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पूर्णिया जेल में भी मनाया गया छठ महापर्व, कैदियों ने रखा 36 घंटे का निर्जला उपवास

जेल सुप्रिटेंडेंट जितेंद्र कुमार ने बताया कि जेल एक संवेदनशील जगह है. इसलिए यहां छठ में भी नियम की पाबंदी रही. छठ घाटों पर जेल के अधिकारी और कर्मचारी मौजूद रहे. वो ससमय बंदियों को अर्घ्य दिलाकर उन्हें काराबंद करा रहे थे.

पूर्णिया
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Published : Nov 3, 2019, 12:14 PM IST

पूर्णिया: पूर्णिया सेंट्रल जेल में सजा काट रहे कैदियों ने छठ पर्व मनाया. जेल में कैदियों ने पूरे विधि-विधान से छठ किया. यहां छठ मनाने वालों में महिला और पुरुष कैदी शामिल थे. इसके लिए जेल प्रशासन ने इन्हें पूजा सामाग्री उपलब्ध कराई. हांलाकि इस दौरान भी जेल नियमों की पाबंदी दिखी.

जेल सुप्रिटेंडेंट जितेंद्र से खास बातचीत

हर साल मनाया जाता है छठ
जेल सुप्रिटेंडेंट जितेंद्र कुमार ने बताया कि केंद्रिय कारा पूर्णिया में हर साल की तरह इस साल भी यहां की महिला और पुरुष बंदियों ने पूरे विधि-विधान के साथ छठ पर्व मनाया. इस साल पुरुष बंदियों ने अपने खंड में खुद के श्रम से एक तालाब का निर्माण कराया है. उन्होंने बताया कि जेल प्रशासन तालाब निर्माण के लिए जरूरी सामान उपलाब्ध कराया लेकिन तालाब बनाने से लेकर इसकी सजावट तक कैदियों ने खुद की थी.

पूर्णिया
पानी में खड़े पुरुष बंदी

36 घंटे रखा निर्जला उपवास
जितेंद्र कुमार ने बताया कि इस साल 20 पुरुष और 19 महिला कैदियों ने छठ व्रत रखा था. जो पानी में खड़े होकर डूबते सूर्य को और उगते सूर्य को भी अर्घ्य दिए. इसके लिए वो खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद से उदयमान सूर्य को अर्घ्य देने तक 36 घंटे निर्जला उपवास पर रहे.

पूर्णिया
छठ करती महिला कैदी

जेल के नियमों की पाबंदी के बीच मना छठ
जेल सुप्रिटेंडेंट जितेंद्र कुमार ने बताया कि जेल एक संवेदनशील जगह है. इसलिए यहां छठ में भी नियम की पाबंदी रही. छठ घाटों पर जेल के अधिकारी और कर्मचारी मौजूद रहे. वो ससमय बंदियों को अर्घ्य दिलाकर उन्हें काराबंद करा रहे थे. उन्होंने बताया कि जेल में कैदी सभी धर्म-संप्रदाय के पर्व को मिल-जूल कर मनाते हैं.

पूर्णिया: पूर्णिया सेंट्रल जेल में सजा काट रहे कैदियों ने छठ पर्व मनाया. जेल में कैदियों ने पूरे विधि-विधान से छठ किया. यहां छठ मनाने वालों में महिला और पुरुष कैदी शामिल थे. इसके लिए जेल प्रशासन ने इन्हें पूजा सामाग्री उपलब्ध कराई. हांलाकि इस दौरान भी जेल नियमों की पाबंदी दिखी.

जेल सुप्रिटेंडेंट जितेंद्र से खास बातचीत

हर साल मनाया जाता है छठ
जेल सुप्रिटेंडेंट जितेंद्र कुमार ने बताया कि केंद्रिय कारा पूर्णिया में हर साल की तरह इस साल भी यहां की महिला और पुरुष बंदियों ने पूरे विधि-विधान के साथ छठ पर्व मनाया. इस साल पुरुष बंदियों ने अपने खंड में खुद के श्रम से एक तालाब का निर्माण कराया है. उन्होंने बताया कि जेल प्रशासन तालाब निर्माण के लिए जरूरी सामान उपलाब्ध कराया लेकिन तालाब बनाने से लेकर इसकी सजावट तक कैदियों ने खुद की थी.

