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पूर्णिया: अस्पताल के फर्श पर हो रहा डेंगू मरीजों का इलाज, सीएस बोले- बेड की है कमी

डेंगू वार्ड में भर्ती मरीज बताती हैं कि महिला होने के नाते अस्पताल प्रशासन से कम-से-कम एक बेड उपलब्ध कराने के लिए काफी गुहार लगाई. लेकिन विभाग ने इस मामले पर कोई ध्यान नहीं दिया.

डेंगू मरीजों का इलाज
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Published : Nov 19, 2019, 10:55 AM IST

पूर्णिया: प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली किसी से छिपी नहीं है. ये हालत तब है, जब केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे इसी प्रदेश के निवासी हैं. ताजा मामला सीमांचल के एम्स कहे जाने वाले पूर्णिया के सदर अस्पताल का है. यहां बेड के अभाव में डेंगू के मरीजों का इलाज फर्श पर किया जा रहा है.

'अस्पताल प्रशासन लापरवाह'
इस बाबत,अस्पताल में इलाज के लिये आये काजल पोद्दार का कहना है कि वे 17 नवंबर को अपने रिश्तेदार के इलाज के लिये यहां पर बेहतर सेवा की उम्मीद लेकर आए थे. लेकिन अस्पताल में सुविधाओं का घोर अभाव है. यहां पर मरीजों का उपचार फर्श पर किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि इस मामले को लेकर उन्होंने कई बार अस्पताल प्रशासन से गुहार भी लगाई लेकिन विभाग ने इसपर कोई ध्यान नहीं दिया.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

ये भी पढ़ें- डॉक्टरों ने ETV BHARAT से बातचीत में बताये डेंगू से बचने के उपाय, बदलें अपनी इन आदतों को

डेंगू वार्ड में कुव्यवस्था
आइसोलेशन वार्ड में भर्ती बैसा प्रखंड की रेहाना खातून बताती हैं कि वे यहां पर 16 नवंबर से भर्ती हैं. महिला होने के नाते अस्पताल प्रशासन से कम से कम एक बेड उपलब्ध कराने के लिए काफी गुहार लगाई. लेकिन अब बेड मिलना असंभव लग रहा है. वहीं, एक अन्य मरीज सुरेश मांझी बताते है कि हमलोगों के पास इतने पैसे भी नहीं है कि कहीं और प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराएं.

मरीज के परिजन
मरीज के परिजन

'अस्पताल में नहीं है कोई व्यवस्था'
मरीजों का कहना है कि अस्पताल में कोई व्यवस्था नहीं है. यहां पर ना तो डेंगू टेस्ट किट उपलब्ध है और ना ही किसी प्रकार की दवाई उपलब्ध है. मरीजों ने अस्पताल प्रशासन पर घोर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि यहां पर हमें इलाज के नाम पर सिर्फ एक मच्छरदानी मिली है. बाकी व्यवस्था खुद से करना पड़ा है.

'अस्पताल में मरीजों के मुकाबले बेड कम'
मामले पर जिले के सीएस मधुसूदन प्रसाद ने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि अस्पताल में मरीजों की अपेक्षा बेड की कमी है. इसलिए सभी मरीजों को बेड मिलना मुश्किल है, ऐसे में प्रबंधन क्या कर सकता है?

मधुसूदन प्रसाद,सीएस
मधुसूदन प्रसाद,सीएस

लगातार बढ़ रही डेंगू मरीजों की संख्या
जिले में लगातार बढ़ रहे डेंगू मरीजों की संख्या को लेकर स्वास्थ्य विभाग काफी परेशान है. गौरतलब है कि पूरे प्रदेश में बाढ़ और बारिश के कारण जलजमाव की समस्या हुई थी. जिस कारण अब जमे हुए पानी में डेंगू और चिकनगुनिया पनपने लगा है. बताया जाता है कि पूरे प्रदेश में डेंगू और चिकनगुनिया से प्रभावित लोगों की संख्या 2500 के पार पहुंच गई है.

पूर्णिया: प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली किसी से छिपी नहीं है. ये हालत तब है, जब केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे इसी प्रदेश के निवासी हैं. ताजा मामला सीमांचल के एम्स कहे जाने वाले पूर्णिया के सदर अस्पताल का है. यहां बेड के अभाव में डेंगू के मरीजों का इलाज फर्श पर किया जा रहा है.

