पूर्णिया: जिले के अमौर स्थित एक कोविड केयर सेंटर में मानवता को शर्मसार करने वाली की घटना हुई है. एक कोरोना पॉजिटिव मरीज की मौत होने पर उसके शव को प्लास्टिक में लपेटकर जेसीबी से ले जाया गया. कोरोना प्रोटोकॉल का पालन किये बगैर JCB के सहारे नहर किनारे दफना दिया गया. इससे लेकर प्रशासन की काफी फजीहत हो रही है.
संक्रमित होने पर गांव वालों ने बना ली थी दूरी
पूर्णिया के अमर थाना क्षेत्र के बेलगाछी गांव में एक व्यक्ति पिछले 3 दिनों से कोविड-19 से संक्रमित था. इस बात की जानकारी जैसे ही गांव वालों हुई, सभी ने उससे दूरी बना ली. गांव के ही एक व्यक्ति ने अमौर के पीएचसी सेंटर में इस बात की जानकारी दी. सेंटर से पहुंचे स्वास्थ्य कर्मी ले गये और पीएचसी में भर्ती करवा दिया मगर 29 मई को उसकी मौत हो गई.
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मौत के बाद अस्पताल प्रशासन ने मृतक के शव को प्लास्टिक में लपेटा और एक जेसीबी मशीन से ले जाकर नहर के पास जा दफना दिया जबकि इस बारे में सरकार की ओर से गाइडलाइंस जारी है. इसमें कहा गया है कि कोविड से मरने वाले का अंतिम संस्कार अगर परिजन नहीं करते हैं तो सरकारी खर्चे से किया जाएगा. मगर इस घटना में तो सरकारी तंत्र ने मानवता को शर्मसार कर दिया. एंबुलेंस के बजाय उसे जेसीबी मशीन पर लादकर ले गये और दफनाया दिया.
27 मई को सेंटर में हुआ था भर्ती
स्थानीय समाजसेवी शाहबुज्जमा उर्फ लड्डू ने बताया कि मृतका का नाम पंचू यादव था. वह ग्राम बेलगच्छी का रहने वाला था. 27 मई को टेस्ट होने के बाद उसे अमौर के बेलगच्छी कोविड सेंटर में भर्ती कराया गया था. 29 मई को सुबह 8:00 बजे उसकी मौत हो गई.
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मुखिया पर लगा आरोप
इस बारे में रेफरल अस्पताल, अमौर के प्रभारी डॉक्टर ईहतमुल हक ने बताया कि यहां पर एंबुलेंस समेत सारी सुविधाएं उपलब्ध थीं लेकिन मुखिया रामराज सिंह ने कहा था कि इसका दाह संस्कार हम करा लेंगे. तब बीडीओ रघुनंदन आनंद व सीओ अनुज कुमार भी मौजूद थे. मुखिया की इस बात पर भरोसा कर हम लोग कोविड सेंटर निरीक्षण के लिए चले गए. मुखिया रामराज ने जेसीबी के माध्यम से शव को दफनाया. हमें इस बात की जानकारी बाद में मिली.
पंचायत सचिव से मांगा गया स्पष्टीकरण
प्रखंड विकास पदाधिकारी रघुनंदन आनंद ने बताया कि पंचायत सचिव संतोष कुमार चौधरी को इस काम के लिए लगाया गया था लेकिन वे मौके पर पहुंचे ही नहीं. इसके लिए पंचायत सचिव से स्पष्टीकरण की मांग की गयी है.
प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को किया शोकॉज
सीएस डॉ. एस. के. वर्मा ने मामले को लेकर रेफरल अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी से स्पष्टीकरण मांगा है. उन्होंने कहा कि यह मामला संवेदनहीनता और लापरवाही का उदाहरण है. 24 घंटे के अंदर जवाब तलब किया गया है.