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पूर्णिया: थेलेसिमिया पीड़ित बच्चों को नहीं मिला बेड, फर्श पर लिटाकर चढ़ाया गया खून - पूर्णिया बच्चों को नहीं मिला बेड

पूर्णिया में थेलेसिमिया पीड़ित बच्चों को बेड नहीं उपलब्ध कराया गया. जिसकी वजह से बच्चों को फर्श पर लिटाकर खून चढ़ाया गया.

children affected with Thalassemia
children affected with Thalassemia
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Published : Jun 5, 2021, 6:08 PM IST

पूर्णिया: कोरोना महामारी में बेहतर व्यवस्थाओं के दम भर रही सरकार भले ही अपनी पीठ थपथपा ले. लेकिन सही मायनों में बिहार का स्वास्थ्य महकमा किस कदर चरमरा चुका है, इसकी एक तस्वीर सीमांचल के एम्स कहे जाने वाले सदर अस्पताल से सामने आई है. जहां ब्लड लेने पहुंचे थैलेसीमिया जैसे गंभीर रोग से ग्रसित बच्चों को बेड तक उपलब्ध नहीं कराई जा सकी. जिसकी वजह से 2 दर्जन बच्चों को फर्श पर लिटा कर ही ब्लड चढ़ाया गया.

यह भी पढ़ें- PMCH में लाल खून का काला कारोबार, दलालों से 60 हजार में खरीदा ब्लड फिर भी नहीं बची मां की जान

बच्चों को नहीं मिला बेड
सदर अस्पताल में 40 की संख्या में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे ब्लड चढ़ाने पहुंचे थे. थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों के परिजनों की मानें तो सदर अस्पताल प्रबंधन को इसकी पहले से जानकारी थी. लिहाजा जरूरतमंद सभी 40 बच्चों को ब्लड तो मिल गया. लेकिन कुछ बच्चों को बेड उपलब्ध नहीं हो सका. जिसके बाद कुछ बच्चों के परिजन बच्चा वार्ड के बाहर बरामदे में बच्चे को लिटा कर ब्लड चढ़ाते नजर आए. वहीं कुछ बच्चों को वार्ड के अंदर ही फर्श पर लिटा कर ब्लड चढ़ाया गया.

children affected with Thalassemia
परेशान दिखे परिजन
बेड के लिए भटकते रहे परिजन इस दौरान साफ-सफाई तक की व्यवस्था नहीं थी. बच्चे जहां ब्लड ले रहे थे, वहां चारों ओर गंदगी फैली थी. यह सभी बच्चे जिले के अलग-अलग इलाकों से पूर्णिया सदर अस्पताल पहुंचे थे. थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों के परिजनों ने बताया कि उन्होंने सदर अस्पताल प्रबंधन के सामने बेड़ को लेकर अपनी बात रखी थी. लेकिन अस्पताल प्रबंधन की ओर से बेड खाली ना होने का हवाला देकर उन्हें चलता कर दिया गया. जिसकी वजह से परिजन बेड के लिए चारों तरफ भटकते रहे. लेकिन उनकी समस्या को किसी ने भी सुनने की जहमत नहीं उठाई.
children affected with Thalassemia
बच्चों को नहीं मिला बेड
स्वास्थ्य विभाग की खुली पोलथक हारकर परिजनों ने वार्ड के अंदर और बाहर बरामदे के फर्श पर ही घर से लाए तौलिए और चादर बिछाकर मासूम को उस पर लिटा दिया. मजबूरन नर्स ने भी फर्श पर लेटे बच्चों को ब्लड चढ़ाना शुरू कर दिया. वहीं कुछ जरूरतमंदों को ब्लड न उपलब्ध हो पाने के कारण परिजन और मरीज दोनों परेशान दिखाई दिए. सदर अस्पताल में कुव्यवस्था ने जिला प्रशासन और जिला स्वास्थ्य विभाग की तैयारियों की पोल खोलकर रख दी है.

इसे भी पढ़ेंः मुंगेर गोलीकांड: हाईकोर्ट के आदेश पर बड़ा एक्शन, 13 पुलिस पदाधिकारियों का तबादला

वार्ड में कई बेड खाली सदर अस्पताल में 400 बेड़ पहले से ही उपलब्ध हैं. सैकड़ों बेड स्टोररूम में सड़ रहे हैं और धूल फांक रहे हैं. जबकि कोविड-19 के कारण अन्य वार्डों में मरीज नहीं के बराबर हैं. वार्डों में बेड खाली पड़े थे. फिर भी थैलीसीमिया मरीजों के लिए बेड उपलब्ध नहीं कराई जा सकी. इससे नाराज परिजनों ने कहा कि सरकार बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. आईसीयू, वेंटीलेटर से लेकर सभी तरह के आधुनिक उपकरण और चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं हैं. फिर भी लोगों को यह सुविधा समय पर उपलब्ध नहीं हो पा रही है. इस मामले पर अपनी सफाई देते हुए सदर अस्पताल अधीक्षक डॉ. सुरेंद्र दास ने कहा कि अचानक 40 की संख्या में मरीज ब्लड के लिए पहुंच गए. उनको जब यह खबर मिली तब बच्चों को फर्श पर लिटाकर ब्लड चढ़ाया जा रहा था.