'अस्पताल प्रशासन लापरवाह'
इस बाबत,अस्पताल में इलाज के लिये आये काजल पोद्दार का कहना है कि वे 17 नवंबर को अपने रिश्तेदार के इलाज के लिये यहां पर बेहतर सेवा की उम्मीद लेकर आए थे. लेकिन अस्पताल में सुविधाओं का घोर अभाव है. यहां पर मरीजों का उपचार फर्श पर किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि इस मामले को लेकर उन्होंने कई बार अस्पताल प्रशासन से गुहार भी लगाई लेकिन विभाग ने इसपर कोई ध्यान नहीं दिया.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

ये भी पढ़ें- डॉक्टरों ने ETV BHARAT से बातचीत में बताये डेंगू से बचने के उपाय, बदलें अपनी इन आदतों को

डेंगू वार्ड में कुव्यवस्था
आइसोलेशन वार्ड में भर्ती बैसा प्रखंड की रेहाना खातून बताती हैं कि वे यहां पर 16 नवंबर से भर्ती हैं. महिला होने के नाते अस्पताल प्रशासन से कम से कम एक बेड उपलब्ध कराने के लिए काफी गुहार लगाई. लेकिन अब बेड मिलना असंभव लग रहा है. वहीं, एक अन्य मरीज सुरेश मांझी बताते है कि हमलोगों के पास इतने पैसे भी नहीं है कि कहीं और प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराएं.

मरीज के परिजन
मरीज के परिजन

'अस्पताल में नहीं है कोई व्यवस्था'
मरीजों का कहना है कि अस्पताल में कोई व्यवस्था नहीं है. यहां पर ना तो डेंगू टेस्ट किट उपलब्ध है और ना ही किसी प्रकार की दवाई उपलब्ध है. मरीजों ने अस्पताल प्रशासन पर घोर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि यहां पर हमें इलाज के नाम पर सिर्फ एक मच्छरदानी मिली है. बाकी व्यवस्था खुद से करना पड़ा है.

'अस्पताल में मरीजों के मुकाबले बेड कम'
मामले पर जिले के सीएस मधुसूदन प्रसाद ने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि अस्पताल में मरीजों की अपेक्षा बेड की कमी है. इसलिए सभी मरीजों को बेड मिलना मुश्किल है, ऐसे में प्रबंधन क्या कर सकता है?

मधुसूदन प्रसाद,सीएस
मधुसूदन प्रसाद,सीएस

लगातार बढ़ रही डेंगू मरीजों की संख्या
जिले में लगातार बढ़ रहे डेंगू मरीजों की संख्या को लेकर स्वास्थ्य विभाग काफी परेशान है. गौरतलब है कि पूरे प्रदेश में बाढ़ और बारिश के कारण जलजमाव की समस्या हुई थी. जिस कारण अब जमे हुए पानी में डेंगू और चिकनगुनिया पनपने लगा है. बताया जाता है कि पूरे प्रदेश में डेंगू और चिकनगुनिया से प्रभावित लोगों की संख्या 2500 के पार पहुंच गई है.

Intro:सूबे का स्वास्थ्य महेकमा डेंगू मरीजों के ईलाज के नाम पर अपनी पीठ चाहे क्यों न थपथपा ले, मगर हकीकत कुछ और ही नजर आ रही है। बदइन्तेजामी का आलम ऐसा कि डेंगू पेशेंट्स को बेड तक मुहैया कराने में अस्पताल प्रबंधन फ्लॉप साबित हुआ है। आसोलेशन वार्ड में एडमिट आधा दर्जन डेंगू मरीज ऐसे हैं, जिनका इलाज से लेकर पानी तक मरीजों को फर्श पर लिटाकर ही कराया जा रहा है। वहीं ताज्जुब भरी ये तस्वीरें उस सदर अस्पताल से आईं हैं। जिसे लोग सीमांचल के एम्स के नाम से जानते हैं। लिहाजा ऐसे में अनुमंडल व प्रखंड स्थित अस्पतालों से किसी तरह की उम्मीद रखना बेईमानी ही होगी।


Body:हालांकि इन सब के बावजूद जिस अस्पताल प्रबंधन को अपनी गलती स्वीकार कर तत्काल बेड की व्यवस्थाओं में भीड़ जाने की जरूरत थी। वह बड़ी ही बेशर्मी से अपना पलड़ा झाड़ती नजर आई। गौरतलब हो कि यह वही अस्पताल है, जहां से बीते दिनों ही कुछ कुत्तों द्वारा एक शव के एक हिस्से की चिथड़ों तक को निगल जाने की खबर आई थी।


फर्श पर हो रहा डेंगू पेसेंट का इलाज......

