेपुर, गेहुंआ, हरेरामपुर, ठाठोल, मकैली जैसे गांव शामिल हैं.

पूर्णिया
NH 31 पर शरण लेने को मजबूर बाढ़ पीड़ित

न कोई नाव है, न कोई राहत शिविर
जिन बच्चों को तैरना नहीं आता है, उन्हें एक-एक कर घरों से निकालकर किसी तरह NH पर लाया गया है. नाव की व्यवस्था नहीं होने की वजह से कई लोग घर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. कई जगह बड़े-बड़े गड्डे हैं, जिनमें गिरकर सीधे मौत होने की संभावना है. फसलों के नुकसान के साथ घर में रखा अनाज और पशुओं का चारा तक सैलाब में बह गया. लोगों के अनुसार भूखे बाढ़ पीड़ितों के लिए किसी तरह की राहत शिविर भी नहीं लगाई गई है.

पूर्णिया
इलाके का जायजा लेते विधायक

NH 31 पर शरण लेने को मजबूर
आए दिन NH से तेज रफ्तार से चलनेवाले भारी वाहनों के दुर्घटनाग्रस्त होने की खबरें आती रहती है. आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि NH पर शरण लेना लोगों के लिए कितना खतरनाक है. सरकारी मदद नहीं मिलने के कारण बाढ़ पीड़ित NH पर शरण लेने को मजबूर हैं. खतरनाक NH 31 किसी भी समय बड़े दुर्घटना को अंजाम दे सकता है.

क्या कहते हैं विधायक?
एक ओर बायसी, आमौर ओर बैसा प्रखंडों में पानी तेजी से घट रहा है. दूसरी तरफ डगरुआ में परमान का कहर जारी है. इसको लेकर पूर्णिया विधायक विजय खेमका ने कहा कि डीएम लगातार डगरुआ का मुआयना कर रहे हैं. हर संभव मदद पहुंचाई जाएगी. इस बाबत डगरुआ पर उनकी भी पैनी नजर है.

Intro:आकाश कुमार (पूर्णिया) पूर्णिया में परमान का पानी पूरे परवान पर है। परमान की उफ़नती धाराओं ने डगरुआ प्रखंड के आधा दर्जन गावों को पूरी तरह डुबो दिया। तकरीबन 500 घर प्रभावित बताए जा रहे हैं। वहीं सैलाब के बाद सरकार की ओर से किसी तरह की मदद न मिलता देख बाढ़ पीड़ित खतरनाक एनएच 31 की शरण लेने को मजबूर हैं। जहां एक-एक पल बीतना खतरे से खाली नहीं। लिहाजा किसी भी समय बाढ़ पीड़ितों की जिंदगी पर NH का ब्रेक लगा सकता है।


