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पूर्णिया: परंपरागत खेती से नाता तोड़ किसान कर रहे गेंदे की खेती, हो रहा दोगुना फायदा

गेंदे के पौधे पारंपरिक खेती के बजाय कहीं ज्यादा फायदेमंद साबित हो रहा है. इस खेती के फायदे पर गौर करें तो गेंदा फूल के दोगुने मुनाफे ने जहां किसानों के घर आंगन को खुशियों से गुलजार किया है. तो वहीं साल भर में इसके पौधे से दस बार प्राप्त होने वाली पैदावार इन किसानों के लिए अच्छे दिन लेकर आया है.

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गेंदे की खेती
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Published : Dec 27, 2019, 11:22 AM IST

पूर्णिया: जिले के सिमलबाड़ी के किसान परंपरागत खेती के बजाए गेंदे के फूल की खेती कर रहे हैं. नई तकनीक से मिल रही गेंदे की बंपर पैदावार और दोगुना मुनाफा किसानों के अच्छे और खुशियों भरे दिन लेकर आया है. वहीं ईटीवी भारत की पहल के बाद जल्द ही कृषि विभाग गेंदे की खेती करने वाले किसानों को अनुदान देने जा रहा है.

चार प्रजातियों की खेती की जाती है
दरअसल बेलौरी से सटे सिमलबाड़ी में दर्जन भर बंगाली किसान परिवार गेंहू, धान और मक्का जैसे फसलों की परंपरागत खेती के बजाए गेंदे के फूल की खेती कर रहे हैं. यहां 40 एकड़ खेत में गेंदे के कुल चार प्रजातियों की खेती की जाती है. वहीं, गेंदे के इन प्रजातियों में चेरी ,चाइना ,मनोवा और गेंदा शामिल है. जिनके खरीदार जिले में ही नहीं बल्कि सीमांचल और कोसी में भी है.

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परंपरागत खेती छोड़ रहे किसान

किसानों को हो रहा दोगुना फायदा
सिमलबाड़ी गांव में गेंदे के फूल की खेती करने वाले किसान शंकर दास ने बताया कि यहां गेंदे के फूल की खेती की शुरुआत 10 साल पहले एक बंगाली किसान ने की थी. परंपरागत खेती में किसानों को हुए नुकसान के बाद किसानों ने कृषि वैज्ञानिक की सलाह पर इसकी खेती करना शुरू किया था. इस खेती में उन्हें दोगुना लाभ हुआ. जिसके बाद वे परंपरागत खेती छोड़ गेंदे के फूल की खेती करने लगे. वहीं, गेंदे के फूल की खेती में मिल रहे दोगुने मुनाफे के बाद जिले के दूसरे किसान भी तेजी से इस खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं.

गेंदें की खेता कर रहे किसान

किसानों के अच्छे दिन
गेंदे के पौधे पारंपरिक खेती के बजाय कहीं ज्यादा फायदेमंद साबित हो रहा है. इस खेती के फायदे पर गौर करें तो दोगुना मुनाफे ने जहां किसानों के घर आंगन को खुशियों से गुलजार किया है. तो वहीं साल भर में इसके पौधे से दस बार प्राप्त होने वाली पैदावार इन किसानों के लिए अच्छे दिन लेकर आया है.

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किसान

खेती के लिए लाभ देने की घोषणा
जिला कृषि विभाग के अधिकारी सुरेंद्र प्रसाद गेंदे की खेती करने वाले किसानों से मिलने खेतों में जाएंगे. वहीं, ईटीवी भारत के माध्यम से कृषि अधिकारी ने किसानों से जुड़ी सूचना प्राप्त की. जिसके बाद उन्होंने गेंदे के फूल की खेती करने वाले किसानों के लिए खेती में लाभ देने की घोषणा की. उन्होंने कहा कि बाकि किसानों को भी पगेंदे की खेती की तरफ आर्कषित होना चाहिए.

पूर्णिया: जिले के सिमलबाड़ी के किसान परंपरागत खेती के बजाए गेंदे के फूल की खेती कर रहे हैं. नई तकनीक से मिल रही गेंदे की बंपर पैदावार और दोगुना मुनाफा किसानों के अच्छे और खुशियों भरे दिन लेकर आया है. वहीं ईटीवी भारत की पहल के बाद जल्द ही कृषि विभाग गेंदे की खेती करने वाले किसानों को अनुदान देने जा रहा है.

चार प्रजातियों की खेती की जाती है
दरअसल बेलौरी से सटे सिमलबाड़ी में दर्जन भर बंगाली किसान परिवार गेंहू, धान और मक्का जैसे फसलों की परंपरागत खेती के बजाए गेंदे के फूल की खेती कर रहे हैं. यहां 40 एकड़ खेत में गेंदे के कुल चार प्रजातियों की खेती की जाती है. वहीं, गेंदे के इन प्रजातियों में चेरी ,चाइना ,मनोवा और गेंदा शामिल है. जिनके खरीदार जिले में ही नहीं बल्कि सीमांचल और कोसी में भी है.