दरअसल ईटीवी भारत की टीम आज जैसे ही सदर अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड परिसर में डेंगू पेशेंट को मिलने वाली व्यवस्थाओं का हाल जानने पहुंचा। डेंगू के डंक का बेहतर इलाज के दम भरती सदर अस्पताल से चौकाने वाली तस्वीरें सामने आई। यहां आधा दर्जन डेंगू पेसेंट इस वक़्त बेड की कमी से जूझ रहे हैं। वहीं बेड की पर्याप्त सुविधा न होने से डेंगू से ग्रसित तेज फीवर से जूझ रहे पेशेंट मजबूरन फर्श पर लेटे नजर आए।


रात होते ही शीत से दुगुनी हो जाती है डेंगू पेसेंट की परेशानी...


जिले के खुश्कीबाग इलाके में रहने वाले काजल पोद्दार बताते हैं कि डेंगू रोग की आशंका के बाद वे 17 तारीख को अपने मरीज के बेहतर ईलाज के लिए सदर अस्पताल पहुंचे थे। मगर डेंगू के इलाज के नाम पर इन्हें जिस तरह कुव्यवस्थाओं का सामना करना पड़ रहा है। इन्होंने इसकी कल्पना सपने में भी नहीं की थी। वहीं मौसम सर्द का है, लिहाजा शाम चढ़ते ही शीत का गिरना शुरू हो जाता है। तब फर्श भी ठंडी हो जाती है जिसके चलते फर्श पर बिछे बेड ठंडे होने लगते हैं, लिहाजा यह स्थिति के किसी भी डेंगू पेसेंट के लिए जानलेवा साबित हो सकती है। इनके पास प्रबंधन से बेड की व्यवस्था मुहैया कराने की अपील के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं। न ही इतने पैसे ही हैं कि अपने मरीज का इलाज किसी अच्छे प्राइवेट अस्पताल में करा सकें।


फर्श पर ही चढ़ाया जा रहा डेंगू पेसेंट को पानी....

काजल कहते हैं कि आज दूसरा दिन है। इस तरह उन्होंने अब तक कई दफे बेड की असुविधा के कारण मरीज को होने वाली परेशानी गिनाकर बेड मुहैया कराने की बात रखी। मगर अब तक प्रंबधन के कान में जु तक नहीं रेंगा। हैरत की बात है कि जब मरीज को पानी चढ़ाने की बारी आई तो आनन-फानन में पहुंचे डॉक्टर साहब को पानी भी जमीन पर ही चढ़ाना पड़ा। हैरत की बात है यह ट्रीटमेंट उस स्थान पर किया जा रहा है जहां के फर्श गंदगी और भिनभिनाती मक्खियों से भरे पड़े हैं।


आसोलेशन वार्ड में लंबी है परेशानियों की फेहरिश्त....

वहीं ऐसे ही मरीजों में से एक हैं बैसा प्रखण्ड से आई रेहाना खातून। डेंगू के शक के बाद रेहाना को उनके परिजनों ने 16 नवंबर को एडमिट कराया था। मगर महिला मरीज व उनके परिजनों के लाख निवेदन के बाद भी अस्पताल प्रबंधन इस महिला मरीज को एक बेड तक उपलब्ध नहीं करा सकी। बेबसी की कुछ ऐसी ही कहानी सिकलीगढ़ धरहरा से आए सुरेश मांझी की है। जिन्हें घण्टों गुजर जाने के बाद भी बेड मिलना असंभव सा लगा। तो इनके परिजनों को मजबूर होकर फर्श पर ही इलाज के लिए तैयार हो जाना मरीज के लिए मुनासिब लगा।


सिविल सर्जन ने झाड़ा मामले से पलड़ा...

इस बाबत ईटीवी भारत ने जब सदर अस्पताल के सिविल सर्जन मधुसूदन प्रसाद से मिलकर डेंगू मरीजों को हो रही कुव्यवस्थाओं से जुड़े सवाल दागे। तो जिम्मेवारियों से पलड़ा झाड़ते हुए यह सिविल सर्जन को यह कहने में तनिक भी यह गुरेज नहीं हुआ कि
कि बेड नियत होने की स्थित में मरीज की संख्या बढ़ जाए तो इसमें अस्पताल प्रबंधन क्या करे।





Conclusion:बाईट- काजल पोद्दार ,मरीज के परिजन
बाईट- सिविल सर्जन ,पूर्णिया
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