पूर्णिया: कोरोना महामारी में बेहतर व्यवस्थाओं के दम भर रही सरकार भले ही अपनी पीठ थपथपा ले. लेकिन सही मायनों में बिहार का स्वास्थ्य महकमा किस कदर चरमरा चुका है, इसकी एक तस्वीर सीमांचल के एम्स कहे जाने वाले सदर अस्पताल से सामने आई है. जहां ब्लड लेने पहुंचे थैलेसीमिया जैसे गंभीर रोग से ग्रसित बच्चों को बेड तक उपलब्ध नहीं कराई जा सकी. जिसकी वजह से 2 दर्जन बच्चों को फर्श पर लिटा कर ही ब्लड चढ़ाया गया.

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बच्चों को नहीं मिला बेड
सदर अस्पताल में 40 की संख्या में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे ब्लड चढ़ाने पहुंचे थे. थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों के परिजनों की मानें तो सदर अस्पताल प्रबंधन को इसकी पहले से जानकारी थी. लिहाजा जरूरतमंद सभी 40 बच्चों को ब्लड तो मिल गया. लेकिन कुछ बच्चों को बेड उपलब्ध नहीं हो सका. जिसके बाद कुछ बच्चों के परिजन बच्चा वार्ड के बाहर बरामदे में बच्चे को लिटा कर ब्लड चढ़ाते नजर आए. वहीं कुछ बच्चों को वार्ड के अंदर ही फर्श पर लिटा कर ब्लड चढ़ाया गया.

children affected with Thalassemia
परेशान दिखे परिजन
बेड के लिए भटकते रहे परिजन इस दौरान साफ-सफाई तक की व्यवस्था नहीं थी. बच्चे जहां ब्लड ले रहे थे, वहां चारों ओर गंदगी फैली थी. यह सभी बच्चे जिले के अलग-अलग इलाकों से पूर्णिया सदर अस्पताल पहुंचे थे. थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों के परिजनों ने बताया कि उन्होंने सदर अस्पताल प्रबंधन के सामने बेड़ को लेकर अपनी बात रखी थी. लेकिन अस्पताल प्रबंधन की ओर से बेड खाली ना होने का हवाला देकर उन्हें चलता कर दिया गया. जिसकी वजह से परिजन बेड के लिए चारों तरफ भटकते रहे. लेकिन उनकी समस्या को किसी ने भी सुनने की जहमत नहीं उठाई.
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बच्चों को नहीं मिला बेड
स्वास्थ्य विभाग की खुली पोलथक हारकर परिजनों ने वार्ड के अंदर और बाहर बरामदे के फर्श पर ही घर से लाए तौलिए और चादर बिछाकर मासूम को उस पर लिटा दिया. मजबूरन नर्स ने भी फर्श पर लेटे बच्चों को ब्लड चढ़ाना शुरू कर दिया. वहीं कुछ जरूरतमंदों को ब्लड न उपलब्ध हो पाने के कारण परिजन और मरीज दोनों परेशान दिखाई दिए. सदर अस्पताल में कुव्यवस्था ने जिला प्रशासन और जिला स्वास्थ्य विभाग की तैयारियों की पोल खोलकर रख दी है.

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वार्ड में कई बेड खाली सदर अस्पताल में 400 बेड़ पहले से ही उपलब्ध हैं. सैकड़ों बेड स्टोररूम में सड़ रहे हैं और धूल फांक रहे हैं. जबकि कोविड-19 के कारण अन्य वार्डों में मरीज नहीं के बराबर हैं. वार्डों में बेड खाली पड़े थे. फिर भी थैलीसीमिया मरीजों के लिए बेड उपलब्ध नहीं कराई जा सकी. इससे नाराज परिजनों ने कहा कि सरकार बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. आईसीयू, वेंटीलेटर से लेकर सभी तरह के आधुनिक उपकरण और चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं हैं. फिर भी लोगों को यह सुविधा समय पर उपलब्ध नहीं हो पा रही है. इस मामले पर अपनी सफाई देते हुए सदर अस्पताल अधीक्षक डॉ. सुरेंद्र दास ने कहा कि अचानक 40 की संख्या में मरीज ब्लड के लिए पहुंच गए. उनको जब यह खबर मिली तब बच्चों को फर्श पर लिटाकर ब्लड चढ़ाया जा रहा था.
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