पूर्णिया: शिक्षा, साहित्य और खेल के बाद अब फिल्म जगत में बिहार ने अपनी अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाई है. शहर के एक छोटे से कस्बे से ताल्लुक रखने वाले युवा निर्देशक विक्रम विवेक की शार्ट फिल्म रेप मी को एशियन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में दो बड़े अवार्ड हासिल हुए हैं.
फिल्म के मैसेज और संवाद ने बर्लिन में आयोजित फिल्म फेस्टिवल में समूची दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है. आयोजकों की ओर से निर्देशक विक्रम विवेक को बर्लिन का बुलावा आया है. लिहाजा विक्रम की इस विराट कामयाबी पर बर्लिन से लेकर बिहार तक जश्न का माहौल है.
बर्लिन में बिहारी डायरेक्टर का डंका
रेप पर बेस्ट जीरो बजट वाली शार्ट फिल्म 'रेप मी' को जर्मनी के बर्लिन में आयोजित एशियन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में दो बड़े अवार्ड हाथ लगे हैं. फिल्म को पहला अवार्ड जहां स्पेशल जूरी श्रेणी में बेस्ट मैसेज के लिए विक्रम विवेक को दिया गया. तो वहीं फिल्म को दूसरा अवार्ड बेस्ट एक्टर इन नेगेटिव रोल के लिए जोशी कालिया को मिला है.
जीते ऐशियन इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल में दो बड़े अवार्ड
विक्रम कहते हैं कि उनका बचपन का सपना था कि उनकी फिल्म एशियन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल तक जाए. लिहाजा इस सपने को पूरा करने के लिए उनकी पत्नी गीतांजलि विवेक और स्टूडेंट्स ने उनका भरपूर साथ दिया. फिल्म रेप मी के कांसेप्ट से लेकर डायलॉग, विजुअलाइजेशन, संवाद और कैकरेक्टर समेत हर दूसरे स्तर पर उन्होंने बारीकियों के साथ काम किया. इसी का नतीजा रहा कि पहले ही एंट्री में उनकी फिल्म रेप मी महज नॉमिनेशन राउंड में ही नहीं पहुंची. बल्कि दो कैटगरी में अवार्ड लेकर आई.
कई बड़े बैनरों के साथ कर चुके हैं काम
विक्रम विवेक ने बतौर शिक्षक फिल्म और डायरेक्शन से जुड़े बच्चों को इसकी बारीकियां सिखाई. वहीं इसके बाद वे मायानगरी मुंबई में रहते हुए कई बड़े बैनर और बड़ी फिल्मों में बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर व को स्क्रिप्ट राइटर जैसे पदों पर काम कर चुके हैं. ओटीटी प्लेटफार्म पर रिलीज हुई कई शार्ट फिल्मों में भी विक्रम कई बड़ी जिम्मेदारियां निभा चुके हैं.
विक्रम ने खोले फ़िल्म की सफलता के राज
ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत में विक्रम पहले ही प्रयास में फिल्म की सफलता को लेकर कहते हैं कि 'रेप मी' नाम को लेकर पहले तो काफी माथापच्ची हुई और कई लोगों की आपत्तियां भी सामने आई. मगर उनकी फिल्म रेप की घटना और इंसाफ से इतर इस कांसेप्ट पर बेस्ड था कि रेप की घटनाओं को कैसे सामाजिक बदलाव लाकर रोका जा सकता है. फिल्म की इसी अनूठे कांसेप्ट ने इसे जीत की सीढ़ियों तक पहुंचाया.