पूर्णिया: कोरोना महामारी में बेहतर व्यवस्थाओं के दम भर रही सरकार भले ही अपनी पीठ थपथपा ले. लेकिन सही मायनों में बिहार का स्वास्थ्य महकमा किस कदर चरमरा चुका है, इसकी एक तस्वीर सीमांचल के एम्स कहे जाने वाले सदर अस्पताल से सामने आई है. जहां ब्लड लेने पहुंचे थैलेसीमिया जैसे गंभीर रोग से ग्रसित बच्चों को बेड तक उपलब्ध नहीं कराई जा सकी. जिसकी वजह से 2 दर्जन बच्चों को फर्श पर लिटा कर ही ब्लड चढ़ाया गया.
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बच्चों को नहीं मिला बेड
सदर अस्पताल में 40 की संख्या में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे ब्लड चढ़ाने पहुंचे थे. थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों के परिजनों की मानें तो सदर अस्पताल प्रबंधन को इसकी पहले से जानकारी थी. लिहाजा जरूरतमंद सभी 40 बच्चों को ब्लड तो मिल गया. लेकिन कुछ बच्चों को बेड उपलब्ध नहीं हो सका. जिसके बाद कुछ बच्चों के परिजन बच्चा वार्ड के बाहर बरामदे में बच्चे को लिटा कर ब्लड चढ़ाते नजर आए. वहीं कुछ बच्चों को वार्ड के अंदर ही फर्श पर लिटा कर ब्लड चढ़ाया गया.
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वार्ड में कई बेड खाली सदर अस्पताल में 400 बेड़ पहले से ही उपलब्ध हैं. सैकड़ों बेड स्टोररूम में सड़ रहे हैं और धूल फांक रहे हैं. जबकि कोविड-19 के कारण अन्य वार्डों में मरीज नहीं के बराबर हैं. वार्डों में बेड खाली पड़े थे. फिर भी थैलीसीमिया मरीजों के लिए बेड उपलब्ध नहीं कराई जा सकी. इससे नाराज परिजनों ने कहा कि सरकार बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. आईसीयू, वेंटीलेटर से लेकर सभी तरह के आधुनिक उपकरण और चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं हैं. फिर भी लोगों को यह सुविधा समय पर उपलब्ध नहीं हो पा रही है. इस मामले पर अपनी सफाई देते हुए सदर अस्पताल अधीक्षक डॉ. सुरेंद्र दास ने कहा कि अचानक 40 की संख्या में मरीज ब्लड के लिए पहुंच गए. उनको जब यह खबर मिली तब बच्चों को फर्श पर लिटाकर ब्लड चढ़ाया जा रहा था.