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परंपरागत खेती छोड़ रहे किसान

किसानों को हो रहा दोगुना फायदा
सिमलबाड़ी गांव में गेंदे के फूल की खेती करने वाले किसान शंकर दास ने बताया कि यहां गेंदे के फूल की खेती की शुरुआत 10 साल पहले एक बंगाली किसान ने की थी. परंपरागत खेती में किसानों को हुए नुकसान के बाद किसानों ने कृषि वैज्ञानिक की सलाह पर इसकी खेती करना शुरू किया था. इस खेती में उन्हें दोगुना लाभ हुआ. जिसके बाद वे परंपरागत खेती छोड़ गेंदे के फूल की खेती करने लगे. वहीं, गेंदे के फूल की खेती में मिल रहे दोगुने मुनाफे के बाद जिले के दूसरे किसान भी तेजी से इस खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं.

गेंदें की खेता कर रहे किसान

किसानों के अच्छे दिन
गेंदे के पौधे पारंपरिक खेती के बजाय कहीं ज्यादा फायदेमंद साबित हो रहा है. इस खेती के फायदे पर गौर करें तो दोगुना मुनाफे ने जहां किसानों के घर आंगन को खुशियों से गुलजार किया है. तो वहीं साल भर में इसके पौधे से दस बार प्राप्त होने वाली पैदावार इन किसानों के लिए अच्छे दिन लेकर आया है.

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किसान

खेती के लिए लाभ देने की घोषणा
जिला कृषि विभाग के अधिकारी सुरेंद्र प्रसाद गेंदे की खेती करने वाले किसानों से मिलने खेतों में जाएंगे. वहीं, ईटीवी भारत के माध्यम से कृषि अधिकारी ने किसानों से जुड़ी सूचना प्राप्त की. जिसके बाद उन्होंने गेंदे के फूल की खेती करने वाले किसानों के लिए खेती में लाभ देने की घोषणा की. उन्होंने कहा कि बाकि किसानों को भी पगेंदे की खेती की तरफ आर्कषित होना चाहिए.

Intro:आकाश कुमार (पूर्णिया)
special report

जिले के सिमलबाड़ी के किसान परंपरागत खेती के बजाए गेंदे के फूल की खेती कर खुद को मालामाल कर रहे हैं। नई तकनीक से मिल रही गेंदे की बंपर पैदावार और दोगुने मुनाफे किसानों के अच्छे और खुशियों भरे दिन लेकर आया है। वहीं जिले के दूसरे किसान गेंदे के फूल खेती कर लाभ कमा सके, लिहाजा ईटीवी भारत की पहल के बाद बेहद जल्द कृषि विभाग गेंदे की खेती करने वाले किसानों को अनुदान देने जा रहा है।


Body:यहां गेंदे के चार प्रजातियों की होती है खेती...

दरअसल जिले के बेलौरी से सटे सिमलबाड़ी में दर्जन भर बंगाली किसान परिवार गेंहू ,धान व मक्का जैसे फसलों की परंपरागत खेती के बजाए गेंदे के फूल की खेती कर रहे हैं। यहां 40 एकड़ खेत में गेंदे के कुल चार प्रजातियों की खेती की जाती है। वहीं गेंदे के इन प्रजातियों में चेरी ,चाइना ,मनोवा व गेंदा शामिल है। जिनके खरीदार जिले में ही नहीं बल्कि सीमांचल व कोसी में भी इसकी खासी डिमांड है।


पारंपरिक खेती के बजाए गेंदे की खेती दे रहा दोगुना मुनाफा....

यहां के सिमलबाड़ी गांव में गेंदे के फूल की खेती करने वाले किसान शंकर दास बताते हैं कि यहां गेंदे के फूल की खेती की शुरुआत 10 साल पहले एक बंगाली किसान ने की। शंकर बताते हैं, कि परंपरागत खेती में किसानों को हुए नुकसान के बाद किसानों ने कृषि वैज्ञानिक की सलाह पर इसकी खेती करनी शुरू की। इस खेती में उन्हें दोगुना लाभ हुआ। जिसके बाद वे परंपरागत खेती छोड़ गेंदे के फूल की खेती करने लगे। वहीं गेंदे के फूल की खेती में मिल रहे दोगुने मुनाफे के बाद जिले के दूसरे किसान भी तेजी से इस खेती की ओर उन्मुख हो रहे हैं।


bite 1- शंकर दास, किसान

गेंदे की खेती लेकर आया है किसानों के अच्छे दिन...


गेंदे के पौधे पारंपरिक खेती के बनिस्पत कहीं ज्यादा फायदेमंद साबित हो रहा है। इस खेती के फायदे पर गौर करें तो गेंदा फूल के दोगुने मुनाफे ने जहां किसानों के घर आंगन को खुशियों से गुलजार किया है। तो वहीं वहीं साल भर में इसके पौधे से दस बार प्राप्त होने वाली पैदावार इन किसानों के लिए अच्छे दिन लेकर आया है।


ईटीवी भारत की पहल पर कृषि विभाग की बड़ी घोषणा....


इतना ही नहीं कृषि विभाग के पदाधिकारी सुरेंद्र प्रसाद खुद गेंदे की खेती करने वाले इन किसानों से मिलने इनके खेतों तक जाएंगे। वहीं ईटीवी भारत के माध्यम से इन किसानों से जुड़ी सूचना प्राप्त करते हुए बाकायदा कृषि पदाधिकारी ने इसके लिए किसानों को गेंदा फूल की खेती के लिए कृषि विभाग से मिल रही का लाभ देने की घोषणा की है। यही नहीं जिले के बाकी किसान भी परंपरागत खेती से इतर गेंदे के फूल की खेती की ओर उन्मुख(आकर्षित) हो सकें।

bite 2- कृषि पदाधिकारी ,सुरेंद्र प्रसाद


Conclusion:
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