Body:गौरतलब हो कि आए दिनों एनएच से तेज रफ्तार भारी वाहनों के दुर्घटनाग्रस्त होने की खबरें आती रहती हैं। अब आप खुद यह अंदाजा लगा सकते हैं। यह एनएच कितना और किस हद तक बाढ़ पीड़ितों के लिए सेफ है। सैलाब का पानी पीने को मजबूर बाढ़ पीड़ित.. बाढ़ पीड़ितों की मानें तो सैलाब ने इनका सबकुछ खत्म कर दिया है। घर में रखे अनाज के एक-एक तिनके को सैलाब ने निगल लिया है। सैलाब का पानी प्रवेश कर जाने से मिट्टी के चूल्हे से लेकर शिलॉटिया तक शांत पड़ गईं हैं। वहीं ट्यूबेल तक सैलाब में लबालब डूब जाने से अन्न का एक कतरा तो दूर इन बाढ़ पीड़ितों को शुद्ध पानी तक नसीब नहीं हो रहा है। इनकी बेबसी पर गौर करें तो आलम यह है कई दिनों से भूखे इन बाढ़ पीड़ितों के पास सैलाब का गंदा पानी पीने के अलावा दूसरा कोई चारा नहीं है। यहां बाढ़ की गंभीर विपदा... हालांकि जिला प्रशासन की ओर से बीते दिनों किये गए प्रेस कांफ्रेंस में डगरुआ प्रखंड के दो पंचायतों को बाढ़ प्रभावित बताया गया था। यह यह संख्या अब आधा दर्जन पंचायतों में तब्दील हो चुका है। वहीं वे गांव जो गंभीर रूप से बाढ़ की मार झेल रहे इनमें डगरुआ के दुबैली ,तौली, ठाठोल जैसे ग्रामीण पंचायतों के अलावा एनएच 31 से लगे नोनिया टोला पंचायत ,हरेरामपुर शामिल हैं। 500 से अधिक घर बाढ़ की चपेट में.... बीते शुक्रवार को इन इलाकों में परमान का पानी प्रवेश कर जाने से अब तक सूखे की मार झेल रहे इन पंचायतों में सैलाब ने सितम ढाते हुए 20 से भी अधिक गांवों को अपनी जद में ले लिया। ग्रामीणों की मानें तो 500 से भी अधिक घरों में इस वक़्त कहीं आंशिक तो कहीं पूर्ण रूप से जलप्रलय की स्थिति कायम है। खतरनाक एनएच 31 एक मात्र सहारा... वहीं वे बच्चे या ग्रामीण जिन्हें तैराकी नहीं आती नाव की सुविधा मुहैया न होने से अब तक घरों में दुबके हैं। इन्हें एक-एक कर घरों से निकालकर किसी तरह एनएच 31 पर लगाए गए अस्थायी आशियाने तक पहुंचाया जा रहा है। इस वक़्त वे ग्रामीण ही घरों से निकल रहे हैं। जिन्हें अच्छी तरह तैराकी आती है। वरना गड्ढे हैं कदम रखते ही किसी का भी सीधे मौत से सामना हो सकता है। एनएच की शरण बाढ़ पीड़ितों की मजबूरी... ग्रामीणों की मानें फसलों के नुकसान के साथ ही घर में रखे गए अनाज ,पशुओं का चारा तक सैलाब में बह गए हैं। जलप्रलय की चपेट में आये डगरुआ के सभी आधा दर्जन भर पंचायतों में न तो अब तक एक नाव ही नजर आया है और न ही भूखे बाढ़ पीड़ितों के लिए किसी तरह की राहत शिविर ही लगाई गई है। जहां वे दो वक्त का खाना खाकर अपनी भूख मिटा सकें। मजबूरन परिवार और पशुओं के साथ खतरनाक एनएच 31 किनारे शरण लेना इनकी मजबूरी है। एनएच का एक ब्रेक तौर थम जाएगी अनगिनत सांसे... फिलहाल इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि खतरनाक एनएच पर एक-एक पल बीतना बाढ़ पीड़ितों के लिए किस कदर खतरे भरा है। किसी भी समय बाढ़ पीड़ितों पर NH जिंदगी का ब्रेक लगा सकता है। बड़े हादसे को किसी भी सूरत में टाला नहीं जा सकेगा। वहीं इसे लेकर लोगों में उबाल भी साफ नजर आ रहा है। सरकारी मदद न मिलने से गुस्से से लाल बाढ़ पीड़ित का दर्द इनके शब्दों व चेहरे के साथ ही शारीरिक भाव-भंगिमाओं से साफ पढ़ा जा सकता है। फिलहाल इनके पास बदहाली का यह आलम देखने के सिवाए दूसरा कोई चारा नहीं है। क्या कहते हैं विधायक.. वहीं एक ओर जहां महानंदा ,कनकई और अब पनमार नदी के इन प्रखण्डों में कमजोर पड़ने से बायसी ,आमौर व बैसा(रौटा) में फिलहाल पानी तेजी से घट रहा है। वहीं डगरुआ में फिलहाल परमान का कहर जारी है। इस बाबत पूर्णिया विधायक विजय खेमका ने कहा कि डीएम लगातार डगरुआ का मुआयना कर रहे हैं। हर संभव मदद पहुंचाई जाएगी। डगरुआ पर मेरी भी पैनी नजर है। ये हैं वे प्रभावित गांव... दुबैली ,नोनिया टोला ,तौली ,कोचेली ,डुब्बा ,गोविंदपुर , मजगामा ,बिछदह ,कोठी टोला ,अछेपुर ,गेहुंआ,हरेरामपुर ठाठोल ,मकैली जैसे गांव शामिल हैं।


Conclusion:बाईट- सुनील कुमार , डगरुआ , नोनिया टोला । बाईट-रिंकी देवी , डगरुआ बाईट- संदीप कु मेहता , नोनिया टोला, डगरुआ। बाईट- गोविंद प्रसाद ,डगरुआ।
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