पूर्णिया: जिले के सिमलबाड़ी के किसान परंपरागत खेती के बजाए गेंदे के फूल की खेती कर रहे हैं. नई तकनीक से मिल रही गेंदे की बंपर पैदावार और दोगुना मुनाफा किसानों के अच्छे और खुशियों भरे दिन लेकर आया है. वहीं ईटीवी भारत की पहल के बाद जल्द ही कृषि विभाग गेंदे की खेती करने वाले किसानों को अनुदान देने जा रहा है.
चार प्रजातियों की खेती की जाती है
दरअसल बेलौरी से सटे सिमलबाड़ी में दर्जन भर बंगाली किसान परिवार गेंहू, धान और मक्का जैसे फसलों की परंपरागत खेती के बजाए गेंदे के फूल की खेती कर रहे हैं. यहां 40 एकड़ खेत में गेंदे के कुल चार प्रजातियों की खेती की जाती है. वहीं, गेंदे के इन प्रजातियों में चेरी ,चाइना ,मनोवा और गेंदा शामिल है. जिनके खरीदार जिले में ही नहीं बल्कि सीमांचल और कोसी में भी है.
किसानों को हो रहा दोगुना फायदा
सिमलबाड़ी गांव में गेंदे के फूल की खेती करने वाले किसान शंकर दास ने बताया कि यहां गेंदे के फूल की खेती की शुरुआत 10 साल पहले एक बंगाली किसान ने की थी. परंपरागत खेती में किसानों को हुए नुकसान के बाद किसानों ने कृषि वैज्ञानिक की सलाह पर इसकी खेती करना शुरू किया था. इस खेती में उन्हें दोगुना लाभ हुआ. जिसके बाद वे परंपरागत खेती छोड़ गेंदे के फूल की खेती करने लगे. वहीं, गेंदे के फूल की खेती में मिल रहे दोगुने मुनाफे के बाद जिले के दूसरे किसान भी तेजी से इस खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं.
किसानों के अच्छे दिन
गेंदे के पौधे पारंपरिक खेती के बजाय कहीं ज्यादा फायदेमंद साबित हो रहा है. इस खेती के फायदे पर गौर करें तो दोगुना मुनाफे ने जहां किसानों के घर आंगन को खुशियों से गुलजार किया है. तो वहीं साल भर में इसके पौधे से दस बार प्राप्त होने वाली पैदावार इन किसानों के लिए अच्छे दिन लेकर आया है.
खेती के लिए लाभ देने की घोषणा
जिला कृषि विभाग के अधिकारी सुरेंद्र प्रसाद गेंदे की खेती करने वाले किसानों से मिलने खेतों में जाएंगे. वहीं, ईटीवी भारत के माध्यम से कृषि अधिकारी ने किसानों से जुड़ी सूचना प्राप्त की. जिसके बाद उन्होंने गेंदे के फूल की खेती करने वाले किसानों के लिए खेती में लाभ देने की घोषणा की. उन्होंने कहा कि बाकि किसानों को भी पगेंदे की खेती की तरफ आर्कषित होना चाहिए.