पूर्णिया
पानी में खड़े पुरुष बंदी

36 घंटे रखा निर्जला उपवास
जितेंद्र कुमार ने बताया कि इस साल 20 पुरुष और 19 महिला कैदियों ने छठ व्रत रखा था. जो पानी में खड़े होकर डूबते सूर्य को और उगते सूर्य को भी अर्घ्य दिए. इसके लिए वो खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद से उदयमान सूर्य को अर्घ्य देने तक 36 घंटे निर्जला उपवास पर रहे.

पूर्णिया
छठ करती महिला कैदी

जेल के नियमों की पाबंदी के बीच मना छठ
जेल सुप्रिटेंडेंट जितेंद्र कुमार ने बताया कि जेल एक संवेदनशील जगह है. इसलिए यहां छठ में भी नियम की पाबंदी रही. छठ घाटों पर जेल के अधिकारी और कर्मचारी मौजूद रहे. वो ससमय बंदियों को अर्घ्य दिलाकर उन्हें काराबंद करा रहे थे. उन्होंने बताया कि जेल में कैदी सभी धर्म-संप्रदाय के पर्व को मिल-जूल कर मनाते हैं.

Intro:विश्व को सूर्य उपासना का महत्व बतलाकर लोक आस्था के महापर्व छठ व्रत ने देश और दुनिया में अमिट छाप छोड़ी है। लिहाजा वैश्विक पटल पर अपना डंका बजाने वाला अपार आस्था का महापर्व छठ ऐसा पहला त्योहार है जो बेलगाम अपराध और अपराधियों पर भारी पड़ता मालूम पड़ रहा है। दरअसल छठ महापर्व पर पूर्णिया से एक अनूठी तस्वीर सामने आई है। जहां
एक -दो नहीं बल्कि पूरे 40 कैदियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया। वहीं सेंट्रल जेल में आयोजित यह अनूठा नजारा देखते ही बन रहा है।





Body:आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि कभी अपराध का दामन थामने वाले पूर्णिया सेंट्रल जेल में सजा काट रहे इन 39 सज़ावार कैदियों ने ही कई रोज की कड़ी मेहनत से जेल परिसर में कृत्रिम छठ घाट का निर्माण किया। भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के लिए सभी सज़ावार कैदियों ने खुद अपने हाथों से 20 फिट लंबा 14 फिट चौड़ा व 4 फिट गहरा पोखड़ का निर्माण किया था।
इतना ही नहीं इन सज़ावार कैदियों ने बकायदा पूरे विधि विधान से छठ महाव्रत रखा है। इस तरह शुक्रवार को खरना के महाप्रसाद के बाद 21 पुरुष और 19 महिला सज़ावार कैदियों का 36 घण्टें का निर्जलाव्रत शरू हो गया है।


इस बाबत आम दिनों में संवेदनशील सा नजर आने वाला सेंट्रल जेल छठ के पावन पर्व पर आस्था के रंग में सराबोर नजर आ रहा है। जेल के सज़ावार सभी 39 कैदियों ने कृत्रिम तालाब में तय समय पर ठीक 5:15 में अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया।
हाथ में फलों से सजी सुप लिए भगवान भास्कर की उपासना की।
दूध अर्पित कर रहीभगवान भास्कर की परिक्रमा पूरी की।


इस बाबत ईटीवी भारत से खास बातचीत में जेल सुप्रिटेंडेंट जितेंद्र कुमार ने बताया कि यह प्रथा बीते कई सालों से चली आ रही है। लिहाजा इस परंपरा को जारी रखते हुए 39 सज़ावार कैदियों ने आज अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया है। खास बात यह है कि सज़ावार कैदी महज विधि- विधान से छठ व्रत ही नहीं रख रहे हैं बल्कि अपने हाथों से ही इन्होंने छठ पोखर का निर्माण किया है। वहीं इस त्योहार को लेकर आम दिनों में संवेदनशील रहने वाला जेल परिसर आज त्योहारिक माहौल में सराबोर दिख रहा है।


(जेल के अंदर प्रवेश की मनाही थी सो प्रशासन की ओर से केवल फ़ोटो आया है जिसे bihar desk को मिल किया गया है)
इसके अलावा जेल सुपरिटेंडेंट , स्थानीय समाजसेवी , व स्थानीय की बाईट है।


Conclusion:
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