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फणीश्वरनाथ रेणु शताब्दी समारोह: बोलीं मंत्री- बच्चों को आंचलिक भाषाओं में मिलेगी पढ़ाई की सुविधा

पूर्णिया टाउन हॉल में शनिवार को साहित्यिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ महान कथाकार फणीश्वर नाथ रेणु की जन्म शताब्दी समारोह मनाया गया. मुख्य अतिथि बिहार सरकार के उपभोक्ता संरक्षण मंत्री लेसी सिंह व पूर्णिया सांसद संतोष कुशवाहा ने दीप प्रज्वलित कर सामूहिक रूप से कार्यक्रम का उद्घाटन किया. इस दौरान रेणु पर लिखित पुस्तक 'माटी के धनी रेणु' नामक पुस्तक का लोकार्पण किया गया.

कार्यक्रम में मौजूद अतिथि
कार्यक्रम में मौजूद अतिथि
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Published : Mar 6, 2021, 11:00 PM IST

पूर्णिया: शहर के गिरिजा चौक स्थित टाउन हॉल में शनिवार को साहित्यिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ महान कथाकार फणीश्वर नाथ रेणु की जन्म शताब्दी समारोह मनाया गया. जहां कार्यक्रम की मुख्य अतिथि बिहार सरकार के उपभोक्ता संरक्षण मंत्री लेसी सिंह व पूर्णिया सांसद संतोष कुशवाहा ने दीप प्रज्वलित कर सामूहिक रूप से कार्यक्रम का उद्घाटन किया. इस बाबत कार्यक्रम के मुख्य अतिथियों ने रेणु पर लिखित पुस्तक 'माटी के धनी रेणु' नामक पुस्तक का लोकार्पण किया.

उपभोक्ता संरक्षण मंत्री लेसी सिंह
उपभोक्ता संरक्षण मंत्री लेसी सिंह

ये भी पढ़ें- शबनम को फांसी देने के लिए बक्सर सेंट्रल जेल में तैयार हो रहा फंदा

राजनीत, साहित्य व कला जगत के नामचीन चेहरे हुए कार्यक्रम में शरीक
फणीश्वरनाथ रेणु की जन्म शताब्दी वर्ष पूरा होने के उपलक्ष्य में आयोजित इस कार्यक्रम का आयोजन पूर्णिया नवनिर्माण मंच की ओर से स्थानीय टाउन हॉल में किया गया. जहां साहित्य, कला व राजनीत जगत के कई विशिष्ट अतिथियों ने शिरकत किया. जहां मंचासीन अतिथियों ने रेणु के जीवन वृतांत व उनकी कृत्यों पर अपने विचार रखे.

कार्यक्रम में मौजूद अतिथि
कार्यक्रम में मौजूद अतिथि

अब आंचलिक भाषाओं में भी विद्यालयों में होगी पढ़ाई
इस मौके पर बिहार सरकार की मंत्री लेसी सिंह ने कहा कि रेणु शताब्दी समारोह के मौके पर सरकार ने फैसला लिया है कि सरकारी विद्यालय में आंचलिक भाषाओं में बच्चों को पढ़ाई की व्यवस्था उपलब्ध कराने का सरकार ने फैसला लिया है. रेणु की आंचलिक भाषाओं से प्रभावित होकर शताब्दी समारोह के मौके पर सरकार के द्वारा लिया गया है.

ये भी पढ़ें- 'हम जाते हैं तुम आओ...' कहकर चलती बनी पुलिस, थैले में बेटे का शव लेकर 3KM पैदल चला पिता

जिसे जीते थे वही लिखते थे फणीश्वरनाथ रेणु
इस बाबत माटी के गौरव फणीश्वरनाथ रेणु को याद करते हुए पूर्णिया नवनिर्माण मंच के संस्थापक शंकर कुशवाहा ने कहा कि रेणु को उनकी आंचलिकता के कारण देश के महान लेखकों में गिना जाता है. उनकी लेखनी की सबसे बड़ी विशेषता ये थी कि वे जिसे जीते थे, वही लिखते थे. वे प्रेमचंद के बाद गांव को लेकर लिखने वाले सबसे बड़े लेखक हैं. उन्होंने समाज से जो कुछ ग्रहण किया, उसे रूप, रंग, गंध, स्पर्श और ध्वनि बोध की रंजकता के साथ समाज को लौटा दिया.

पूर्णिया: शहर के गिरिजा चौक स्थित टाउन हॉल में शनिवार को साहित्यिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ महान कथाकार फणीश्वर नाथ रेणु की जन्म शताब्दी समारोह मनाया गया. जहां कार्यक्रम की मुख्य अतिथि बिहार सरकार के उपभोक्ता संरक्षण मंत्री लेसी सिंह व पूर्णिया सांसद संतोष कुशवाहा ने दीप प्रज्वलित कर सामूहिक रूप से कार्यक्रम का उद्घाटन किया. इस बाबत कार्यक्रम के मुख्य अतिथियों ने रेणु पर लिखित पुस्तक 'माटी के धनी रेणु' नामक पुस्तक का लोकार्पण किया.

उपभोक्ता संरक्षण मंत्री लेसी सिंह
उपभोक्ता संरक्षण मंत्री लेसी सिंह

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राजनीत, साहित्य व कला जगत के नामचीन चेहरे हुए कार्यक्रम में शरीक
फणीश्वरनाथ रेणु की जन्म शताब्दी वर्ष पूरा होने के उपलक्ष्य में आयोजित इस कार्यक्रम का आयोजन पूर्णिया नवनिर्माण मंच की ओर से स्थानीय टाउन हॉल में किया गया. जहां साहित्य, कला व राजनीत जगत के कई विशिष्ट अतिथियों ने शिरकत किया. जहां मंचासीन अतिथियों ने रेणु के जीवन वृतांत व उनकी कृत्यों पर अपने विचार रखे.

कार्यक्रम में मौजूद अतिथि
कार्यक्रम में मौजूद अतिथि

अब आंचलिक भाषाओं में भी विद्यालयों में होगी पढ़ाई
इस मौके पर बिहार सरकार की मंत्री लेसी सिंह ने कहा कि रेणु शताब्दी समारोह के मौके पर सरकार ने फैसला लिया है कि सरकारी विद्यालय में आंचलिक भाषाओं में बच्चों को पढ़ाई की व्यवस्था उपलब्ध कराने का सरकार ने फैसला लिया है. रेणु की आंचलिक भाषाओं से प्रभावित होकर शताब्दी समारोह के मौके पर सरकार के द्वारा लिया गया है.

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जिसे जीते थे वही लिखते थे फणीश्वरनाथ रेणु
इस बाबत माटी के गौरव फणीश्वरनाथ रेणु को याद करते हुए पूर्णिया नवनिर्माण मंच के संस्थापक शंकर कुशवाहा ने कहा कि रेणु को उनकी आंचलिकता के कारण देश के महान लेखकों में गिना जाता है. उनकी लेखनी की सबसे बड़ी विशेषता ये थी कि वे जिसे जीते थे, वही लिखते थे. वे प्रेमचंद के बाद गांव को लेकर लिखने वाले सबसे बड़े लेखक हैं. उन्होंने समाज से जो कुछ ग्रहण किया, उसे रूप, रंग, गंध, स्पर्श और ध्वनि बोध की रंजकता के साथ समाज को लौटा दिया.

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